चतुर लोमड़ी की कहानी पढ़कर मज़ा आ गया | story of clever fox

 बहुत समय पहले की बात है। "चतुर लोमड़ी की कहानी" एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह अपनी चतुराई और चालाकी के लिए पूरे जंगल में प्रसिद्ध थी। लोमड़ी को खाने के लिए कुछ भी मिले, वह उसे न छोड़ती। उसकी यह आदत थी कि दूसरों को मूर्ख बना कर अपना काम निकाल लेती थी।


एक दिन वह जंगल में भोजन की तलाश में निकली। घूमते-घूमते उसकी नजर एक किसान के खेत पर पड़ी, जहाँ एक मुर्गा बैठा था। लोमड़ी की आँखों में चमक आ गई और उसने सोचा, "यह तो मजेदार भोजन है!" लेकिन मुर्गा भी समझदार था। जैसे ही उसने लोमड़ी को आते देखा, वह सतर्क हो गया।


लोमड़ी ने मुर्गे से कहा, "अरे मुर्गे भाई! क्या तुमने सुना नहीं? जंगल के राजा शेर ने आदेश दिया है कि अब जंगल में सभी जीव मित्रता से रहेंगे। अब कोई किसी को नहीं खाएगा। आओ, नीचे आओ और हम मित्रता की बात करें।"

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मुर्गे ने सोचा कि यह लोमड़ी की चाल हो सकती है, लेकिन फिर भी उसने चतुराई से कहा, "वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है! मैं नीचे आ ही रहा था, लेकिन देखो, दूर से शिकारी कुत्ते आते दिख रहे हैं। हम सबको उनके स्वागत के लिए तैयार हो जाना चाहिए।"


लोमड़ी ने जैसे ही शिकारी कुत्तों का नाम सुना, उसके होश उड़ गए। उसने डरते हुए कहा, "शिकारी कुत्ते! अरे, वे तो मेरे शत्रु हैं। मुझे तो यहाँ से भागना चाहिए।" इतना कहकर वह दौड़ते हुए भाग खड़ी हुई।


मुर्गा हँसते हुए सोचने लगा, "लोमड़ी अपनी ही चाल में फंस गई।" उसने चतुराई से अपने आपको बचा लिया और लोमड़ी को सबक भी सिखा दिया।


इस तरह चतुराई से मुर्गे ने अपनी जान बचाई, और लोमड़ी को उसकी धूर्तता का सबक मिला।


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