सबसे अच्छा और आकर्षण। पराहेडा बांसवाड़ा की गढ़ी तहसील में पार्थपुर शहर के पास स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है।
मंदिर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
एक बड़ी सभा को आकर्षित करने वाला सबसे लोकप्रिय अवसर 'महाशिवरात्रि' है, जब भक्त आते हैं और रुद्राभिषेक पूजा समाप्त होने तक दीया/दीपक कहे जाने वाले अपने जले हुए मिट्टी के मोमबत्तियों के साथ मंदिर परिसर के चारों ओर बैठते हैं। वे उस दिन उपवास करते हैं और पूजा समाप्त होने के बाद ही ("महाप्रसाद") खाते हैं। शिवरात्रि की रात मेले और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे धार्मिक गीत और भगवान शिव को समर्पित भजन आयोजित किए जाते हैं।
भगवान महादेव के नेतृत्व में भक्तों द्वारा शहर की सड़क पर एक विशाल जुलूस निकाला जाता है ताकि पूरा शहर भगवान शिव की मूर्ति को देख सके और हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर अपना हार्दिक सम्मान दे सके।
भक्त, जिन्हें 'कांवरिया' के नाम से जाना जाता है, जो 'शिव' लिंग के श्रावण (हिंदू कैलेंडर के प्रारंभ में) के महीने में नारंगी रंग के कपड़े पहनते हैं और पवित्र नदियों के पानी से भरे कमडालु को पकड़े हुए अपने नंगे पैरों के साथ लंबी यात्रा करते हैं। पर। जुलाई के अंत से अगस्त के तीसरे सप्ताह तक रहता हैं ।
मंदिर के बारे में
पराहेडा शिव मंदिर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से लगभग 25 किमी दूर स्थित है। यह अपनी बेहतरीन राजपूत शैली की वास्तुकला और दीवार की मूर्तियों पर कुशल नक्काशी के लिए जाना जाता है। यह अन्य छोटे शिव मंदिरों से घिरा हुआ है जो इस स्थान को भगवान शिव के प्रति आपकी भक्ति व्यक्त करने के लिए आदर्श बनाता है।
सोमनाथ मंदिर के बारे में क्या खास है somanaath mandir ka rhsy
इसकी भीतरी दीवार पर आप कुछ आकर्षक कला और मूर्तियां देख सकते हैं जो आपको प्राचीन हिंदू महाकाव्यों और पौराणिक कथाओं में लिखी गई कहानियां सुनाएंगी। यह स्थान अभी भी शाही परिवार के स्वामित्व में है और अन्य मंदिरों के विपरीत इसका प्रबंधन और रखरखाव किया जाता है। ।
pic Credit: __sam_onyx___यदि आप बांसवाड़ा में हैं, तो आप पराहेडा शिव मंदिर और इसके आसपास के क्षेत्र में जाने पर विचार कर सकते हैं जो आपके लिए एक अद्भुत और यादगार अनुभव होगा।
दुनियां का सबसे पावरफुल अच्छर कौन हैं-सबसे बढ़िया अक्षर कौन सा है (who is the most powerful good in the world)
ओम (ॐ) एक प्राचीन धार्मिक शब्द है जो भारतीय धर्मों, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में प्रयोग किया जाता है। यह एक ध्वनि है जो शांति, स्थिरता और एकाग्रता का प्रतीक है। इसका उच्चारण शरीर, मन और आत्मा को संयोजित करने की शक्ति होती है जो मन को शांत और तनावमुक्त बनाती है।
ओम को ध्यान करने या जप करने से शांति, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है जो शरीर, मन और आत्मा के बीच बाँध को कम करती है। इसके अतिरिक्त, ओम को एक सबसे अधिक प्रभावशाली शब्द माना जाता है जो मन, शरीर और आत्मा के संयोजन को समर्थित करता है और उन्हें एक ऊर्जावान और स्वस्थ जीवन के लिए प्रोत्साहित करता है।
अक्षरों के महत्व में कोई भेदभाव नहीं होता है। हर अक्षर अपनी अहमियत रखता है और सभी अक्षर एक समान महत्व रखते हैं। यह भाषा के साथ बढ़िया संबंध बनाने के लिए आवश्यक है कि हम सभी अक्षरों का सम्मान करें।
दुनिया में कई पावरफुल अक्षर हो सकते हैं, लेकिन सबसे शक्तिशाली विद्वत्ता को मापने के लिए कुछ मापदंड हो सकते हैं जैसे कि उपयोगिता, प्रभाव, व्यापकता और शक्ति।
इस प्रकार, अंग्रेजी भाषा के लिए, "e" या "a" शायद सबसे अधिक उपयोगित और व्यापक हो सकते हैं, लेकिन यह समझना मुश्किल होता है कि कौन सबसे पावरफुल है। अक्षरों की शक्ति और महत्व को निर्धारित करना अत्यंत सुविधाजनक नहीं होता है, क्योंकि यह बहुत समस्याएं उत्पन्न कर सकता है जैसे कि नृत्य, संगीत और साहित्य के विषय में आपस में मतभेद हो सकता है।
इसलिए, इस सवाल का सीधा जवाब नहीं हो सकता है, क्योंकि यह विभिन्न मानकों और अभिव्यक्ति के भिन्न-भिन्न ढंगों पर निर्भर करता है।
शिव महिमा कथा (shiv mahima katha)
शिव महिमा कथा हमें शिव के महत्व को समझाती है। इस कथा का वर्णन पुराणों में किया गया है और इसमें शिव के भक्तों द्वारा उनकी महिमा का गुणगान होता है। इस कथा के अनुसार, शिव जगदंबा के समान महत्वपूर्ण हैं और उन्हें भक्ति की दृष्टि से पूजा जाता है।
शिव महिमा कथा में बताया जाता है कि शिव को नीलकंठ (नीले गले वाले) के नाम से भी जाना जाता है। इस कथा में शिव के विभिन्न रूपों और उनके महत्व का वर्णन भी किया गया है।
शिव महिमा कथा में शिव की तारीफ करते हुए उनकी महिमा के कुछ बिंदुओं को नीचे बताया जा रहा है:
शिव को महादेव के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें सृष्टि का संचालक और विनाशक माना जाता है।
शिव का तृप्त होना बहुत आसान होता है और उन्हें गंगा जल के समान शुद्धता पसंद होती है।
शिव को महाकाल के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें समय का संचालक माना जाता है और उनकी विभूति की एक अधिक महत्वपूर्ण होता हैं.
शिव महिमा स्तोत्र (shiv mahima stotr)
शिव महिमा स्तोत्र शिव की महिमा को स्तुति करने के लिए गाया जाता है। यह स्तोत्र प्रसिद्ध वेद पुराणों में से एक है जो शिव के भक्तों द्वारा उनकी पूजा में उत्साहपूर्वक गाया जाता है। इस स्तोत्र में शिव के विभिन्न रूपों और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
यहां शिव महिमा स्तोत्र के कुछ पंक्तियां दी जा रही हैं:
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥
अर्थात्: मैं उस नमामीशान को नमस्कार करता हूँ, जो निर्वाण स्वरूप है, सर्वव्यापी है, ब्रह्म के स्वरूप है। वह निज, निर्गुण, निर्विकल्प, निरीह और चिदाकाश है, जो आकाश के समान विस्तृत है और उसी में निवास करता है।
कलातीतकल्पान्तकारी सदासद्विमुखी प्रणमामीहरीम्। मणिपूरभवभ्रमद्वयान्तकारी शशिप्रभाभासमानान्तकारी॥
अर्थात्: मैं हरी को नमस्कार करता हूँ,
शिव महिमा भजन (shiv mahima bhajan)
शिव महिमा भजन शिव की महिमा को गुणगान करने वाला एक भजन है जो शिव भक्तों द्वारा उनकी पूजा में उत्साह से गाया जाता है। इस भजन में शिव की अनंत महिमा का वर्णन किया गया है। यहां इस भजन के कुछ पंक्तियां दी जा रही हैं:
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलं गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥
अर्थात्: जो शिव हैं वे जटाधारी हैं और उनके लिए गंगा नदी उनकी जटाओं से बहती है। वे सारे विश्व के पवित्र स्थान हैं और उनकी भुजाओं पर तुंग नागों की माला लटकती है। उनका नाद डमड्डमड्डम है और उन्होंने चंडताण्डव नृत्य किया। आशा है कि शिव हमें भक्ति के रूप में अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
शिव की महिमा पर शायरी (shiv kee mahima par shaayaree)
कुछ लोग देते हैं दुआ, कुछ लोग करते हैं दुआ, हमने शिव को दुआ में माँगा, और शिव ने हमें खुद बना दिया दुआ।
जो समझता है शिव को, वह जानता है संसार को, शिव की महिमा जिसने पाई, उसे मिली नहीं कभी हार को।
शिव ही तो हैं संसार का उद्धार, शिव ही तो हैं जगत के निर्माता, शिव ही तो हैं सबका पालनहार, शिव की महिमा निराली है अपार।
शिव की महिमा अनंत है, शिव की लीला अमर है, जो शिव को जानता है, वह सब कुछ पा लेता है।
जो समझता है शिव का रहस्य, उसे मिलता है सबसे बड़ा धन, शिव की महिमा को गुणगान करते हम, जीते हैं हम जीवन का अरमान।
शिव रूप कितने हैं (shiv roop kitane hain)
शिव जी के कई रूप हैं जो सभी वेद, पुराण और तांत्रिक ग्रंथों में वर्णित हैं। हिंदू धर्म में, शिव त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का एक अंग हैं। शिव के प्रमुख रूपों में शंकर, रुद्र, महादेव, नीलकंठ, महाकाल आदि शामिल हैं। वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी शिव को विष्णु के अवतार मानते हैं। उनके अनुसार, शिव के दस रूप होते हैं जिनमें वामन, वैवस्वत, कपिल, दत्तात्रेय, यज्ञवल्क्य, रिषभ, नृसिंह, हृषीकेश, परशुराम और राम होते हैं।
शिव से पहले कौन था (shiv se pahale kaun tha)
हिंदू धर्म में, शिव एक अनादि और अनंत ब्रह्म हैं जो सबसे पहले थे और सबके ऊपर निर्माण करने वाले हैं। उन्हें "महादेव" या "आदिनाथ" भी कहा जाता है। शिव को सबसे पहले और सबके ऊपर अनादि तथा अनंत माना जाता है, जो इसका अर्थ है कि वे सभी संसारी उपाधियों से अलग हैं और न तो उनका जन्म हुआ है और न ही मृत्यु होगी। इसलिए, शिव से पहले कोई नहीं था क्योंकि वे सभी के संसार के ऊपर स्थित हैं।
शिव जी का प्रिय मंत्र कौन सा है (shiv jee ka priy mantr kaun sa hai)
शिव जी का प्रिय मंत्र विभिन्न हो सकते हैं और इसमें कोई निश्चित नहीं है। हिंदू धर्म में, शिव जी को भोलेनाथ या महादेव के रूप में जाना जाता है, जो अपनी सरलता और प्रभाव के लिए जाने जाते हैं। शिव जी के प्रिय मंत्रों में "ॐ नमः शिवाय" और "हर हर महादेव" शामिल हैं। इन मंत्रों को जपने से शिव जी की कृपा मिलती है और उनके भक्त को सुख, शांति, आनंद और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव जी को खुश कैसे करे (shiv jee ko khush kaise kare)
शिव जी को खुश करने के लिए उन्हें उपासना और पूजा करना एक अच्छा तरीका हो सकता है। यहाँ कुछ आसान उपाय दिए गए हैं जो शिव जी को खुश करने में मदद कर सकते हैं:
महाशिवरात्रि पर्व पर शिव मंदिर जाएँ और उनकी पूजा करें।
शिव चालीसा और शिव स्तोत्र का पाठ करें।
शिव लिंग को जल अर्पण करें।
शिव जी के लिए भक्ति भाव से एक रुद्राक्ष माला धारण करें।
शिव पूजा के दौरान धूप, दीपक और नैवेद्य चढ़ाएँ।
शिव जी को भक्ति भाव से उनके नामों का जाप करें।
इन उपायों का पालन करने से न केवल आप शिव जी को खुश करें
Shiv Mahima क्या है (shiv mahima kya hai)
"Shiv Mahima" एक हिंदी फिल्म है जो 1992 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन सूरज भार्जाट्या ने किया था और इसमें अरुण गोविल व किरण जूनागढ़ के प्रमुख भूमिकाओं में थे। इस फिल्म में शिव जी के महत्व को दर्शाया गया है।
फिल्म के नाम से पता चलता है कि इसमें शिव की महिमा को दर्शाया गया है। फिल्म में शिव के अनुयायी उनके गुणों की प्रशंसा करते हुए उनकी महिमा गाते हैं। फिल्म में शिव के जीवन के कुछ पहलुओं को भी दिखाया गया है। इस फिल्म में भगवान शिव और उनकी भक्ति को दर्शाने के लिए कुछ भक्ति गीत भी हैं जो इस फिल्म के लोकप्रियता में एक महत्वपूर्ण कारक हैं।
भगवान शिव के लिए कौन सा दिन खास है (bhagavaan shiv ke lie kaun sa din khaas hai)
हिंदू धर्म में, भगवान शिव के लिए महाशिवरात्रि नामक एक विशेष दिन होता है। महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना है, जब उन्होंने संसार को उनकी अनुग्रह के लिए उनकी भक्ति के माध्यम से बचाया था।
महाशिवरात्रि को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और यह पूरे भारत में मनाया जाता है। भगवान शिव के भक्त इस दिन उनके लिए पूजा, अर्चना और व्रत रखते हैं और उन्हें अन्न भोजन कराते हैं।
भगवान शिव कहां रहते हैं (bhagavaan shiv kahaan rahate hain)
हिंदू धर्म में, भगवान शिव को सर्वोच्च देवता में से एक माना जाता है जो समस्त विश्व के संहार और सृष्टि का प्रभु है। वे हिमालय पर्वत के शिखर पर रहते हैं जहां पर उनके साथ पार्वती देवी भी होती हैं।
शिव की आध्यात्मिक ओर से, उन्हें सबसे ज्यादा मन्दिरों में पूजा जाता है। भारत में शिव मंदिर देश के हर कोने में हैं। जबकि कुछ महत्वपूर्ण मंदिर हैं जैसे केदारनाथ, बृहदीश्वर, महाकालेश्वर, सोमनाथ, कैलाशनाथ, जगन्नाथपुरी आदि जहां पर शिव जी की पूजा विधिवत रूप से की जाती है।
शिव कौन है क्या है (shiv kaun hai kya hai)
शिव हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति में से एक हैं। उन्हें सदाशिव, शंकर, महादेव आदि नामों से भी जाना जाता है। शिव को धरती पर तपस्या के भगवान के रूप में माना जाता है जो सृष्टि, स्थिति और संहार के लिए जाना जाता है। वे अनंत शक्ति और संयम के प्रतीक हैं और उन्हें ध्यान और ध्यान की प्राप्ति के द्वारा प्राप्त किया जाता है। शिव की पत्नी पार्वती भी हैं, जो सृष्टि की माता के रूप में जानी जाती हैं। शिव को नीले रंग के वस्त्र धारण करते देखा जाता है और उनका वाहन नंदी (गाय) होता है।
शिव जी किसकी साधना में लीन रहते हैं (shiv jee kisakee saadhana mein leen rahen hain)
शिव जी हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं जो त्रिमूर्ति के एक अंग हैं। उन्हें साधुओं, योगियों, तपस्वियों, वैरागियों और भक्तों के प्रमुख देवता के रूप में जाना जाता है। शिव जी को ध्यान और तपस्या के देवता के रूप में जाना जाता हैं और उन्हें शक्ति के स्रोत के रूप में भी जाना जाता हैं।
शिव जी के भक्तों के लिए, उनकी साधना में ध्यान और तपस्या एक महत्वपूर्ण अंग होता है। वे ध्यान और तपस्या के माध्यम से शिव जी के साथ अनुभव करते हैं और उनकी आत्मा को शिव जी से जोड़ने की कोशिश करते हैं। उनकी साधना में ध्यान, जप, मेधा, पूजा, व्रत, तपस्या, आदि जैसी विभिन्न विधियां होती हैं।
शिव जी की साधना में लीन रहना भक्तों के लिए उनके जीवन का महत्वपूर्ण अंग होता है और उन्हें ध्यान और तपस्या के माध्यम से शिव जी के साथ संवाद करने का अवसर प्रदान करता है।
शिव का स्वरूप क्या है (shiv ka svaroop kya hai)
शिव हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति के एक अंग होते हैं और वे भगवान विष्णु और ब्रह्मा के साथ समान रूप से पूज्य होते हैं। शिव का स्वरूप कई तरह से वर्णित किया गया है।
शिव का पहला स्वरूप शंकर होता है, जो सदा शुभ और शांत रूप से दिखाई देते हैं। उनके चार मुख होते हैं, जो चार वेदों को प्रतिनिधित्व करते हैं। शंकर के एक हाथ में डमरू होता है और दूसरे हाथ में त्रिशूल होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित्व करते हैं।
शिव का दूसरा स्वरूप आदिनाथ होता है, जो उनके शांत और सहज स्वरूप को प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके तीसरे नेत्र में त्रिशूल होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित्व करते हैं।
शिव का तीसरा स्वरूप महादेव होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित्व करते हैं। महादेव के तीन नेत्र होते हैं, जो तीन गुणों (सत्व, रज, तम) को प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल होता है, जो उनकी शक्ति को प्रतिनिधित्व करते हैं
शिव का जन्म कैसे बनता है (shiv ka janm kaise hota hai)
हिंदू धर्म में शिव का जन्म बहुत ही रहस्यमय होता है। इसके बारे में कुछ लोग मानते हैं कि शिव सदाशिव नामक अखण्ड ब्रह्म से उत्पन्न हुए थे। दूसरे लोग मानते हैं कि शिव ब्रह्मा के मस्तक से उत्पन्न हुए थे। तीसरे लोग मानते हैं कि शिव को अपने स्वयं के तप से जन्म लिया गया था।
शिव के जन्म की एक और प्रसिद्ध कथा है, जो शिव पुराण में उल्लेखित है। इस कथा के अनुसार, देवी सती नाम की एक राजकुमारी थी जो ब्रह्मा के सभी आदेशों को पालने वाली थी। उसने शिव को देखा था और उससे प्यार हो गया था। उसके पिता राजा दक्ष ने शिव को अपनी पुत्री से विवाह न करने का आदेश दिया था, जो सती को बहुत दुख पहुंचाया। फिर एक दिन जब दक्ष यज्ञ का आयोजन कर रहे थे, सती ने उनसे अपने प्यारे शिव के प्रति अपना वचन साबित करने का फैसला किया और अपने शरीर को यज्ञ कुंड में आग से जला दिया।
शिव पुराण के अन्य अध्यायों में, शिव का जन्म वैदिक काल से किया जाता हैं.
महादेव क्या करता है (mahaadev kya karata hai)
महादेव हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं और उन्हें सबसे ऊँचा देवता माना जाता है। महादेव का महत्व इस बात में है कि उन्होंने सृष्टि, स्थिति और संहार का कार्य निभाया है।
शिव धर्म के त्रिमूर्ति में से एक हैं जो सृष्टि को संभालते हैं। उन्हें नीति, न्याय और धर्म का प्रतिनिधित्व करना भी बताया जाता है। वे तांडव नृत्य के माध्यम से अपनी महाशक्ति का प्रदर्शन करते हैं और अपने भक्तों की मदद करते हैं।
इसके अलावा, महादेव ध्यान और तपस्या का प्रतीक हैं। उन्हें साधु-संतों के अधिष्ठान के रूप में भी जाना जाता है। महादेव के अनुयायी उनके जीवन और आचरण को अनुसरण करते हुए ध्यान और तपस्या में लगे रहते हैं। उन्हें विवेक, त्याग, विराग, आत्मानुभूति और मोक्ष का मार्ग बताने के लिए पूजा जाता है।
महादेव की उत्पत्ति क्या है (mahaadev kee utpatti kya hai)
हिंदू धर्म में, महादेव की उत्पत्ति कई विभिन्न कथाओं से जुड़ी हुई है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिमूर्ति के रूप में एक ही परमात्मा हैं जो समस्त जगत का निर्माण करते हैं और संभालते हैं।
एक और कथा के अनुसार, महादेव को आदि अनादि सदाशिव कहा जाता है जो सर्वोच्च तत्त्व हैं जो सृष्टि का निर्माण करते हुए नित्य बिना किसी शुरुआत और अंत के रूप में विद्यमान रहते हैं।
दूसरी कथा के अनुसार, महादेव का जन्म ब्रह्मा, विष्णु और उनकी पत्नियों से हुआ था। एक दिन विष्णु और ब्रह्मा में विवाद हुआ कि उनमें से कौन सबसे बड़ा है। तभी एक श्वेत लोटस से उत्पन्न हुए महादेव ने उन्हें दोनों को अपने अनंत शक्ति का प्रदर्शन करके दिखाया जिससे दोनों को उनकी अस्तित्व की महत्ता का अंदाजा हुआ। इससे विवाद समाप्त हुआ और महादेव को त्रिमूर्ति का स्थान मिल गया।
कुछ कथाओं में महादेव को वेदों के पिता दक्ष की खूब कथा-कहानी मिलती हैं.
भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम क्या है (bhagavaan shiv kee 5 putree ka naam kya hai)
भगवान शिव के पाँच पुत्रियों के नाम हैं:
जया - जया शिव की सबसे बड़ी पुत्री थी। वह शिव के साथ उनके साम्राज्य का प्रबंध करती थीं।
विजया - विजया शिव की दूसरी पुत्री थी। वह सुंदरता और कामना की देवी हैं।
अम्बिका - अम्बिका शिव की तीसरी पुत्री थी और वह दुर्गा के रूप में जानी जाती हैं।
गौरी - गौरी शिव की चौथी पुत्री थी। वह पार्वती या उमा के रूप में भी जानी जाती हैं।
भद्रकाली - भद्रकाली शिव की पाँचवीं और अंतिम पुत्री थी। वह काली के रूप में जानी जाती हैं और भयंकर रूप धारण करती हैं।
शिव कैसे दिखते हैं (shiv kaise dikhate hain)
शिव को हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता माना जाता है और वे बहुत से विभिन्न रूपों में दिखाई देते हैं।
शिव के सबसे प्रसिद्ध रूपों में से एक शंभु है, जो त्रिशूल और धारा के साथ दिखाई देते हैं। उनकी तृणांग शेष भी एक चरित्रिसंवेदी अंग होता है, जो उन्हें जंगलों और पहाड़ों में रहने वाले आदिवासियों के साथ जोड़ता है।
शिव के दूसरे प्रसिद्ध रूप भोलेनाथ हैं, जो भोलेश्वर के नाम से भी जाने जाते हैं। वे अपने अनंत भक्तों के साथ गंगा नदी में स्नान करते हुए दिखाई देते हैं और उनकी खासतौर पर गंगा, सर्प और रुद्राक्ष की माला होती है।
शिव के तीसरे प्रसिद्ध रूप अर्धनारीश्वर हैं, जो पुरुष और स्त्री के युगल रूप में दिखाई देते हैं। यह रूप शिव और पार्वती के एकत्व को दर्शाता है।
शिव के अन्य रूपों में शंकर, महादेव, नीलकंठ, रुद्र, पशुपति, विश्वेश्वर, महाकाल और नटराज इन सभी रूपों में,शामिल हैं।