यह कहानी "शेर और बंदर" नैतिक शिक्षा से भरी एक प्रसिद्ध दंतकथा है। इसे विभिन्न तरीकों से बताया जाता है, लेकिन यहां इसका एक सरल और प्रेरणादायक रूप दिया गया है:
कहानी: शेर और चालाक बंदर
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था। वह जंगल का राजा था और सभी जानवर उससे डरते थे। शेर को रोज़ खाने के लिए शिकार करना पड़ता था, लेकिन वह आलसी हो गया था। उसने जंगल के सभी जानवरों को बुलाया और कहा,
"अगर तुम सब में से एक जानवर रोज़ मेरे खाने के लिए अपनी जान देने आएगा, तो मैं जंगल में किसी और को नहीं मारूंगा।"
डर के मारे सभी जानवरों ने शेर की बात मान ली। रोज़ एक-एक जानवर शेर के पास जाने लगा।
एक दिन, बंदर की बारी आई। बंदर बहुत चालाक और चतुर था। उसने सोचा, "अगर मैं शेर के पास गया, तो वह मुझे मार डालेगा। मुझे अपनी जान बचाने के लिए कुछ करना होगा।"
बंदर ने एक योजना बनाई। उसने शेर के पास जाने में देर कर दी। शेर भूखा और गुस्से में था। जैसे ही बंदर पहुँचा, शेर गरजकर बोला,
"तुम इतनी देर से क्यों आए? मैं तुम्हें अभी मार डालूंगा!"
बंदर ने बड़ी चतुराई से जवाब दिया,
"महाराज, मैं तो समय पर आ रहा था, लेकिन रास्ते में एक और शेर ने मुझे रोक लिया। उसने कहा कि वह इस जंगल का असली राजा है और आपसे लड़कर इस जंगल पर कब्जा करेगा।"
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शेर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया और उसने कहा,
"कौन है वह शेर? मुझे अभी उसके पास ले चलो। मैं उसे सबक सिखाऊंगा।"
बंदर शेर को एक गहरे कुएं के पास ले गया और कहा,
"महाराज, वह शेर इस कुएं के अंदर छिपा हुआ है।"
शेर ने कुएं में झांका तो उसे अपनी परछाई दिखाई दी। शेर ने सोचा कि यह दूसरा शेर है। गुस्से में आकर उसने कुएं में छलांग लगा दी। कुएं में गिरते ही शेर डूब गया।
इस तरह चालाक बंदर ने अपनी और जंगल के अन्य जानवरों की जान बचा ली।
कहानी से सीख:
बुद्धि बल से बड़ी होती है।
मुश्किल परिस्थितियों में चतुराई और बुद्धिमानी से समस्या का समाधान किया जा सकता है।
घमंड का अंत बुरा होता है।
शेर का घमंड और क्रोध ही उसकी हार का कारण बना।
यह कहानी हमें सिखाती है कि शक्ति से अधिक बुद्धिमत्ता महत्वपूर्ण है।