नमस्कार दोस्तों, आज इस उत्तराखंड दर्शन पोस्ट में हम आपको उत्तराखंड राज्य में स्थित प्रसिद्ध धाम "केदारनाथ धाम यानी केदारनाथ धाम का इतिहास" के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, अगर आप बाबा केदारनाथ धाम का इतिहास जानना चाह रहे हैं तो: इस पोस्ट को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
Kedarnath Temple भारत के उत्तराखंड राज्य में रुद्रप्रयाग जिले में स्थान पर स्थित है।
उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में स्थित केदारनाथ मंदिर चार धाम और पंच केदार में से एक है उत्तराखंड हिमालय पर्वत की गोद में स्थित है। यह भारत के उत्तरी भाग में स्थित है और इसे 'देवभूमि' और 'शिवलिक हिमालय' के नाम से भी जाना जाता है। यह राज्य अपने घने वनों, ऊँचे पर्वत शिखरों, गंगा नदी के स्रोतों, धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड में कई जंगली जानवर भी पाए जाते हैं जैसे कि बाघ, हाथी, तेंदुआ, लैंगुर आदि।और बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल है।
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यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा शिव मंदिर है, जो कटे हुए पत्थरों के विशाल खंडों को जोड़कर बनाया गया है। ये पत्थर भूरे रंग के होते हैं। मंदिर करीब 6 फीट ऊंचाई चबूतरे बना हुआ है। इस तीर्थ प्राचीन समय से है, जिसे लगभग 80वीं शताब्दी के आसपास में बनवाया गया था ।
केदारनाथ धाम और मंदिर तीन तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। एक तरफ लगभग 22,000 फीट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंचा खार्चकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है।
केदारनाथ मंदिर न केवल तीन पहाड़ों का संगम है बल्कि मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्गगौर जैसी पांच नदियों का संगम भी है।
इनमें से कुछ नदियाँ अब मौजूद नहीं हैं, लेकिन अलकनंदा की एक सहायक नदी मंदाकिनी अभी भी मौजूद है।
( केदारनाथ धाम के इतिहास के साथो-साथ केदारनाथ धाम की मान्यताएं भी पढ़ें।)
केदारनाथ धाम के इतिहास के अनुसार केदारनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
केदारेश्वर धाम केदारनाथ मंदिर के तट पर स्थित है। कथीरू शैली में पत्थर से बने केदारनाथ मंदिर का इतिहास पांडव वंश के जनमेजय द्वारा निर्मित बताया जाता है। लेकिन यह भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने की थी। केदारनाथ के पुजारी केवल मैसूर के जंगम ब्राह्मण हैं। (केदारनाथ धाम का इतिहास!)
श्री केदारनाथ मंदिर में शंकर की पूजा बैल की पीठ वाले शरीर के रूप में की जाती है। शिव के हाथ तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और केश कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसीलिए श्री केदारनाथ को इन चार स्थानों के साथ "पंचकेदार" कहा जाता है।
यहां भगवान शिव का एक बड़ा मंदिर बनाया गया था।
केदारनाथ धाम का इतिहास। (kedaaranaath dhaam kee katha)
भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि एक बार हिमालय के केदार पर्वत पर तपस्या कर रहे थे। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके अनुरोध के अनुसार उन्हें ज्योतिर्लिंग के रूप में शाश्वत निवास प्रदान किया। यह स्थान केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक सींग पर स्थित है।
पंचकेदार (kedaaranaath ka itihaas)
ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध जीतने के बाद पांडव भ्रातृहत्या (परिवार के सदस्यों की हत्या) के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए वह भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता था। लेकिन भगवान शंकर पांडवों से नाराज हो गए। पांडव भगवान शंकर के दर्शन के लिए काशी गए लेकिन वहां भगवान शंकर पांडवों को नहीं मिले। वे उसकी तलाश में हिमालय पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को छोड़ना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने वहीं से विचार किया और केदार में बस गए। उधर पांडव भी जोश के पक्के थे, वे उनका पीछा करते हुए केदार पहुंचे थे।
भगवान शंकर ने एक बैल का रूप धारण किया और अन्य जानवरों में शामिल हो गए। पांडवों को संदेह था कि भगवान शंकर जानवरों के इस झुंड में मौजूद हैं। इस वजह से भीम ने अपना विशाल रूप धारण किया और दोनों पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए।
अन्य सभी गाय और बैल तो चले गए, लेकिन शंकर जी बैल का रूप धारण करके उनके पैरों के नीचे प्रवेश करने को तैयार नहीं हुए। भीम ने तब अपनी पूरी ताकत से बैल पर खुद को फेंका, लेकिन बैल जमीन में दबने लगा। तब भीम ने बैल की पीठ पकड़ ली। और भगवान शंकर पांडवों की भक्ति और दृढ़ संकल्प को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने पांडवों को तुरंत ही उन्हें तलशा देकर उनके पापों से मुक्त कर दिया। तब से, भगवान शंकर की पूजा बैल की पीठ के समान शरीर के रूप में श्री केदारनाथ धाम में की जाती है। (केदारनाथ धाम का इतिहास!)
इसलिए केदारनाथ धाम में शिवजी की बहुत पूजा की जाती है।
केदारनाथ मंदिर की कहानी (kedaaranaath mandir kee kahaanee)
केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है और हिमालय के श्रृंखलाओं में स्थित है। यह हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थस्थान है और शिव जी के लिए एक प्रमुख पूजा स्थल है।
केदारनाथ मंदिर की कहानी बहुत पुरानी है और इसके बारे में कई किस्से-कहानियां हैं। इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था, जब पांडवों ने यहां शिव जी की पूजा की थी। यह मंदिर मूल रूप से भगवान शिव को समर्पित है।
एक कथा के अनुसार, केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव ने अपने आप को एक बैल के रूप में प्रकट किया था। जब युद्ध के बाद पांडवों ने यहां शिव जी की पूजा की तो शिव जी ने उनसे अपनी प्रतिमा बनाने के लिए कहा था। पांडवों ने उस बैल को शिव जी का रूप मान लिया और उसकी तस्वीर बनाई गई।
दूरी कथा के अनुसार, केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। वे यहां भगवान शिव की मूर्ति का प्रतिष्ठापन करने आए थें.
केदारनाथ में स्वर्ग से हवा आती है (kedaaranaath mein svarg se hava aatee hai)
केदारनाथ एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है जो उत्तराखंड राज्य के गर्हवाल जिले में स्थित है। यहां हिंदू धर्म के देवता भगवान शिव की भव्य मंदिर स्थित है।
यह कहा जाता है कि केदारनाथ में स्वर्ग से हवा आती है। यह बात धार्मिक मान्यताओं के आधार पर है जो इस स्थान को एक दिव्य तीर्थस्थल के रूप में मानते हैं। इस मान्यता के अनुसार, यहां भगवान शिव ध्यान में लगे रहते हैं और इस तरह से यहां की हवा पवित्र होती है जो स्वर्ग से आती है।
यहां की सुंदर प्रकृति और दिव्य माहौल इसे एक अनोखी जगह बनाते हैं जो धार्मिक तथा आध्यात्मिक आदर्शों के साथ-साथ पर्यटकों के बीच भी लोकप्रिय है।
केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया (kedaaranaath mandir kisane banavaaya)
केदारनाथ मंदिर का निर्माण हिंदू धर्म के देवता भगवान शिव की उपासना के लिए किया गया था। इस मंदिर का निर्माण पौराणिक काल में हुआ था और इसके बारे में कई कथाएं हैं।
एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने भगवान शिव की उपासना करते हुए इस मंदिर का निर्माण किया था। दूसरी कथा के अनुसार, अधिशंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया था।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण प्राचीन काल से ही हुआ होने का सुझाव देती हैं क्योंकि इस स्थान को ऋषियों ने पूजनीय माना था। मंदिर के निर्माण में कई लोगों ने योगदान दिया होगा। लेकिन, उल्लेखनीय है कि मंदिर के निर्माण से जुड़ी अधिकांश जानकारी इतिहास की धार्मिक और पौराणिक कथाओं तथा स्थानीय मान्यताओं पर आधारित होती है।
केदारनाथ मंदिर का रहस्य (kedaaranaath mandir ka rahasy)
केदारनाथ मंदिर के बारे में कुछ रहस्य वास्तव में हो सकते हैं, लेकिन इनका कोई ठोस सबूत नहीं है। यहां कुछ रोचक रहस्यों के बारे में बताया जा रहा है, जो लोगों के बीच चर्चा के विषय बनते हैं।
मंदिर के दो पांच मीटर ऊँचे बटाशे केदारनाथ मंदिर के ऊपर के दो पांच मीटर ऊँचे बटाशे होते हैं, जो सोने से बने हुए हैं। इन बटाशों के वजन को लेकर कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि इन्हें मंदिर में कैसे पहुँचाया गया था? इसका जवाब हो सकता है कि शायद वे पहले से ही मंदिर के स्थान पर मौजूद थे या फिर पहाड़ से यहां ले जाया गया था।
मंदिर के भित्तियों में छिपे खजाने केदारनाथ मंदिर के भित्तियों में छिपे खजाने के बारे में भी कुछ अज्ञात बातें हैं। कुछ लोग इस बात को दावा करते हैं कि इस मंदिर में छिपे खजानों में भारत की आर्थिक इतिहास की बड़ी जानकारियां हो सकती हैं। लेकिन, इस बात की कोई ठोस सबूत नहीं है
केदारनाथ के बारे में हिंदी में (kedaaranaath ke baare mein hindee mein)
केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य में हिमालय की गोद में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां शिवलिंग की पूजा की जाती है। यह मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है और भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थलों में से एक है।
केदारनाथ मंदिर को शंकराचार्य ने बनवाया था और इसे मध्यकालीन काल में सुधारा गया था। यह मंदिर प्राचीन वास्तु शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसकी विशालता और अद्भुत आकृति देखने लायक है।
केदारनाथ मंदिर में पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों की विशेष भावनाएं होती हैं। यहां हर साल केदारनाथ यात्रा आयोजित की जाती है जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यहां पहुंचने के लिए यात्रियों को ट्रेकिंग करना पड़ता है जिसमें यात्रियों को धूल, धूम्रपान और अन्य चीजों का पाबंदी किया जाता है।
केदारनाथ की असली कहानी क्या है (kedaaranaath kee asalee kahaanee kya hai)
केदारनाथ मंदिर के पीछे एक कथा है जो हिंदू धर्म के पुराणों में उल्लेखित है।
अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने भगवान शिव की आराधना की थी और वे उनकी कृपा से विजयी हुए थे। उन्होंने एक बड़ी यात्रा की थी जो केदारनाथ तक पहुंचती थी। यहां, पांडवों ने भगवान शिव का दर्शन किया था और उन्होंने इस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया था। इस प्रकार, केदारनाथ मंदिर की नींव पांडवों द्वारा रखी गई थी।
दूसरी कथा के अनुसार, केदारनाथ मंदिर के स्थान पर पहले एक राक्षस नाम भीमशंकर रहता था जो लोगों को परेशान करता था। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना से उन्हें मुक्ति दी थी और उन्होंने उस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया था। यहां पर बाद में मंदिर का निर्माण हुआ और भगवान शिव को समर्पित किया गया।
इन कथाओं के अलावा, केदारनाथ मंदिर के रहस्यों और इतिहास को अन्य पुराणों और इतिहासों में भी बताया जाता है।
बाबा केदारनाथ की उत्पत्ति कैसे हुई (baaba kedaaranaath kee utpatti kaise huee)
बाबा केदारनाथ की उत्पत्ति बहुत पुरानी है और इसका अनुमान लगाया जाता है कि इसकी उत्पत्ति का समय महाभारत काल से भी पहले का हो सकता है।
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हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी तपस्या के दौरान इस स्थान पर निवास किया था और उन्होंने इस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया था। इस प्रकार, केदारनाथ का मंदिर भगवान शिव के समर्पण में हो गया।
दूसरी कथा के अनुसार, केदारनाथ मंदिर के स्थान पर पहले एक राक्षस नाम भीमशंकर रहता था जो लोगों को परेशान करता था। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना से उन्हें मुक्ति दी थी और उन्होंने उस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया था। यहां पर बाद में मंदिर का निर्माण हुआ और भगवान शिव को समर्पित किया गया।
कुछ लोग केदारनाथ के मंदिर को पांडवों ने बनवाया है क्योंकि महाभारत काल में भगवान शिव की आराधना के लिए यहां पहुंचा जाता था। हालांकि, इन सभी कथाओं के अलावा कुछ लोगों का मानना है
केदारनाथ मंदिर की स्थापना कब हुई थी (kedaaranaath mandir kee sthaapana kab huee thee)
केदारनाथ मंदिर की स्थापना की तारीख स्पष्ट नहीं है। इस मंदिर के इतिहास में कई बार बाढ़, जलवायु परिवर्तन और तबाही जैसी कई आपदाएं आई हैं जो इसे बार-बार निर्माण करने के लिए बाध्य करती रही हैं।
यहां पर एक स्थानीय मान्यता है कि मंदिर की स्थापना कुछ 1000 से 1200 वर्ष पहले की गई थी। हालांकि, इसे समर्थित करने के लिए कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मंदिर की वास्तुकला ने गुप्तकाल और पोष्ट-गुप्तकाल की वास्तुकला के साथ मिलान किया हुआ है, जो लगभग 11वीं या 12वीं शताब्दी के आसपास की होती है।
इसलिए, केदारनाथ मंदिर की स्थापना की तारीख के बारे में निर्णय लेना कठिन है और इसके बारे में विभिन्न मत हैं।
केदारनाथ मंदिर किसने और क्यों बनवाया था (kedaaranaath mandir kisane aur kyon banavaaya tha)
केदारनाथ मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। शंकराचार्य ने भारत के अनेक मंदिरों की स्थापना और पुनर्निर्माण किए थे जिसमें केदारनाथ मंदिर एक है।
कुछ लोगों के अनुसार, केदारनाथ मंदिर का निर्माण तब हुआ था, जब शंकराचार्य ने इस क्षेत्र में अपने धार्मिक यात्राओं के दौरान शिवलिंग की पूजा की थी। इससे पूर्व, केदारनाथ क्षेत्र में एक प्राचीन मंदिर था जो अब तक मौजूद है और जिसे शंकराचार्य ने उत्तराखंड में संस्कृति और धर्म के आधार के रूप में बनाए रखने के लिए पुनर्निर्माण करवाया था।
केदारनाथ मंदिर को बनवाने का मुख्य उद्देश्य शंकराचार्य के समय में हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में उसकी संरक्षा और प्रचार-प्रसार करना था। शंकराचार्य के बाद से भी केदारनाथ मंदिर को समय-समय पर पुनर्निर्माण किया जाता रहा है।
पांडवों ने केदारनाथ क्यों बनवाया था (paandavon ne kedaaranaath kyon banavaaya tha)
पांडवों द्वारा केदारनाथ मंदिर के बनवाने का कोई ऐसा इतिहासिक बाकी नहीं है। हालांकि, मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने भगवान शिव की पूजा करते हुए केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया था।
इसके अलावा एक अन्य पौराणिक कथा है जो कहती है कि पांडवों के नाम से जाना जाने वाला राजा केदार भी इस क्षेत्र में रहता था। उन्होंने शिव की अति उत्साहपूर्ण पूजा की थी और शिव ने उन्हें एक वरदान दिया था कि उन्हें शिवलिंग को जब भी ढूंढना होगा तो वह उसे पाएंगे। पांडवों के बाद उनके वंशज ने उस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया था जो आज भी मौजूद है।
यह सभी कथाएं धार्मिक महत्व वाले केदारनाथ मंदिर के इतिहास से संबंधित हैं, लेकिन इनमें किसी भी कथा के प्रमाणित होने का कोई आधार नहीं है।
केदारनाथ शिवलिंग के पीछे क्या कहानी है (kedaaranaath shivaling ke peechhe kya kahaanee hai)
केदारनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग के पीछे एक रोचक कहानी है। अनुसंधान के दौरान पाया गया है कि शिवलिंग के पीछे एक छोटी सी गुफा है जिसे गर्भगृह के रूप में भी जाना जाता है।
मान्यता है कि इस गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को गुप्त रूप से संगम कराया था। जब भगवान शिव अपनी तपस्या कर रहे थे तो माता पार्वती ने उन्हें नहीं देखा था। इसलिए शिव ने गुप्त रूप से उनसे संगम कराने का निर्णय लिया था।
इस गुफा का रहस्य बहुत समय तक संरक्षित रहा था, जब तक कि इसे 1983 में खुलवाया नहीं गया था। इस गुफा में शिवलिंग के अलावा कुछ अन्य धार्मिक आइटम भी पाए गए थे, जैसे गंगा जल के बर्तन और छटा। गुफा आज भी केदारनाथ मंदिर के एक प्रमुख आकर्षण के रूप में जानी जाती है।
केदारनाथ का महाभारत से क्या संबंध है (kedaaranaath ka mahaabhaarat se kya sambandh hai)
केदारनाथ का महाभारत से गहरा संबंध है। महाभारत में उल्लेख है कि पांडवों के द्वारा अपनी पश्चाताप के लिए भगवान शिव का ध्यान और पूजन किया गया था। इस पश्चाताप के बाद, पांडवों ने अपने पापों को धोने के लिए अनेक तीर्थ स्थलों पर जाया था। इस दौरान भी उन्होंने केदारनाथ का दर्शन किया था।
महाभारत में इसके अलावा भी कई रोचक कथाएं हैं जो केदारनाथ से जुड़ी हुई हैं। उदाहरण के लिए, इसमें उल्लेख है कि भगवान शिव ने अपनी गुप्त संगति के लिए केदारनाथ में छिपे थे जब उन्हें माता पार्वती ने ढूंढ़ लिया था। उस समय संगति को देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि वे क्यों वहाँ छिपे हुए हैं। उन्होंने बताया कि यहां पृथ्वी का आधार है, इसलिए वे यहां हैं। इस प्रकार, केदारनाथ अनेक धार्मिक और महत्वपूर्ण कथाओं से जुड़ा हुआ है।