ओम का महत्व ओम का अर्थ क्या है | What is the secret behind Om | ॐ शब्द की सम्पूर्ण कथा

 हिंदू धर्म में () एक विशेष ध्वनि का शब्द  माना जाता रहा है  महा तपस्या कर्ताओं ने  जब यह गहरी आस्था में  ध्यान लगाकर सुना तो  उनको संज्ञान हुआ कि कोई  ऐसी ध्यानिया  भी है जो हमेशा सुनाई देते रहते हैं  हमारे शरीर के भीतर भी  और बाहर भी  किसी  भी जगह पर वह ध्वनि  हमेशा जारी रहती है  और  उसे निरंतर सुनने से मन और आत्मा को बड़ी शांति मिलती है परमेश्वर  के बिखरे हुए ध्वनि  सभी ऋषि-मुनियों ने  उसको महसूस  करने के मुताबिक ओम का दर्जा दिया और आगे  चलकर क्या  कहानी है और क्या है रहस्य  जानते हैं

अनहद  नाद इसी ध्वनि को अनाहत कहा जाता है अनाहत का यह मतलब होता है जोकि किसी  आहट
या फिर किसी चीजों से उत्पन्न होती है  बल्कि  वह खुद स्वयंभू है  इसको  नाद भी कहा जाता है  ओम की ध्वनि एक सशक्त ध्वनि है  जिससे ब्रह्मांड का जन्म हुआ था ॐ  एक ऐसी ध्वनि है जो किसी ने  बनाई नहीं यह एक ऐसा ध्वनि है  जो  इस ब्रह्मांड के  कण-कण में  सामाकर  पूरी तरीके से  मनरक्षित हो चुकी है हर एक इंसान के अंदर यह ध्वनि हमेशा चलती रहती हैं  सूर्य के साथ साथ  और अन्य ग्रहों  से यही ध्वनि  निरंतर  बाहर निकलती रहती है

ब्रह्मांड के  जन्मदाता शिव पुराण में बखूबी तरीके से बताया गया है की  नाद और बिंदु के मिलन  के बाद वहीं से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हो गई नाद का मतलब क्या है ध्वनि  और बिंदु अर्थात शुद्ध प्रकाश यह ध्वनि आज भी सत प्रतिशत जारी  रहती है  परमेश्वर का यह प्रकाश स्वयं प्रकाशित है और रहेगा  ठीक  इसी को शुद्ध प्रकाश माना जाता है  पूरा विश्व सिर्फ ध्वनि और प्रकाश  की उपस्थिति में होता  जिसमें जितनी ऊर्जा होगी उसका जीवन  उसका जीवन   उतना ही देरी   तक रहेगा यह जो हमारे ऊपर  सूरज देव दिखाई देते हैं  इनकी  ऊर्जा भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी सब कुछ विलीन हो जाने के बाद केवल बस नाद और बिंदु ही  बचने वाला है


 ओम शब्द का अर्थ क्या है ॐ  शब्द तीन ध्वनियों को जोड़कर बना हुआ है  जैसे अ, उ, म यही तीनों ध्वनियों का अर्थ  ऊपनिषाद में भी पाया जाता है अ का मतलब आकार होता है  एवं उ का मतलब  ऊंकार होता है  तथा म का मतलब  मकर माना जाता है जिसमें अ' ब्रह्मा का वाचक  माना जाता है  जिस बातों का उदाहरण  हृदय में त्याग  जनक होता है जिसमें 'उ' शब्द  भगवान  विष्णु जी के  वाचक माना गया है जिसका त्याग कंठ भी माना गया है  एवं 'म' शब्द का मानक रूद्र का वाचक होता है जिन बातों का त्याग तालुमध्य में माना जाता रहा है

ओम की शक्ति क्या है


ओम का आध्यात्मिक  अर्थ है ओ, उ  और म- उक्त तीन  अक्षरों वाले शब्द की खूब महिमा जानी जाती है  यह सब  नाभि से लेकर हृदय  एवं आज्ञा प्रति चक्र  का सूचक माना जाता है यह ब्रह्मा विष्णु और महेश के प्रतीक भी   जाने जाते हैं  और यह भू लोक एवं भूव: लोक और  स्वर्ग लोक के जैसे माने जाते हैं ओंकार के ध्वनि 100 से भी ज्यादा अर्थ माने गए हैं


 मोक्ष का साधन ओम  यह एक ऐसा मंत्र है  जोकि अनहद या फिर मोक्ष की तरफ   ले जा सकता है धर्म शास्त्र के  हिसाब से मूल मंत्र  तथा  जाप केवल ओम ही है उनके आगे पीछे लिखे जाने वाले  शब्द  गोण होते हैं  प्रणव ही महामंत्र  एवं जप योग  माना गया है   इसको प्रणव साधना भी कहते हैं   या आनंदी और अनंत एवं निर्वाण कैवल्य ज्ञान मोक्ष की आस्था के प्रति माना गया है  जब कोई इंसान निर्विचार धारा में शून्य में चला जाता है  तो उसे यह ध्वनि निरंतर सुनाई देने लगती हैं

प्रणव की महत्व जैसे कि आप जानते हैं शिव पुराण में प्रणव  के अपने अपने  अलग-अलग शाब्दिक  अर्थ और भाव माने जाते हैं  'प्र' का मतलब परपंच 'ण' मतलब होता है नहीं एवं 'व:' यानी तुम  सभी के लिए तारा यही है  प्रणव  मंत्र शारीरिक जीवन में सरपंच का मतलब  क्लेश झगड़ा और दुख दूर कर जीवन के अहम लक्ष्य  जिसका मतलब मोक्ष के रास्ते पर पहुंचा देता है  इसका यही कारण है की ओम को प्रणव नाम से भी जाना जाता है और उसकी अलग दूसरे प्रणव को 'प्र' यानी कि प्रकृतिक से बने संसार रूपी सागर को पार करने की एक जरिया है  'ण' अर्थात नयेत् एवं 'व:' अर्थात युष्मान् मोक्षम् इति वा प्रणव: बताया जाता है जिसका सहज रूप से शब्दों का मतलब है  हर भक्तों के पास शक्ति देकर जन्म से लेकर मरण तक मुक्ति देने वाला होता है प्रणव: माना गया है


ओम सब्द स्वत ही उसमें उत्पन्न हो जाता है  जब आप ओम की उच्चारण का अभ्यास करते करते एक दिन ऐसा भी प्रकट हो जाता है जिस वक्त उच्चारण करने का  आवश्यकता नहीं पड़ती है  उस समय आप सब लोग आंख और कान संपूर्ण तरीके से बंद करके अपने भीतर उसे सुनना चाहो तो उसे सुन सकते हो और वह ध्वनि सुनाई देने लगेंगे आपके अंदर ध्वनि बहुत ही अच्छे धुन में  सुनाई देंगी शुरुआत में वह बहुत सूक्ष्म तरीके से सुनाई देंगी उसके बाद  धीरे धीरे वह ध्वनि पढ़ते चली जाएगी  बड़े-बड़े साधु महात्मा बताते हैं शुरुआत में यह ध्वनि  झींगुर की आवाज के  बराबर सुनाई देती हैं लेकिन धीरे धीरे में वह ध्वनि  खूब तेज हो जाती है उसके बाद  कभी-कभी ढोलक जैसे थाप थाप की आवाज सुनाई देने लग जाती है कुछ ही पल में यह आवाज शंख जैसे हो जाएगी एवं अंत में यह  ध्वनि परमेश्वर के  बजाएं हुए बांसुरी के जैसा हो जाएगा

शारीरिक रोगों और मानसिक रोग शांति के लिए. इस मंत्र को लगातार जाप करने से  आपके शरीर और मन को एकत्रित  करने में  सहयोग मिलती है आपके दिल की धड़कन एवं रक्त चाप  व्यवस्थित  रहता है इस नाते शरीर के रोग साथ मानसिक बीमारि  हजारों मील दूर हो जाती है  और आपकी  कार्य करने की क्षमता  बढ़ जाती है  इसका  उच्चारण करने वाले एवं इसको ध्यान पूर्वक सुनने वाले लाभार्थी हो जाते हैं



 सृष्टि विनाश की क्षमता क्या है ओम की ध्वनि में  हर एक वह शक्ति है   कि जो ब्रहमांड के किसी भी ग्रह को पलक झपकते ही उड़ा देने  नष्टनाबूद कर देने का   उसकी खुद की छमता है  यह ध्वनि सूक्ष्म से सूक्ष्म और विकराल से भी विराट होने की इसके पास पर्सनल क्षमता हमेशा उपलब्ध रहती हैं


श्री भोले नाथ जी के स्थानों पर  हमेशा होता रहता है शब्द का उच्चारण लगभग तक सभी ज्योतिर्लिंग में  शब्द का उच्चारण  सम्मिलित रहता है  यदि आप  मानसरोवर या फिर कैलाश पर्वत  झील के पास जाएंगे  तो आपको  हमेशा धीमी गति में  ओम की  आवाजें सुनाई देंगी  जैसे कि  आपके  करीब कोई जहाज मेंडरा रहा हो  लेकिन  उस आवाज को ध्यान लगाकर सुनने से यह महसूस होता है  कि कहीं 'डमरू' या फिर 'ॐ' की धुन जैसे होती है  वैज्ञानिकों का मानना है कि यह आवाजें हो सकता है बर्फ के पिघलने की आ रही  हो  इसमें यह भी हो सकता है ज्योति और ध्वनि बीच  इस तरीके का  सरगम होता है ठीक  वहां से 'ॐ' की आवाजें सुनाई दे रही हो अलग-अलग लोगों का अपना एक अलग-अलग विचार है

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