पूरी दुनिया में एक से बढ़कर एक प्रसिद्ध मंदिर हैं। कुछ अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं तो कुछ अपनी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध हैं। कुछ प्रसिद्धि के लिए प्रसिद्ध हैं तो कुछ भक्तों की आस्था के लिए। यह मंदिर हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था और आस्था का भी केंद्र है। हम आपको दुनिया के 10 सबसे बड़े मंदिरों के बारे में बताते हैं। इनमें से ज्यादातर मंदिर सिर्फ भारत में ही स्थित हैं...
तमिलनाडु में स्थित श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा मंदिर कहा जाता है। इसका क्षेत्रफल 631,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। लेकिन मंदिर में स्थित 7 कंक्रीट की दीवारों के कारण मंदिर के लिए केवल चार का उपयोग किया जाता है। शेष दीवारों का उपयोग निजी व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
श्रीरंगम मंदिर का इतिहास क्या है (shreerangam mandir ka itihaas kya hai)
श्रीरंगम मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है और दक्षिण भारत के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर तिरुच्चिराप्पल्ली नदी के दोनों तरफ फैला हुआ है। श्रीरंगम मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु के महत्त्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों में से एक है।
अंकोरवाट मंदिर,अंकोरवाट मंदिर का रहस्य
मंदिर का निर्माण 1,000 ईसा पूर्व से पहले शुरू हुआ था। इसे भगवान विष्णु की तीसरी रूप श्रीरंगम के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण मार्गशीर्ष मास के अमावस्या तिथि को शुरू हुआ था और अगले कुछ शताब्दियों में यह कई बार बदलता रहा। मंदिर के अंदर कई मंदिर हैं, जिनमें से प्रमुख मंदिर राज गोपुरम है, जो मंदिर के पश्चिमी भाग में स्थित है।
श्रीरंगम मंदिर का आकार बहुत बड़ा है। इसका कुल क्षेत्रफल 156 एकड़ है और इसमें 21 गोपुरम हैं, जो इस मंदिर के अलग-अलग पक्षों से उठते हैं। मंदिर में कुल मिलाकर 50 मंदिर हैं और यह एक समुह मंदिरो मे से एक हैं.
pic credit sri_ranganatha_swamy_templeभगवान विष्णु को रंगनाथ क्यों कहा जाता है (bhagavaan vishnu ko ranganaath kyon kaha jaata hai)
भगवान विष्णु को रंगनाथ कहा जाता है क्योंकि उनका मूर्तिकार श्रीरंगम स्थल के श्रीरंगनाथ स्वामी के विराजमान विग्रह का निर्माण किया गया था। श्रीरंगम, जो तमिलनाडु में स्थित है, एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थान है जहां श्रीरंगनाथ स्वामी को राजा राजेश्वरी देवी ने आराधना के लिए लेकर आए थे। इसे भगवान विष्णु का अहम् श्रीनगर (प्रतिष्ठान) माना जाता है जो भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
रंगनाथ भगवान कौन थे (ranganaath bhagavaan kaun the)
रंगनाथ भगवान भगवान विष्णु के एक रूप हैं जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे श्रीरंगम स्थल के प्रमुख देवता हैं और भगवान विष्णु के तीन मूर्तियों में से एक हैं, जिन्हें वैष्णवों में त्रिविक्रम, मधुसूदन और रंगनाथ के नाम से जाना जाता है। रंगनाथ भगवान को शेषशायी विष्णु के रूप में भी जाना जाता है जो कि शेषनाग के ऊपर शयन करते हुए दिखाई देते हैं। रंगनाथ भगवान के अभिनय का महत्वपूर्ण स्थान भारतीय कला और संस्कृति में है।
श्रीरंगम मंदिर में कौन सा भगवान है (shreerangam mandir mein kaun sa bhagavaan hai)
श्रीरंगम मंदिर भगवान विष्णु के श्रीरंगनाथ स्वामी को समर्पित है। श्रीरंगम मंदिर, जो तमिलनाडु में स्थित है, दक्षिण भारत में सबसे बड़ा वैष्णव मंदिर है और विश्व के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है। यह भगवान विष्णु के तीन मूर्तियों में से एक रंगनाथ स्वामी के स्थान है, जो शेषशायी विष्णु के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यह भारतीय संस्कृति और वैष्णव सम्प्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
श्रीरंगम क्यों प्रसिद्ध है (shreerangam kyon prasiddh hai)
श्रीरंगम दक्षिण भारत में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो भगवान विष्णु के श्रीरंगनाथ स्वामी को समर्पित है। यह भारत के सबसे बड़े वैष्णव मंदिरों में से एक है और दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से भी एक है।
इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय स्थानीय संस्कृति के साथ संबद्ध है और इसका निर्माण लगभग 2000 वर्ष पहले हुआ था। इस मंदिर में भगवान विष्णु के तीन मूर्तियों में से एक रंगनाथ स्वामी की मूर्ति स्थापित है और यहां के मंदिर के वास्तुकला व वास्तुशिल्प की खूबसूरती से लोगों को आकर्षित किया जाता है।
श्रीरंगम के मंदिर का इतिहास और कला संस्कृति के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसे विश्व की अन्यतम कलाकृतियों में से एक माना जाता है। इसके अलावा, श्रीरंगम के मंदिर को भारतीय संस्कृति और धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है।
रंगनाथ भगवान की कथा (ranganaath bhagavaan kee katha)
रंगनाथ भगवान की कथा हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत महत्वपूर्ण है। यह कथा भगवान विष्णु के एक अवतार रूप में रंगनाथ नामक देवता की है।
कहा जाता है कि कुछ समय पहले रंगनाथ नाम के एक संत थे जो सदा ध्यान धारण में रहते थे और भगवान के प्रति उनकी अद्भुत प्रेम भावना थी। एक दिन उन्होंने भगवान को ध्यान में लगाया और उनसे प्रार्थना की कि वे अपने साक्षात्कार को दर्शाएं।
अचानक धूम्रपान करने वाले एक राजा ने रंगनाथ के सम्पर्क में आने का निर्णय किया और उन्हें अपने राजमहल में बुलाया। राजा ने रंगनाथ से कहा कि वे भगवान के साक्षात्कार को चाहते हैं, लेकिन उन्हें भगवान का दर्शन नहीं मिलता है। राजा ने रंगनाथ से अनुरोध किया कि वे भगवान के दर्शन करवाएं।
रंगनाथ ने राजा से कहा कि वे भगवान के दर्शन के लिए अपनी भक्ति और उनके अनुग्रह को प्राप्त करते हैं। उन्होंने राजा को उस जगह के लिए बुलाया जहा पर मंदिर अथापित है.
श्रीरंगम की मूर्ति कितनी पुरानी है (shreerangam kee moorti kitanee puraanee hai)
श्रीरंगम की मूर्ति की उम्र को लेकर कोई निश्चित जवाब नहीं है, क्योंकि इसके बारे में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। हालांकि, श्रीरंगम मंदिर भारत के नंबर वन और सबसे प्राचीन विष्णु मंदिरों में से एक है, और इसे लगभग 2000 साल पहले बनाया गया था।
श्रीरंगम का मंदिर तमिलनाडु राज्य के त्रिच्य शहर में स्थित है और यह भगवान विष्णु के तीसरे अवतार, श्रीरंगनाथ के समरूप में बनाया गया था। मंदिर का अंदरूनी क्षेत्र लगभग 156 एकड़ है और इसमें 21 गोपुरम शामिल हैं, जो इसके अत्यंत विशिष्ट आकार के लिए जाने जाते हैं।
इसलिए, श्रीरंगम की मूर्ति की उम्र से संबंधित कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, यह मंदिर दुनिया भर में विख्यात है और लाखों श्रद्धालु यहां पर आते हैं, जो इसे एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाते हैं।
रंगनाथ मंदिर कहाँ पर है (ranganaath mandir kahaan par hai)
रंगनाथ मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के त्रिच्य शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के तीसरे अवतार श्रीरंगनाथ को समर्पित है। श्रीरंगम मंदिर भारत के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर तमिलनाडु राज्य में स्थित होने के साथ-साथ भारत और विश्व भर में अपनी महत्वपूर्णता के लिए जाना जाता है।
रंगनाथ भगवान की मूर्ति ,ranganaath bhagavaan kee moorti
रंगनाथ भगवान की मूर्ति श्रीरंगम मंदिर में स्थापित है। यह मूर्ति भगवान विष्णु के तीसरे अवतार, श्रीरंगनाथ को दर्शाती है।
श्रीरंगम मंदिर का अंदरूनी क्षेत्र लगभग 156 एकड़ है और इसमें श्रीरंगनाथ मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक विशेष संरचना है, जिसे गोपुरम कहा जाता है। इस गोपुरम के भीतर, श्रीरंगनाथ की मूर्ति चौबीस फुट लंबी है और यह स्वर्ण से बनी हुई है। मूर्ति के सिर के ऊपर, एक सोने की मुकुट भी है।
श्रीरंगम मंदिर की इस मूर्ति को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और यह भगवान विष्णु के भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
रंगनाथ मंदिर कहां है (ranganaath mandir kahaan hai)
रंगनाथ मंदिर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है। यह मंदिर अजमेर जिले के पुष्कर नामक शहर में है।
रंगनाथ मंदिर पुष्कर (ranganaath mandir pushkar)
रंगनाथ मंदिर पुष्कर राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। यह मंदिर पुष्कर के मशहूर ब्रह्माजी मंदिर के पास स्थित है। मंदिर का निर्माण श्रीमान जयाजीराव राजे ने करवाया था और इसे सन् 1823 में खोला गया था।
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसमें रंगनाथ भगवान की मूर्ति स्थापित है। मंदिर की विशेषताएं में एक अलग ही भव्य मण्डप है, जिसे सुंदर वित्तीय कला से सजाया गया है। इसके अलावा, मंदिर के भीतर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी की मूर्तियों को सुंदरता से सजाया गया है।
रंगनाथ मंदिर पुष्कर के अतिरिक्त, यहां अन्य मंदिर भी हैं जैसे कि ब्रह्मा मंदिर, अतीतेश्वर मंदिर, वराह मंदिर और गायत्री मंदिर। इन मंदिरों को देखना और पूजा करना पुष्कर यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
श्रीरंगम मंदिर के दर्शन करने में कितना समय लगता है (shreerangam mandir ke darshan karane mein kitana samay lagata hai)
श्रीरंगम मंदिर भारत के सबसे बड़े वैष्णव मंदिरों में से एक है, जो बहुत बड़ा है और इसे देखने में कुछ घंटे लग सकते हैं।
यदि आप सिर्फ मंदिर के अंदर दर्शन करना चाहते हैं तो इसका समय लगभग एक घंटा हो सकता है। लेकिन यदि आप मंदिर के विभिन्न स्थलों जैसे कि गोपुरम, वहनमालिका आदि का भी दर्शन करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ घंटे तक समय देना हो सकता है।
इसलिए, श्रीरंगम मंदिर के दर्शन के लिए आपको कम से कम दो या तीन घंटे का समय निर्धारित करना चाहिए।
श्रीरंगपटना में रंगनाथस्वामी मंदिर किसने बनवाया था (shreerangapatana mein ranganaathasvaamee mandir kisane banavaaya tha)
श्रीरंगपट्टनम में रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण भगवान श्री राम के दोस्त और भक्त हनुमान जी के नायक थे, श्रीरामनुजाचार्य द्वारा किया गया था। श्रीरामनुजाचार्य भारतीय धर्म और आचार्यों के इतिहास में एक महान वैष्णव आचार्य हैं जिन्होंने धर्म के मूल्यों की रक्षा की। उन्होंने इस मंदिर का निर्माण 13 वीं सदी में किया था।
श्रीरामनुजाचार्य ने भारतीय धर्म के तत्वों को सरल और समझ में आने वाले तरीके से लोगों के सामने रखा। उन्होंने वेदों के अनुसार अनेक वैष्णव देवी-देवताओं को एक में समाहित कर एक मात्र भगवान विष्णु को आराधित करने का विधान किया था, जिसे उन्होंने श्रीरंगम मंदिर के माध्यम से प्रचलित किया था।
क्या श्रीरंगम मंदिर में दर्शन की अनुमति है (kya shreerangam mandir mein darshan kee anumati hai)
हाँ, श्रीरंगम मंदिर में दर्शन की अनुमति है। श्रीरंगम मंदिर तमिलनाडु के तीर्थंकरीर नगर में स्थित है और यह भारत के सबसे प्रसिद्ध वैष्णव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर रंगनाथ स्वामी को समर्पित है जो भगवान विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं। आमतौर पर, यह मंदिर समय-समय पर अपने दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है।
इसके अलावा, अधिकृत वेबसाइट या स्थानीय अधिकारियों से पूछकर आप अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि मंदिर में दर्शन के लिए कौन से समय अनुमत होते हैं और कौन से नहीं।
भारत का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कौन सा है (bhaarat ka sabase bada hindoo mandir kaun sa hai)
भारत का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर श्रीरंगम मंदिर है जो कि तमिलनाडु राज्य के त्रिच्य शहर में स्थित है। इस मंदिर का क्षेत्रफल 156 एकड़ है और इसमें 21 गोपुरम और 39,000 से भी अधिक मूर्तियां हैं। यह मंदिर दक्षिण भारत में सबसे प्रसिद्ध तथा सबसे बड़े वैष्णव मंदिरों में से एक है और इसे भारतीय मंदिरों के सबसे अनमोल महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।
कितने मंदिर सरकार के अधीन है (kitane mandir sarakaar ke adheen hai)
भारत में कई संस्थान और मंदिर सरकार के अधीन हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संस्थान और मंदिर निम्नलिखित हैं:
- केदारनाथ मंदिर - उत्तराखंड
- बद्रीनाथ मंदिर - उत्तराखंड
- अमरनाथ मंदिर - जम्मू और कश्मीर
- श्री जगन्नाथ मंदिर - ओडिशा
- तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् - आंध्र प्रदेश
इनमें से श्री जगन्नाथ मंदिर को छोड़कर बाकी सभी मंदिर और संस्थान संस्थान द्वारा संचालित नहीं हैं और सरकार द्वारा संचालित होते हैं।