दक्षेश्वर मंदिर हरिद्वार उत्तराखंड राज्य, भारत में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो महाभारत काल से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर भगवान शिव के पुत्र दक्ष प्रजापति की पूजा के लिए बनाया गया था।
इस मंदिर के इतिहास में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। दक्ष प्रजापति के यज्ञ के दौरान जब उन्हें अपमानित किया गया था, तो उन्होंने अपने शरीर को भस्म कर दिया था। इसके बाद भगवान शिव ने उनको जीवित कर दिया था। उसी स्थान पर दक्षेश्वर मंदिर बनाया गया था।
संघर्ष की बातें struggle status hindi
इस मंदिर का आकर्षण है उसकी सुंदरता और धार्मिक महत्व। यहां हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों शिव भक्त इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा करने आते हैं।
दक्षेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और इसकी स्थापना के समय से ही यहां अनेक तीर्थ स्थल थे। मंदिर के अंदर दक्ष प्रजापति की मूर्ति स्थापित है
दक्ष महादेव का प्राचीन मंदिर, जिसे दक्षेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है, हरिद्वार के दक्षिण में गंगल शहर में स्थित है।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर, भगवान शिव के भक्तों के बीच महान भक्ति और आस्था का एक पवित्र स्थान, हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन के पवित्र महीने के आकर्षण का केंद्र है। भगवान शिव के इस मंदिर का नाम सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति के नाम पर रखा गया है।
हरिद्वार के पास अत्यधिक धार्मिक महत्व के साथ, हरिद्वार मंदिर अवश्य जाना चाहिए। यह सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से 3 किमी हैं.
यात्रा का शुभ समय
हर की पौड़ी, हरिद्वार से 5.2 किमी / 15 मिनट
वहा के प्रकार
नि: शुल्क प्रवेश
खोज समय
1 घंटा
हरिद्वार में दक्ष महादेव मंदिर
दक्ष महादेव मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दक्ष प्रजापति ब्रह्मा के पुत्र थे और उनकी एक बेटी सती थी, जिसका विवाह भगवान शिव से हुआ था। एक बार राजा दक्ष ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया और अपने दामाद भगवान शिव को छोड़कर सभी देवताओं, ऋषियों और संतों को आमंत्रित किया। राजा दक्ष ने अपने पति द्वारा अपमानित महसूस करते हुए सती की उपस्थिति में भगवान शिव का अपमान किया। देवी सती ने यज्ञ की अग्नि में छलांग लगा दी।
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तब भगवान शिव ने गुस्से में अपने एक गण, वीरभद्र, एक महान योद्धा, को कनखल भेजा। वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी देवताओं से बहुत विनती करने के बाद, भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और एक नर बकरे का सिर उनके ऊपर रख दिया। राजा दक्ष को अपनी गलतियों का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव के सामने पश्चाताप किया।
तब भगवान शिव ने घोषणा की कि वे सावन के पवित्र महीने में खंगाल में निवास करेंगे। दक्ष महादेव मंदिर यज्ञ कुंड के स्थल पर बनाया गया था।
दक्ष महादेव मंदिर का स्थान
हरिद्वार के पास दक्ष महादेव मंदिर (हरिद्वार के पास अत्यधिक धार्मिक मूल्य का मंदिर हरिद्वार में अवश्य जाना चाहिए। सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से 3 किमी)।
दक्ष महादेव मंदिर कैसे पहुंचे
दक्ष महादेव मंदिर हरिद्वार से 4 किमी दूर खंगल में स्थित है। हरिद्वार से मंदिर तक बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। दक्ष महादेव मंदिर तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन (03 किमी) और जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून (38 किमी) है।
दक्ष महादेव मंदिर किस लिए प्रसिद्ध है?
दक्ष महादेव मंदिर निम्नलिखित गतिविधियों/आकर्षणों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है: शिव मंदिर।
हरिद्वार के दर्शनीय स्थल
हर की पौड़ी
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शांति कुंज
चंडी देवी मंदिर
पतंजलि योगपीठ
हरिद्वार की एक झलक
तापमान मार्च 27 /13 डिग्री सेल्सियस
दक्ष महादेव मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर
स्थित हैं हरिद्वार, गढ़वाल में
रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन, 03 कि.मी
निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, 38 कि.मी
भगवान शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध
2023 में हरिद्वार की यात्रा।
हरिद्वार में दक्ष मंदिर जहां यज्ञ किया गया था और माता सती की बलि दी गई थी
हरिद्वार का अर्थ है उत्तरांचल प्रदेश में हरि का द्वार। हरि का अर्थ है भगवान विष्णु। हरिद्वार शहर को गंगा के तट पर स्थित भगवान श्री हरि (बद्रीनाथ) का प्रवेश द्वार माना जाता है। इसे गंगा द्वार तथा पुराणों में मायापुरी क्षेत्र कहा गया है। यह भारत के सात पवित्र स्थानों में से एक है। हरिद्वार में हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। इस विश्व प्रसिद्ध घाट पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। आइए हरिद्वार के दक्ष मंदिर के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हैं।
दक्षी मंदिर।
1. हरिद्वार से 4 किलोमीटर दक्षिण में स्थित दक्ष महादेव मंदिर उत्तराखंड का सबसे पुराना धार्मिक स्थल माना जाता है।
2. हर साल सावन के महीने में बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में आते हैं। मंदिर के मध्य में शिवलिंग स्थापित है।
3. यह मंदिर माता सती के पिता राजा दक्ष की स्मृति में बनवाया गया था।
4. किंवदंतियों के अनुसार, यहीं पर राजा दक्ष ने एक यज्ञ किया था, जिसके दौरान माता सती ने कूद कर खुद को भस्म कर लिया था। इसके कारण शिव के अनुयायी वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
5. इस मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम रानी दनकौर ने AD में करवाया था। 1810 में और 1962 में पुनर्निर्माण किया गया।
6. इस मंदिर में एक छोटा सा गड्ढा है। माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां माता ने यज्ञ अग्नि में छलांग लगाई थी।
7. यह मंदिर घंगाली के इलाके में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मपुत्र राजा दक्ष गंगाली के राजा थे और उनकी इच्छा के विरुद्ध, शिव ने सती से इस स्थान पर विवाह किया था।
कनखल का इतिहास (kanakhal ka itihaas)
कनखल एक छोटा सा गांव है जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है। इस गांव का इतिहास बहुत पुराना है और इसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है। इस गांव को महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन ने अपनी तलवार खींचकर खोला था।
कनखल का इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण है। इस गांव के पास अनेक तीर्थ स्थल हैं जो सदियों से भारत के धार्मिक एवं आध्यात्मिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं।
इस गांव में कुछ शासकों ने भी राज्य किया था। 16वीं शताब्दी में यह गांव गढ़वाल राज्य के अंतर्गत आता था। इसके बाद इस गांव के बारे में अधिक जानकारी नहीं है।
कनखल गांव उत्तराखंड के धार्मिक एवं आध्यात्मिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस गांव में एक विशाल मंदिर है जिसका नाम कनखली भैरव मंदिर है। यह मंदिर अपनी सुंदरता और शानदार स्थान पर अपने आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य से प्रसिद्ध है।
दक्ष मंदिर हरिद्वार (daksh mandir haridvaar)
दक्षेश्वर मंदिर हरिद्वार उत्तराखंड राज्य, भारत में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो महाभारत काल से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर भगवान शिव के पुत्र दक्ष प्रजापति की पूजा के लिए बनाया गया था।
इस मंदिर के इतिहास में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। दक्ष प्रजापति के यज्ञ के दौरान जब उन्हें अपमानित किया गया था, तो उन्होंने अपने शरीर को भस्म कर दिया था। इसके बाद भगवान शिव ने उनको जीवित कर दिया था। उसी स्थान पर दक्षेश्वर मंदिर बनाया गया था।
इस मंदिर का आकर्षण है उसकी सुंदरता और धार्मिक महत्व। यहां हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों शिव भक्त इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा करने आते हैं।
दक्षेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और इसकी स्थापना के समय से ही यहां अनेक तीर्थ स्थल थे। मंदिर के अंदर दक्ष प्रजापति की मूर्ति स्थापित है
राजा दक्ष का घर कहाँ था (raaja daksh ka ghar kahaan tha)
राजा दक्ष का घर हिमालय की तलहटी में स्थित था जिसे हरिद्वार के पास माना जाता है। यह घर महाभारत काल में भी महत्वपूर्ण था और महाभारत में भी इसका उल्लेख किया गया है।
दक्षायज्ञ के दौरान, जब भगवान शिव के बलिदान से रोका गया था, तब राजा दक्ष के घर में यह यज्ञ हो रहा था। यह घर उत्तराखंड के हरिद्वार शहर के पास स्थित है जो गंगा नदी के तट पर है। अन्य तीर्थ स्थलों की तरह, राजा दक्ष के घर का स्थान भी शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और इसे शिव-भक्तों के द्वारा विशेष महत्व दिया जाता है।
सती कुंड हरिद्वार (satee kund haridvaar)
सती कुंड एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो हरिद्वार के निकट स्थित है। यह स्थान महाभारत काल से ही महत्वपूर्ण है और हिंदू धर्म के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है।
सती कुंड के बारे में कुछ कहानियां हैं, जो इसे और भी रोमांचक बनाती हैं। यहां पर एक कहानी है कि राजा दक्ष ने अपनी पुत्री सती की शादी महादेव (शिव) से नहीं कराई थी। सती ने यह जानते हुए कि उनकी मृत्यु का कारण उनके पिता की इस असंवेदनशीलता ने है, वह आत्महत्या कर लेती हैं। इस आत्महत्या के बाद सती के शरीर को अंगारे में जलाया गया था।
इसी स्थान पर सती के अंतिम संस्कार के बाद सती कुंड नामक स्थान बना। यहां हिंदू धर्म के अनुयायी आकर श्रद्धालुओं के द्वारा सती की याद में आयोजित श्राद्ध किए जाते हैं। इस स्थान पर शिवरात्रि जैसे कुछ महत्वपूर्ण पर्व भी मनाए जाते हैं।
दक्ष कौन है (daksh kaun hai)
दक्ष एक प्राचीन हिंदू राजा थे जो पुराणों में उल्लेखित हैं। उन्हें हिंदू मिथकों और पौराणिक कथाओं में महादेव भगवान की पुत्री सती के पति के रूप में जाना जाता है। उन्होंने एक बड़ी यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें महादेव को नहीं आमंत्रित किया था। इसके अलावा, उन्होंने महादेव की ध्यानवस्तु शिवलिंग को भी नहीं शामिल किया था। इससे महादेव बहुत नाराज हो गए थे और उन्होंने अपनी पत्नी पार्वती के साथ दक्ष का वध कर दिया था। इस प्रकार, दक्ष हिंदू पौराणिक कथाओं और मिथकों में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं।
शिव ने दक्ष का वध क्यों किया (shiv ne daksh ka vadh kyon kiya)
हिंदू धर्म के अनुसार, राजा दक्ष ने अपनी पुत्री सती की शादी महादेव (शिव) से नहीं कराई थी और इसके कारण सती ने अपनी आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद, जब महादेव को इस बात का पता चला तो उन्हें बहुत दुःख हुआ था और उन्होंने सती के शरीर को लेकर तांडव नृत्य किया था।
राजा दक्ष ने बाद में शिव-भक्ति की ओर बढ़ते हुए अपनी उन्नति के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था और उसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया था। लेकिन उन्होंने महादेव को नहीं आमंत्रित किया था। इससे महादेव नाराज हो गए थे और उन्होंने अपनी पत्नी पार्वती के साथ यज्ञ स्थल पर आकर दक्ष का वध कर दिया था।
इस प्रकार, शिव ने दक्ष का वध उनकी असंवेदनशीलता और अहंकार के कारण किया था।
दक्ष ने शिव का अपमान कैसे किया (daksh ne shiv ka apamaan kaise kiya)
हिंदू म्यथोलॉजी के अनुसार, राजा दक्ष ने अपनी पुत्री सती की शादी महादेव (शिव) से नहीं कराई थी और इसके कारण सती ने अपनी आत्महत्या कर ली थी।
बाद में, जब दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन किया तो उन्होंने सभी देवताओं को आमंत्रित किया था, लेकिन महादेव को नहीं आमंत्रित किया था। इसके अलावा, दक्ष ने महादेव की ध्यानवस्तु शिवलिंग को भी नहीं शामिल किया था।
जब महादेव ने यह जाना तो वे बहुत नाराज हो गए थे और उन्होंने अपनी पत्नी पार्वती के साथ यज्ञ स्थल पर जाकर दक्ष का वध कर दिया था। इस प्रकार, दक्ष ने महादेव का अपमान किया था जो महादेव को बहुत नाराज कर गया था और उन्होंने उनका वध कर दिया।
दक्ष प्रजापति का सिर कैसे कटा (daksh prajaapati ka sir kaise kata)
दक्षेश्वर मंदिर हरिद्वार उत्तराखंड राज्य, भारत में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो महाभारत काल से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर भगवान शिव के पुत्र दक्ष प्रजापति की पूजा के लिए बनाया गया था।
इस मंदिर के इतिहास में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। दक्ष प्रजापति के यज्ञ के दौरान जब उन्हें अपमानित किया गया था, तो उन्होंने अपने शरीर को भस्म कर दिया था। इसके बाद भगवान शिव ने उनको जीवित कर दिया था। उसी स्थान पर दक्षेश्वर मंदिर बनाया गया था।
इस मंदिर का आकर्षण है उसकी सुंदरता और धार्मिक महत्व। यहां हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों शिव भक्त इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा करने आते हैं।
दक्षेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और इसकी स्थापना के समय से ही यहां अनेक तीर्थ स्थल थे। मंदिर के अंदर दक्ष प्रजापति की मूर्ति स्थापित है
शिव के पिता कौन है (shiv ke pita kaun hai)
हिंदू धर्म में, शिव के पिता का नाम विश्वरूप था और वह ब्रह्मा का एक अंश था। इसलिए शिव को तीनों देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) में से एक माना जाता है। शिव की माता का नाम मैना देवी था।
दक्ष ने शिव को क्या श्राप दिया था (daksh ne shiv ko kya shraap diya tha)
दक्ष ने शिव को एक बड़े यज्ञ के दौरान उनके अपमान का दोष देते हुए कुछ अपशब्द बोल दिए थे। उन्होंने शिव को असंगत भोजन माना था और यज्ञ में उन्हें नहीं बुलाया था। इसके बाद शिव की पत्नी सती ने अपनी इसी अपमान के लिए अपनी आत्मा को दहन कर दिया था।
उसके बाद, शिव ने दक्ष के यज्ञ को अवरुद्ध कर दिया था और उन्हें अमर्त्यु के वरदान को छोड़कर कुछ अन्य वरदान दिए थे। उन्होंने दक्ष को कहा था कि वह इस वरदान के बाद लोगों के मध्य में एक छिपे हुए जगह में रहेंगे और वहां से उन्हें नहीं देख पाएंगे।