गंगा प्राचीन मंदिर हरिद्वार की कथा-कहानी

 

  गंगा के किनारे बसे तीर्थस्थल और कुंभ नगरी हरिद्वार में कई प्राचीन मंदिर, आश्रम और तपोवन हैं।  यहां शक्ति त्रिकोण है यानी माता के तीन मुख्य मंदिर हैं।  मनसा देवी, चंडी देवी और महामाया शक्तिपीठ।  गंगा के तट पर ब्रह्मकुंड नामक एक तट है जहाँ कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।  यहां कई प्राचीन मंदिर और स्थान हैं।  गंगा मंदिर उनमें से एक है।

  1. हरिद्वार में हर की पौड़ी गंगा तट पर स्थापित गंगा माता मंदिर, गंगा मैया को समर्पित है।

  2. जब गंगा नदी दुर्गम पर्वतों को छोड़कर मैदानों में आती है तो यहाँ स्थित देवभूमि से होते हुए मैदानों में प्रवेश करती है।  इस कारण इसे गंगाद्वार भी कहा जाता है।

  3. ब्रह्मकुंड के पास, लगभग गंगा के किनारे को छूते हुए, एक बहुत छोटा गंगा मंदिर है जिसके अंदर गणेश की मूर्ति है।  हरिद्वार के ज्यादातर मंदिरों में कहीं न कहीं गंगा की मूर्ति जरूर होती है।  भी यहाँ स्थित है।

  4. शास्त्रों में गंगा को देवी का तरल अवतार माना गया है।  गंगा यहां की प्रमुख देवी हैं, जिनके भक्त यहां दर्शन के लिए ही आते हैं।

गंगा मंदिर कौनसे जिले में स्थित है (ganga mandir kaunase jile mein sthit hai)

गंगा मंदिर का स्थान:गंगा मंदिर भारत में उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।

गंगा पृथ्वी पर कब आई (ganga prthvee par kab aaee)

वैज्ञानिक अनुसंधानों के अनुसार, गंगा नदी लगभग 40 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर आई थी। यह प्राचीन समय में थे जब भारतीय महासागर क्षेत्र के समीप अधिकतर भूमि समुद्री थी। गंगा नदी की धारा भी इसी समय से चली आ रही है।

गंगा किसकी बेटी थी (ganga kisakee betee thee)

हिंदू धर्म के अनुसार, गंगा देवी भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हुई थी और उनकी मां राजमाता शांतनु की बेटी थीं। भगीरथ ने गंगा माता को पृथ्वी पर आने के लिए प्रार्थना की थी ताकि वह उनके पुरखों को मोक्ष दे सके। इस प्रार्थना पर गंगा देवी नदी के रूप में पृथ्वी पर आई थीं।

गंगा जी के पति कौन है (ganga jee ke pati kaun hai)

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा देवी के पति का नाम विश्वामित्र था। विश्वामित्र ऋषि एक प्रसिद्ध तपस्वी थे जिन्होंने बहुत साधना-तपस्या की थी। गंगा देवी और विश्वामित्र ऋषि के बीच कुछ पौराणिक कथाएं हैं, जो उनके रिश्ते के बारे में बताती हैं।

गंगा का पुराना नाम क्या था (ganga ka puraana naam kya tha)

गंगा नदी का पुराना नाम 'भगीरथी' था। इसका नाम भगीरथ ऋषि के नाम पर रखा गया था, जो इस नदी को पृथ्वी पर आने के लिए प्रार्थना करते थे। इस प्रार्थना के बाद गंगा देवी नदी के रूप में पृथ्वी पर आई थीं।

गंगा का जन्म कहाँ हुआ (ganga ka janm kahaan hua)

गंगा नदी का जन्म गोमुख नामक स्थान पर होता है, जो उत्तराखंड राज्य के चामोली जिले में स्थित है। गोमुख ग्लेशियर का एक हिस्सा है और यह गंगोत्री धाम के पास स्थित है। यहां से गंगा नदी का जन्म होता है और इसकी प्रारंभिक धारा शीतल जल से निकलती है।

गंगा जी पवित्र कैसे हुई (ganga jee pavitr kaise huee)

हिंदू धर्म के अनुसार, गंगा नदी को पवित्र बनाने का कारण था कि इसमें धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा देवी के पावन जल से नहाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष प्राप्त होता है।


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अन्य एक कथा के अनुसार, एक बार राजा सागर ने अपने यज्ञ के लिए अपने 60,000 पुत्रों को समुद्र की तलाश में भेजा था। जब उनके पुत्रों का समुद्र में मंदिरा नहीं मिला तो राजा सागर ने भगीरथ से उनके पुत्रों को वापस लाने के लिए प्रार्थना की। भगीरथ ने इसके लिए गंगा देवी को पृथ्वी पर आने के लिए प्रार्थना की थी। जब गंगा देवी नदी के रूप में पृथ्वी पर आई तो उसने सागर के पुत्रों को मोक्ष दिया था। इसलिए गंगा नदी को पवित्र माना जाता है।

गंगा के संस्थापक कौन थे (ganga ke sansthaapak kaun the)

गंगा के संस्थापक कोई व्यक्ति नहीं हैं। गंगा नदी अनेक सौर और नदीजल स्रोतों से निकलती है और इसे सबसे पवित्र नदी माना जाता है। 

सुरेश्वरी देवी मंदिर हरिद्वार की कथा-कहानी Sureshri Devi

हिंदू धर्म के अनुसार गंगा नदी को देवी माना जाता है जो अपने पावन जल से सभी पापों को धो देती है। इसलिए गंगा को मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसका सम्बंध उनके धर्म, संस्कृति और जीवन के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।

क्या हम गंगाजल का पानी पी सकते हैं (kya ham gangaajal ka paanee pee sakate hain)

जी हां, हम गंगाजल का पानी पी सकते हैं। गंगा नदी में पानी का उच्च स्तर और नदी की पावनता के कारण, इसे पीने के लिए अत्यंत सुरक्षित और स्वस्थ्यवर्धक माना जाता है। हालांकि, ध्यान रखना चाहिए कि नदी के कुछ भागों में पानी अधिक प्रदूषित हो सकता है, इसलिए उस स्थान पर पानी का सेवन नहीं किया जाना चाहिए। और अगर आप किसी अन्य शहर या स्थान में हैं, तो आपको अपनी स्थानीय पानी उपयोग करना चाहिए जो विशेषज्ञों द्वारा शुद्ध किया गया हो।

गंगाजी कौन सा धर्म है (gangaajee kaun sa dharm hai)

गंगा नदी को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। इसे हिंदू धर्म की सबसे पवित्र नदी माना जाता है जो अपने पावन जल से सभी पापों को धो देती है। हिंदू धर्म में गंगा जी को मां गंगा या गंगा देवी के रूप में पूजा जाता है और इसका सम्बंध उनके धर्म, संस्कृति और जीवन के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।

हरिद्वार के पीछे की कहानी क्या है (haridvaar ke peechhe kee kahaanee kya hai)

हरिद्वार उत्तराखंड राज्य के एक प्रमुख शहर है जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। इसके पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है:

हरिद्वार नाम संस्कृत में हरि और द्वार से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है कि यह भगवान विष्णु के द्वार है। वैदिक काल से ही हरिद्वार को तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता रहा है।

कहते हैं कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने हरिद्वार को अपनी संत धर्म की बुलंदी पर ले जाने के लिए काफी समय व्यतीत किया था। वह एक प्रचंड आध्यात्मिक व्यक्ति थे जो सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करते थे।

इसके अलावा, हरिद्वार के पास श्रृंगेरी ऋषि ने अपने तपस्या काल में भगवान शिव से वरदान मांगा था कि यह स्थान सदैव धर्म, ज्ञान, आध्यात्मिकता और संस्कृति का केंद्र बने रहे। भगवान शिव ने इसके लिए अपनी कृपा दर्शाई और यहां तीर्थ स्थल की उपलब्धि हुई।

इसी तरह से, गंगा नदी को भी हिंदू धर्म में पवित्रतम माना जाता है 

हरिद्वार की कहानी क्या है (haridvaar kee kahaanee kya hai)

हरिद्वार उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख शहर है जो गंगा नदी के तट पर स्थित है। हरिद्वार नाम संस्कृत में हरि और द्वार से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है कि यह भगवान विष्णु के द्वार है। वैदिक काल से ही हरिद्वार को तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता रहा है।

हरिद्वार का इतिहास बहुत पुराना है। वेदों और पुराणों में इसे उल्लेख किया गया है। महर्षि वेदव्यास ने यहां आध्यात्मिक ग्रंथ महाभारत का रचना किया था। वैदिक काल से ही यहां संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है।

हरिद्वार के पास श्रृंगेरी ऋषि ने अपने तपस्या काल में भगवान शिव से वरदान मांगा था कि यह स्थान सदैव धर्म, ज्ञान, आध्यात्मिकता और संस्कृति का केंद्र बने रहे। भगवान शिव ने इसके लिए अपनी कृपा दर्शाई और यहां तीर्थ स्थल की उपलब्धि हुई।

इसके अलावा, हरिद्वार गंगा नदी का एक महत्वपूर्ण तट है और गंगा नदी को हिंदू धर्म बहुत महत्वपर्ण हैं.

हरिद्वार को मायापुरी क्यों कहते हैं (haridvaar ko maayaapuree kyon kahate hain)

हरिद्वार को मायापुरी नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि हरिद्वार में गंगा नदी का पानी बहुत जल्दी बदल जाता है और इससे इसकी दृष्टि में चीजें बदलती रहती हैं, जैसे कि यहां के तीर्थों और प्राचीन मंदिरों की जगह बदल जाती है।

इसके अलावा, गंगा नदी में धोने वाले लोगों की संख्या भी बहुत ज्यादा होती है, जो इस पानी को माया या मायावी मानते हैं। इसी कारण से हरिद्वार को मायापुरी कहा जाता है।

हरिद्वार में कौन से भगवान है (haridvaar mein kaun se bhagavaan hai)

हरिद्वार भारत में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहां पर कई प्रमुख हिंदू धर्म के भगवान मंदिर स्थित हैं।

कुछ प्रमुख मंदिरों में शामिल हैं:

हर की पौड़ी में माना जाता है कि भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान नरसिंह का मंदिर है।

माया देवी मंदिर में माँ शक्ति की पूजा की जाती है।

चंडीदेवी मंदिर में माँ चंडी की पूजा की जाती है।

भगीरथी मंदिर गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है जहां पर भगीरथ ने गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की थी।

दक्षेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

इसके अलावा, हरिद्वार में कुछ अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी हैं जैसे रामकृष्ण मिशन, पवित्रा श्री योगमाया मंदिर, वैष्णव देवी मंदिर, गोपाल मंदिर, संतोषी माता मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर आदि।

हरिद्वार का पुराना नाम क्या है (haridvaar ka puraana naam kya hai)

हरिद्वार का पुराना नाम मयुरक्षि था। मयुरक्षि नाम संस्कृत शब्द "मयूर" और "अक्षि" से मिलकर बना है, जो कि मयूर और आँख का अर्थ होता है। इसे मयुराक्षि भी कहा जाता था। हरिद्वार के पुराने नाम में "मयूर" शब्द का इस्तेमाल उस समय के राजा के नाम पर था, जिसने इस स्थान को जन्मदाता जैसा बनाया था।

हर की पौड़ी का अर्थ क्या है (har kee paudee ka arth kya hai)

"हर की पौड़ी" शब्द का उच्चारण हिंदी भाषा में होता है। यह शब्द अनुशासन, सम्मान, और धर्म से संबंधित होता है। इसका अर्थ होता है "अभिवादन का स्थान" या "स्वागत का स्थान"। इसे धार्मिक स्थलों में उपयोग में लाया जाता है, जैसे मंदिरों, गुरुद्वारों, व धार्मिक सभाओं में जहां लोग अभिवादन करते हैं और धर्म संबंधी अनुष्ठानों में उपयोग में लाया जाता है।

हरिद्वार इतना प्रसिद्ध क्यों है (haridvaar itana prasiddh kyon hai)

हरिद्वार भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह गंगा नदी के किनारे स्थित है और हिंदू धर्म में यह स्थान महत्त्वपूर्ण है। कुछ मुख्य कारण हैं जो हरिद्वार को एक प्रसिद्ध स्थान बनाते हैं:

गंगा स्नान: हरिद्वार में गंगा नदी का महत्त्व बहुत अधिक है। लोग यहां आकर गंगा स्नान करते हैं जो हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

धार्मिक स्थल: हरिद्वार में अनेक ऐसे मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जो हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। इनमें हर की पौड़ी, माया देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर और मंसा देवी मंदिर शामिल हैं।

कुंड और तीर्थ स्थल: हरिद्वार में अनेक कुंड और तीर्थ स्थल हैं जो धार्मिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। मंगल मैदान कुंड, सप्त ऋषि कुंड और चिल्ला कुंड इसमें शामिल हैं।

उत्सव: हरिद्वार में अनेक उत्सव मनाए जाते हैं जो भारतीय संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हैं.

हरिद्वार का इतिहास (haridvaar ka itihaas)

हरिद्वार का इतिहास बहुत पुराना है। इसे अनेक नामों से जाना जाता है जैसे मयूर नगरी, कपिस्थली और गंगाद्वार। हरिद्वार शब्द का अर्थ होता है "हरि का द्वार" जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान के रूप में जाना जाता है।

इस स्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार ऋषि द्रोणाचार्य द्वारा प्राचीन काल में स्थापित किया गया था। महाभारत में भी हरिद्वार के उल्लेख को मिलता है।

सन् 789 ई. में हरिद्वार को अफगानिस्तान से आए हुए इस्लामी व्यापारियों ने लूटा था। इसके बाद स्थान ने कुछ समय तक छुट्टी पाई।

12वीं शताब्दी में हरिद्वार में विश्वनाथ मंदिर निर्मित हुआ था। मुगल सम्राट अकबर ने भी हरिद्वार का दौरा किया था। इसके बाद हरिद्वार ब्रिटिश सम्राटों के अधीन हुआ था और उन्होंने यहां अपनी सेना का कैंप बनाया था।

स्वतंत्रता संग्राम के समय हरिद्वार भी एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया

हरिद्वार क्यों प्रसिद्ध है (haridvaar kyon prasiddh hai)

हरिद्वार हिंदू धर्म के धार्मिक महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। यह एक पवित्र नदी गंगा के तट पर स्थित है जो हिंदू धर्म के लिए पवित्रतम नदी मानी जाती है। यहां स्नान करने से लोगों को मुक्ति मिलने की आशा की जाती है।

इसके अलावा, हरिद्वार अपनी सुंदरता और आसपास के पर्यटन स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यहां अनेक मंदिर और घाट हैं जो इस स्थान को धार्मिक और पर्यटकों के लिए एक स्वर्गीय स्थल बनाते हैं।

इसके अलावा, हरिद्वार कुंड मेला जैसी बड़ी मेलों का आयोजन करता है जो देश भर से लोगों को आकर्षित करता है। इस मेले में हिंदू धर्म संस्कृति, भोजन और हस्तशिल्प जैसे कई विषयों पर जानकारी मिलती है।

इसलिए, हरिद्वार धार्मिक और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है जो उन्हें आकर्षित करता है।

हरिद्वार जिला कब बना (haridvaar jila kab bana)

हरिद्वार जिला उत्तराखंड राज्य का एक जिला है। यह जिला ब्रिटिश शासन के समय में बनाया गया था जब यह गाजपुर जिले का एक उप-जिला था।

ब्रिटिश शासन के समय में हरिद्वार उप-जिला को अलग करके उत्तर प्रदेश राज्य में एक अलग जिला के रूप में स्थापित किया गया था। इसके बाद 9 नवंबर 2000 को यह उत्तराखंड राज्य के एक जिले के रूप में स्थापित किया गया।

हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिर (haridvaar ke prasiddh mandir)

हरिद्वार भारत में हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है जहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहां कुछ प्रमुख मंदिरों के नाम निम्नलिखित हैं:

हर की पौड़ी मंदिर: यह हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जो गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल है जहां स्नान करने से उन्हें पुण्य मिलता है।

मंसा देवी मंदिर: यह मंदिर हिंदू धर्म में माना जाता है कि इस मंदिर की पूजा से मां मंसा देवी अपनी कृपा बरसाती हैं।

चंडी देवी मंदिर: यह मंदिर मां चंडी को समर्पित है जो हिंदू धर्म में शक्ति की देवी के रूप में जानी जाती है।

भरत माता मंदिर: यह मंदिर भारत माता के समर्पित है जो हिंदू धर्म में देश की माता के रूप में जानी जाती है।

प्रेम मंदिर: यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण और उनकी प्रिय राधा के समर्पित है।

भीम शिला मंदिर: यह मंदिर पांडवों के महाभारत के युद्ध से संबंधित है और इसमें भीम का अहम मंदिर शामिल  हैं. 

हरिद्वार जाने के नियम (haridvaar jaane ke niyam)

हरिद्वार जाने के नियमों को ध्यान में रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। नीचे दिए गए कुछ नियम हैं जो हरिद्वार जाने से पहले जानने चाहिए:

समय सीमा: हरिद्वार की समय सीमा भारतीय मानक समय (IST) पर आधारित है।

समाचार पत्र या इंटरनेट की सुविधा: हरिद्वार जाने से पहले आपको स्थानीय समाचार पत्रों या इंटरनेट के माध्यम से जानकारी लेनी चाहिए।

धर्म के नियमों का पालन: हरिद्वार एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है, इसलिए यह आपके लिए जरूरी है कि आप धर्म के नियमों का पालन करें।

प्रदूषण कम करें: हरिद्वार एक प्रकृति स्थल है जिसे आपको स्वच्छ रखना चाहिए। आपको प्रदूषण कम करने के लिए बोतल के पानी का उपयोग करना चाहिए।

यात्रा प्राथमिकता: हरिद्वार एक बहुत ही भीड़ भरी जगह है, इसलिए आपको अपनी यात्रा प्राथमिकता के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।

उपयुक्त कपड़े पहनें: हरिद्वार में मंदिरों और स्नान के स्थलों पर उपयुक्त कपड़े पहनने की जरूरत होती हैं. 

हरिद्वार के गांव (haridvaar ke gaanv)

हरिद्वार जिले में कई छोटे और बड़े गांव हैं जो स्थानीय लोगों की आधारभूत जीवन पद्धति को दर्शाते हैं। इनमें से कुछ गांवों के नाम निम्नलिखित हैं:

बहादराबाद: यह एक बड़ा गांव है जो हरिद्वार से लगभग 11 किलोमीटर दूर है। यह गांव वैष्णव संप्रदाय के एक प्रसिद्ध मंदिर श्री बीबीजी का घर माना जाता है।

कांगड़ी: यह एक छोटा सा गांव है जो हरिद्वार से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। इस गांव में एक प्राचीन मंदिर है जो श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है।

झरसा: यह गांव हरिद्वार से लगभग 14 किलोमीटर दूर है और यहां श्री हनुमान मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है।

जोहरीपुर: यह एक बड़ा गांव है जो हरिद्वार से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। इस गांव में एक प्राचीन मंदिर है जो श्री ज्वालादेवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

चंड्रावती: यह गांव हरिद्वार से लगभग 16 किलोमीट पर हैं. 




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