हंस और लोमड़ी कहानी | swan and fox story in hindi

एक समय की बात है,हंस और लोमड़ी की कहानी एक जंगल के पास एक नदी बहती थी। उस नदी के किनारे एक हंस रहता था। वह बहुत ही चतुर और शांत स्वभाव का था। उसी जंगल में एक चालाक लोमड़ी भी रहती थी। वह हमेशा दूसरों को छल-कपट से धोखा देने और अपना लाभ उठाने के मौके ढूंढती रहती थी।

एक दिन लोमड़ी की नजर हंस पर पड़ी। उसने सोचा, "यह हंस कितना मोटा और ताजा दिखता है। इसे भोजन बनाना अच्छा रहेगा।" उसने एक योजना बनाई और बड़ी विनम्रता से हंस के पास गई।

लोमड़ी ने कहा, "हे सुंदर हंस! तुम कितने अच्छे लगते हो। तुम्हारे पंख तो चांदी जैसे चमकते हैं। मैं तुम्हारे बारे में सुनकर बहुत प्रभावित हुई हूं। क्या तुम मेरे मित्र बनोगे?"

हंस लोमड़ी की मीठी बातों को समझ गया। उसने सोचा, "यह लोमड़ी इतनी मीठी बातें क्यों कर रही है? जरूर इसके मन में कोई चाल है।" लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और मुस्कुराते हुए मित्रता का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

लोमड़ी की योजना

कुछ दिनों तक लोमड़ी और हंस में दोस्ती चलती रही। एक दिन लोमड़ी ने कहा, "मित्र, मैं तुम्हारे लिए एक भोज आयोजित करना चाहती हूं। तुम्हें मेरे घर आना होगा।"

हंस ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया। लोमड़ी ने अपने घर में भोजन की व्यवस्था की, लेकिन वह बहुत चालाकी से हंस के लिए भोजन को एक गहरे बर्तन में रख दिया, जिसे हंस अपनी चोंच से नहीं खा सकता था। दूसरी ओर, लोमड़ी ने उसी बर्तन में आसानी से खाना खा लिया।

लोमड़ी ने मुर्गे से क्या कहा था (rooster and fox story moral)

हंस ने समझ लिया कि यह लोमड़ी की चाल थी। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "तुमने मेरे लिए यह भोजन तैयार किया, यह तुम्हारी मेहमाननवाजी है। धन्यवाद!" और वह बिना कुछ खाए ही वापस चला गया।

हंस की चतुराई

कुछ दिन बाद हंस ने लोमड़ी को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। लोमड़ी खुशी-खुशी तैयार हो गई, यह सोचकर कि अब वह फिर से हंस को मूर्ख बनाएगी।

हंस ने लोमड़ी के लिए भोजन को एक लंबी और पतली गर्दन वाली सुराही में परोसा। अब लोमड़ी के लिए भोजन करना असंभव हो गया, जबकि हंस ने अपनी लंबी चोंच से आराम से भोजन कर लिया।

लोमड़ी समझ गई कि हंस ने उसे उसी की तरह सबक सिखाया है। वह शर्मिंदा होकर वहां से चली गई।

शिक्षा:

"जैसा व्यवहार आप दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही व्यवहार आपको भी सहना पड़ता है।"
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों के साथ छल-कपट नहीं करना चाहिए, क्योंकि अंत में उसका परिणाम हमारे लिए ही हानिकारक हो सकता है।

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