एकलिनजी में शिव की चार मुख वाली मूर्ति के साथ, यह मंदिर बहुत सुखदाई है।
श्री एकलिंगजी आराध्य देव भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, यहां शिवलिंग की मूर्ति के चारों ओर मुख हैं, मंदिर परिसर में देवी-देवताओं के 108 छोटे-छोटे मंदिर हैं।
राजस्थान के उदयपुर जिले में कैलाशपुर का तीर्थ है। यहां शिव एकलिंग के नाम से विराजमान हैं। श्री एकलिंगजी महादेव मंदिर उदयपुर से लगभग 22 किमी और नटद्वारा से लगभग 26 किमी दूर है। यह दूरस्थ राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर कैलाशपुर नामक स्थान पर स्थित है। पूर्वी भारत में जहां त्रिकालिंग की मान्यता है, उत्कलिंग, मध्यकालिंग और कलिंग। दूसरी ओर पश्चिम भारत में एकलिंग की मान्यता है।
मूल रूप से यहां के मंदिर लकुलीश संप्रदाय के थे। 917 का प्रोटोकॉल। हालाँकि, मध्य युग में, वर्तमान एकलिनजी मंदिर का निर्माण किया गया था और इसकी पूजा के विभिन्न तरीके निर्धारित किए गए थे। वर्तमान मंदिर बहुत ही गुप्त रूप से बनाया गया था। मेवाड़ी शैली में पत्थर से बना श्री एकलिंगजी उदयपुर और मेवाड़ का सबसे प्रसिद्ध और विशाल मंदिर है। श्री एकलिंगजी आराध्य देव भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है,
उदयपुर का फेमस मंदिर कौन सा है जगदीश मंदिर
यहा की शिवलिंग मूर्ति के चारों ओर मुख (चेहरे) हैं अर्थात भगवान शिव यहां साढ़े चार शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। एकलिनजी के चार मुख भगवान शिव के चार रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इस प्रकार हैं: - पूर्व की ओर वाले मुख को सूर्य देव के रूप में पहचाना जाता है, पश्चिम की ओर वाले मुख को भगवान ब्रह्मा, उत्तर की ओर वाले मुख को भगवान विष्णु के रूप में जाना जाता है, और दक्षिण की ओर मुख भगवान विष्णु हैं। रुद्र स्वयं भगवान शिव हैं।
मंदिर के गर्भगृह का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है और गर्भगृह के सामने पीतल धातु से बनी शिव के वाहन नंदी की मूर्ति है। मंदिर परिसर में देवी-देवताओं के 108 छोटे-छोटे मंदिर हैं और इन मंदिरों के बीच में श्री एकलिंग जी का मंदिर स्थापित किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं है, श्री एकलिंग जी के दर्शन और पूजा कचहरी के बाहर ही करनी चाहिए। एकलिनजी मंदिर में प्रतिदिन श्री एकलिनजी का फूलों और गहनों से श्रृंगार नियमित रूप से किया जाता है। वहां के पुजारियों से अनुमति लेकर और उनके द्वारा दिए गए विशेष वस्त्र पहनकर ही मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया जा सकता है।
pic credit: treehousehotelश्री एकलिनजी मेवाड़ के शासक और राजपूतों के प्रमुख देवता हैं। कहा जाता है कि मेवाड़ में राजा उनके प्रतिनिधि के रूप में शासन करता था। राजपूत श्री एकलिंग जी युद्ध पर जाने से पहले आशीर्वाद प्राप्त करते थे। श्री एकलिंगजी मंदिर के प्रांगण में एक मंदिर न्यास बोर्ड लगाया गया है जो मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करता है। जिसमें मंदिर के इतिहास के बारे में कुछ इस प्रकार लिखा था:
कहानी
कहा जाता है कि वर्तमान चतुर्मुख लिंग का निर्माण तब हुआ था जब डूंगरपुर राज्य द्वारा मूल बाणलिंग को इंद्रसागर ले जाया गया था। येकालिंग भगवान को साक्षी मानकर मेवाड़ के राणाओं ने बार-बार ऐतिहासिक महत्व की शपथ ली थी। विपत्तियों से जब महाराणा प्रताप का धैर्य चुक गया तो उन्होंने अकबर के दरबार में रहते हुए भी राजपूती गौरव की रक्षा करने वाले बीकानों के राजा पृथ्वीराज को उत्तर में उपदेश और वीर प्रेरणा से भरा पत्र लिखा।
'तुरुक कहासी मुखपतौ, इणतण सूं इकलिंग, ऊगै जांही ऊगसी प्राची बीच पतंग'('Turuk Kahasi Mukhpatau, Intan Sun Ikling, Ugai Janhi Ugasi Prachi Beach patng')
मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था और एकलिंग की मूर्ति स्थापित की थी। बाद में इस मंदिर को तोड़कर दोबारा बनाया गया। वर्तमान मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में महाराणा रायमल ने करवाया था। इस परिसर में कुल 108 मंदिर हैं। मुख्य मंदिर में एकलिनजी की चार सिरों वाली मूर्ति है। यहां जाने के लिए उदयपुर से बसें हैं। एकलिनजी की मूर्ति के चारों ओर मुख हैं। दूसरे शब्दों में यह चार मुखों का लिंग है। घाट और गर्भगृह के बीच द्वार पर उपस्थित श्री जी मेवाड़ अरविन्द ने द्वार पर चांदी की परत चढ़ी हुई है। मुख्य मंदिर के दरबार कक्ष में आम दर्शनार्थियों का प्रवेश वर्जित है।
एकलिंगजी का मंदिर कौन से जिले में (ekalingajee ka mandir kaun se jile mein)
एकलिंगजी मंदिर कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और भगवान शिव को समर्पित है।
एकलिंगजी कौन से भगवान है (ekalingajee kaun se bhagavaan hai)
एकलिंगजी भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जहां भगवान शिव को भक्तों की पूजा और अर्चना की जाती है। यह मंदिर कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है।
एकलिंगजी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है (ekalingajee mandir kyon prasiddh hai)
एकलिंगजी मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है और यह भारत के सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था और इसे चालुक्य वंश के शासक कृष्णराज वोडेयर ने बनवाया था।
इस मंदिर का विशेषता यह है कि यह एकलिंग (एकलिंगा) शिवलिंग के अतिरिक्त कोई अन्य मूर्ति नहीं है। इसलिए इसे एकलिंगजी मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में शिवलिंग को एक धातु के यंत्र से ढक दिया गया है, जिसे नागबरण (Nagabharana) कहा जाता है।
एकलिंगजी मंदिर के अलावा इसकी विशेषताओं में शामिल हैं - शैलेश्वर गुफा, नंदि स्तंभ, महाश्मशान और कई अन्य महत्वपूर्ण स्थल। इसके अलावा, यह मंदिर भारतीय स्थापत्यकला का उत्कृष्ट उदाहरण है जो इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
एकलिंगजी मंदिर की स्थापना किसने की थी (ekalingajee mandir kee sthaapana kisane kee thee)
एकलिंगजी मंदिर का निर्माण कर्नाटक के चालुक्य वंश के शासक कृष्णराज वोडेयर द्वारा 8वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर का निर्माण चालुक्य शैली में हुआ है जो भारतीय स्थापत्यकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
एकलिंगजी के दर्शन कितने बजे खुलते हैं(ekalingajee ke darshan kitane baje khulate hain)
एकलिंगजी मंदिर के दर्शन दिन में कुछ विशेष वक्त पर उपलब्ध होते हैं। इस मंदिर के दर्शन समय के बारे में आमतौर पर दो अलग-अलग स्रोतों से जानकारी दी जाती है।
कुछ स्रोतों के अनुसार, मंगलवार से शनिवार तक एकलिंगजी मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर रात्रि 8 बजे तक खुला रहता है। रविवार को भी मंदिर दर्शन के लिए खुला रहता है, लेकिन इस दिन दर्शन का समय थोड़ा अलग हो सकता है।
हालांकि, यह समय मंदिर प्रबंधन और स्थानीय दर्शनार्थियों द्वारा बदला जा सकता है, इसलिए यदि आप एकलिंगजी मंदिर दर्शन करने की योजना बना रहे हैं तो आपको स्थानीय प्रबंधन कार्यालय या आधिकारिक वेबसाइट से समय की जाँच करनी चाहिए।
क्या एकलिंगजी शिव है(kya ekalingajee shiv hai)
हाँ, एकलिंगजी मंदिर में शिव की पूजा की जाती है। इस मंदिर में शिव को एकलिंग नाम से पूजा जाता है और उनका दर्शन करने के लिए यहां कई शिवभक्त आते हैं। एकलिंग शब्द का अर्थ होता है "एक ही लिंग" यानी एक साथ शिव और परवती के दो अलग-अलग मूर्तियों की जगह एक ही मूर्ति है। एकलिंगजी मंदिर भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है और यह शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
एकलिंग का मतलब क्या है (ekaling ka matalab kya hai)
एकलिंग शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जो "एक ही लिंग" या "एक मूर्ति" का अर्थ होता है। इस शब्द का प्रयोग शिव भक्ति के संदर्भ में होता है जब शिव और पार्वती की जगह एक ही मूर्ति होती है। यह मूर्ति दो भिन्न देवताओं को एक साथ दर्शाती है और इसे एकलिंग कहा जाता है। एकलिंग का अर्थ होता है "एक ही शिवलिंग" या "एक मूर्ति जिसमें दो भिन्न देवताएं होती हैं"।
शिव को एकलिंग क्यों कहा जाता है (shiv ko ekaling kyon kaha jaata hai)
शिव को एकलिंग कहा जाता है क्योंकि इस मूर्ति में दो भिन्न देवताओं, शिव और पार्वती, की जगह एक ही मूर्ति होती है। शिवलिंग शिव की पूजा के लिए उपयोग किए जाने वाले एक प्रकार की मूर्ति होती है, जो एक संकर रूप में होती है जिसमें शिव और शक्ति का प्रतिनिधित्व किया जाता है। शिवलिंग को उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में एकलिंग भी कहा जाता है, इसलिए शिव को एकलिंग कहा जाता है।
पहला मंदिर कौन बना था (pahala mandir kaun bana tha)
पहला मंदिर कौन सा है इसके बारे में कोई निश्चित जवाब नहीं है। धर्मग्रंथों और इतिहासकारों के अनुसार, भारतीय सभ्यता में मंदिरों की नींव परंपरागत ढंग से तैयार की जाती रही है। कुछ मंदिर जीर्णोद्धार के दौरान बनाए गए होते हैं जबकि कुछ नए मंदिर नए वास्तुशिल्प के अनुसार बनाए गए होते हैं।
हालांकि, भारत के अनेक ऐतिहासिक मंदिर जिनमें बृहदीश्वर मंदिर, कैलाशनाथ मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर आदि शामिल हैं, जो बहुत प्राचीन हैं और समान्य रूप से पहली मंदिर के रूप में समझे जाते हैं।
मंदिर की शुरुआत कब हुई (mandir kee shuruaat kab huee)
मंदिरों की शुरुआत कब हुई इसके बारे में कोई निश्चित जवाब नहीं है। भारतीय सभ्यता में मंदिरों का निर्माण प्राचीन काल से होता आया है। भारत में प्राचीन मंदिरों के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति थी। भारत के प्राचीन मंदिरों में से कुछ भगवान शिव, विष्णु, देवी, सूर्य, गणेश आदि के पूजे के लिए थे।
विभिन्न युगों में भारतीय मंदिरों की शैलियां विभिन्न स्थानों पर विकसित हुईं और भारतीय सभ्यता के विभिन्न अंशों के अनुसार विविध वास्तुशैलियों में मंदिरों का निर्माण हुआ। उन्हें धर्म की उन्नति तथा समाज के विभिन्न पहलुओं को समझाने वाले एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में माना जाता है।
एकलिंगजी का मेला कब लगता है (ekalingajee ka mela kab lagata hai)
एकलिंगजी मेला भारत में कर्नाटक राज्य के एकलिंगजी शहर में लगता है। यह मेला वर्ष में एक बार माघ महीने के अमावस्या के दिन लगता है। यह मेला कर्नाटक राज्य का सबसे बड़ा मेला है जो चार से पाँच दिन तक चलता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं और इस अवसर पर उन्हें एकलिंगजी के प्रसिद्ध मंदिर की दर्शन करने का अवसर मिलता है।
एकलिंग महात्म्य के लेखक कौन है (ekaling mahaatmy ke lekhak kaun hai)
एकलिंग महात्म्य एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक ग्रंथ है, जिसके लेखक का नाम अभी तक स्पष्ट नहीं है। यह ग्रंथ भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित एकलिंग मंदिर के बारे में है जिसमें एक अद्वितीय शिवलिंग है। इस ग्रंथ के लेखक के बारे में कुछ लोग अनुमान लगाते हैं कि यह ग्रंथ 8वीं या 9वीं सदी के लगभग हो सकता है।
एकलिंग महात्म्य ग्रंथ के माध्यम से एकलिंग मंदिर की महिमा और इसके शिवलिंग की महत्वता का वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में शिवलिंग की महत्ता बताई गई है और इसे देवताओं का राजा कहा गया है। यह ग्रंथ शिवभक्तों और हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
मंदिर का इतिहास क्या है (mandir ka itihaas kya hai)
मंदिर एक ऐसी संस्कृति और धार्मिक विश्वास की स्थापना है, जो दुनिया भर के कई धर्मों में अपनी अहमियत रखती है। मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और उसकी शुरुआत भारतीय उपमहाद्वीप से हुई।
भारतीय संस्कृति में मंदिरों का महत्व बहुत उच्च है। वेदों और पुराणों में मंदिरों के बारे में विस्तार से बताया गया है। मंदिर का निर्माण भारतीय संस्कृति के लोगों के धार्मिक और आध्यात्मिक आदर्शों के अनुसार होता था।
मंदिरों का निर्माण भारतीय धर्मों के विभिन्न पौराणिक कथाओं और वैदिक धर्म के आधार पर किया जाता है। भारत में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से कुछ का निर्माण 1,500 से अधिक वर्ष पहले किया गया था।
मंदिरों के विभिन्न स्थानों में अलग-अलग शैलियों में निर्माण हुआ है, जैसे कि हिमालयी, नागार्जुना, वेशराज, द्रविड़, ओडिशा आदि। मंदिरों का निर्माण उन देवताओं के नाम पर किया जाता है,
उदयपुर जिला कब बना था(udayapur jila kab bana tha)
उदयपुर जिला भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है। यह जिला मध्यकालीन इतिहास के दौरान मेवाड़ राज्य का एक हिस्सा था। उदयपुर शहर को मेवाड़ राजस्य की राजधानी बनाया गया था जो कि 1559 ई. में महाराणा उदय सिंह द्वारा स्थापित किया गया था।
उदयपुर जिला उस समय से मध्यकाल से लेकर आज तक राजस्थान राज्य का एक महत्त्वपूर्ण जिला रहा है। राजस्थान सरकार द्वारा उदयपुर जिला 1 अप्रैल, 1949 को बनाया गया था।
एकलिंगजी का मंदिर किसने बनवाया (ekalingajee ka mandir kisane banavaaya)
एकलिंगजी का मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह मंदिर एक अद्वितीय शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है जिसमें तीनों शक्तियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की एक साथ पूजा की जाती है।
एकलिंगजी मंदिर के बारे में अधिक जानकारी नहीं है कि इसे किसने बनवाया। हालांकि, अनुमान लगाया जाता है कि इसे 8वीं या 9वीं सदी के दौरान चल रहे राष्ट्रकूट वंश के राजाओं द्वारा बनवाया गया था। इसके अलावा, इस मंदिर में उल्लेखित ग्रंथ 'एकलिंग महात्म्य' के द्वारा इस मंदिर की महिमा का वर्णन किया गया है।
एकलिंग जी का फोटो,ekaling jee ka photo
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एकलिंगजी मंदिर का समय (ekalingajee mandir ka samay)
एकलिंगजी मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य के बागलकोट जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं या 9वीं सदी के दौरान चल रहे राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक है और भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है।
एकलिंगजी का मंदिर कहां है (ekalingajee ka mandir kahaan hai)
एकलिंगजी मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य के बागलकोट जिले में स्थित है। यह मंदिर बागलकोट नगर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एकलिंगजी मंदिर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है और यह भारतीय संस्कृति और धर्म के विविध पहलुओं का अद्भुत उदाहरण है।
एकलिंगजी का इतिहास (ekalingajee ka itihaas)
एकलिंगजी मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य के बागलकोट जिले में स्थित है। यह मंदिर 8वीं या 9वीं सदी के दौरान राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था।
एकलिंगजी मंदिर में एकलिंग नामक शिवलिंग की पूजा की जाती है, जो अद्वितीय है क्योंकि यह एक ही पत्थर से बना हुआ है जो त्रिमूर्तियों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश को दर्शाता है।
इस मंदिर में बने अन्य मंदिरों में एक नंदी भी है, जो संगमरमर का बना हुआ है और यह दुनिया का सबसे बड़ा नंदी मूर्ति है, जो लगभग 20 फुट ऊँचा और 30 फुट लम्बा है।
एकलिंगजी मंदिर भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और यह भारतीय संस्कृति और धर्म के विविध पहलुओं का अद्भुत उदाहरण है।
एकलिंग मंदिर क्यों प्रसिद्ध है (ekaling mandir kyon prasiddh hai)
एकलिंग मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है और यह भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर अपने अनोखे शैली और एकलिंग नामक शिवलिंग की वजह से प्रसिद्ध है। एकलिंग शब्द का अर्थ होता है "एक ही लिंग" जिससे स्पष्ट होता है कि यह शिवलिंग तीन मुर्तियों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश को दर्शाता है। यह मंदिर अन्य मंदिरों से भिन्न है क्योंकि यह शिवलिंग केवल एक पत्थर से बना हुआ है।
एकलिंग मंदिर के अन्य मंदिरों में एक नंदी भी है, जो लगभग 20 फुट ऊँचा और 30 फुट लम्बा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा नंदी मूर्ति है।
एकलिंग मंदिर के अतिरिक्त, यह मंदिर भारतीय संस्कृति, स्थानीय शैली की कला और धर्म के विविध पहलुओं का अद्भुत उदाहरण है। इसलिए, एकलिंग मंदिर देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण स्थल है।
एकलिंग नाथ (ekaling naath)
एकलिंग नाथ भारत के महान संतों में से एक थे। वे अपने समय के विद्वान् तथा धर्मगुरु थे। एकलिंग नाथ का जन्म कर्नाटक के पड़ियोटा नामक स्थान पर हुआ था। वे शैव धर्म के प्रभावशाली संत थे।
एकलिंग नाथ ने भारतीय संस्कृति और धर्म को उच्चतम शिखर पर पहुंचाया। उन्होंने समाज में जाति भेद और बलात्कार के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समझाया कि समस्याओं का समाधान सिर्फ एक ज्ञानी और धर्मगुरु द्वारा ही संभव है। उन्होंने धर्म के नाम पर नहीं, धर्म की असली भावना के आधार पर संदेश दिया।
एकलिंग नाथ ने शैव धर्म को अपने उच्चतम रूप में पहुंचाया। उन्होंने अपने जीवन के दौरान अनेक मंदिर बनवाए थे जिसमें से अन्य मंदिरों के बिल्डर्स के तुलना में एकलिंगजी के मंदिर को अधिक महत्व दिया जाता है। उनके जीवन का उद्देश्य धर्म, ज्ञान और सेवा था और उन्होंने इस उद्देश्य को पूरा किया।
नाथद्वारा से एकलिंगजी की दूरी (naathadvaara se ekalingajee kee dooree)
नाथद्वारा से एकलिंगजी की दूरी लगभग १६० किलोमीटर है। ये दोनों स्थान राजस्थान राज्य में स्थित हैं। नाथद्वारा राजसमंद जिले में है और एकलिंगजी चित्तौड़गढ़ जिले में है। आप दोनों स्थानों के बीच बसें, टैक्सियां या अन्य वाहनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन दोनों स्थानों के बीच बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं जो यात्रियों को आसानी से इस दूरी को तय करने में मदद करती हैं।
जय एकलिंगजी (jay ekalingajee)
जय एकलिंगजी!
उदयपुर से एकलिंग जी की दूरी (udayapur se ekaling jee kee dooree)
उदयपुर से एकलिंगजी की दूरी लगभग ११० किलोमीटर है। आप यहाँ बस, टैक्सी या अन्य वाहन के इस्तेमाल से पहुंच सकते हैं। आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प होगा कि आप टैक्सी की या अन्य वाहन की सेवा का इस्तेमाल करें जो आपको एकलिंगजी तक पहुंचा सकता है। उदयपुर से एकलिंगजी की सीधी बस सेवा भी उपलब्ध है।
एकलिंग महाकाव्य (ekaling mahaakaavy)
एकलिंग महाकाव्य एक धार्मिक काव्य है जो एकलिंगजी के जीवन और कार्यों पर आधारित है। यह महाकाव्य संस्कृत में लिखा गया है और इसे जयदेव जैसलमेरी ने लिखा है। जयदेव जैसलमेरी एक राजस्थानी कवि थे और उन्होंने इस काव्य को 16वीं शताब्दी में लिखा था।
एकलिंग महाकाव्य का मुख्य विषय एकलिंगजी के विविध कार्यों, जैसे धर्म के प्रचार, समाज की सेवा, ग्रामीण विकास आदि पर आधारित है। इस काव्य को उत्तम संस्कृत के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवादित किया गया है। यह काव्य आज भी एकलिंगजी के भक्तों के बीच लोकप्रिय है और इसे अधिकतर धार्मिक आयोजनों में उपयोग किया जाता है।
एकलिंगजी का मेला कब भरता है (ekalingajee ka mela kab bharata hai)
एकलिंगजी का मेला हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन से अगले दिनों तक भरता है। यह मेला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित एकलिंगजी मंदिर के पास मनाया जाता है। इस मेले में हजारों श्रद्धालु भक्त एकलिंगजी मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मेले में स्थानीय बाजारों का भी विस्तृत विकास होता है और लोग मेले में आकर विभिन्न रंग-बिरंगे खिलौने, परिधान और अन्य सामग्री खरीदते हैं।