पूजा पाठ हिन्दू को क्यों है जरुरी | how to do puja at home

 

सुबह पूजा करने के फायदे

पूजा का संबंध धर्म और संस्कृति एवं भगवान से जुड़ा होता है  अनेको धर्मों  में पूजा अनेक तरीके  और लंबी लंबी विधियां होती हैं जबकि कई धर्मों में बड़े ही सैंपल एवं सरल  तरीके से पूजा अर्चना की जाती है जबकि दक्षिणी एशिया हिंदू सिख  और बौद्ध  जैन  यही चार धर्म यहां के प्रमुख  धर्मों की  जन्मभूमि मानी जाती है

रोजाना पूजा करने की विधि

 पूजा का  संबंध धर्म संस्कृति और भगवान से मिलती है कई ऐसे धर्म है जिनमें पूजा के आनेको लंबी से लंबी विधियां मानी गई है  जोकि ईसाई और इस्लाम धर्म का जन्म दक्षिण पश्चिम  में हुआ था  इन धर्मों के अनुसार खास तौर पर येरुशलम मक्का और मदीना में  बताया जाता है  इन सभी धर्मों में परमेश्वर के अस्तित्व  धारणा मानी जाती है  वही सिख धर्म में  अनुयायी मुख्य रूप से  गुरु धारणा पर विश्वास करते हैं किंतु इनके धर्मों में  पूजा एवं प्रार्थना  पर विशेष ध्यान दिया जाता है

घर में प्रतिदिन पूजा कैसे करें?

  पूजा अर्चना की प्रथा अभी  भी  मौजूद है  केवल हिंदू धर्म को छोड़कर  बाकी के सब धर्म का जन्म पिछले कुछ 2600 सालों के भीतर हुआ है हिंदू धर्म  का इतिहास करीबन 4000  साल पुरानी  है और यह दुनिया का  सबसे पुराना धर्म माना जाता है पूजा अर्चना की उद्देश्य और मात्र जानने के लिए हम सभी मानव जाति को प्रारंभिक काल में जाना पड़ेगा  जिस समय उस अनजान शक्ति के प्रति मानव की चेतना जाग  उठी  यहीं पर उन विषयों का पता चलता है जिनके कारण से मानव जाति पूजा करना शुरू किया था

प्रारंभिक काल में  प्रकृतिक आपदाओं एवं अपने को खतरे से बचाने के लिए  मानव जाति ने  अनजाने में ऐसी शक्तियों  का पूजा करना  शुरू किया और यहीं से  पूजा प्रणाली  का जन्म हो गया था  यह उस समय की बात है जब मानव जाति घरों में नहीं बल्कि जंगलों में बड़ी बड़ी झुंड बनाकर रहते थे उस  वक्त मनुष्य  कुदरत पर  सीधा असर डालते थे बहुत प्रभाव  पड़ता था  उस समय मानस को जंगल में आग खतरनाक ज्वालामुखी तूफान तेज बारिश भूकंप और बाढ़ जैसे खतरनाक कई समस्याओं से जूझना पड़ता था  यही वह कारण है  जिससे मानव के मन में हमेशा खतरो का भाई बना रहता था

 इन सभी  आपदाओं से  जूझते हुए  मानव जाति ने एक अनजान शक्ति की कल्पना शुरू की और बच बचाव के लिए शक्ति को खुश करने का  प्रयत्न शुरू कर दिया वैदिक काल में  बताया गया है कि  मनुष्य के इसी प्रयासों के फलस्वरूप  पानी  के फल स्वरुप गंगा जी और अग्नि देवता अग्नि देव हवा के देवता  वायु देव धूप के देवता  सूर्य देव तथा ब्रज के देवता  इंद्रदेव की उपासना शुरू कर दिया  इसी से साथ  मानव की भीतर अपनी सुरक्षा के लिए भावना बढ़ती चली गई धीरे धीरे प्रकृति के हर एक कण के प्रति आदर भी पैदा होता गया बताया गया था कि  उसी वक्त से नदियां पहाड़ जानवर पक्षी सांप  जमीन  पेड़ तथा और सभी चीजें आस्था का केंद्र बनती चली गई  थी

घर में मंदिर की पूजा कैसे और कब कब करनी चाहिए?

    जैसे-जैसे हिंदू धर्म  वैदिक काल के आगे बढ़ा ठीक  वैसे वैसे इस धर्मों में कयो देवी देवताओं को मान्यता प्राप्त होने लगी उस समय में भी 121  से भी ज्यादा  विधियां का इजाजत हो चुका था ठीक उसी समय कई धार्मिक पुस्तके की रचना की गई  हिंदू धर्म में प्रारंभिक दौर  मैं विष्णु और महेश की धारणा विकसित  हो चुकी थी

 पूजा को शुरू  किसी खास देवी या फिर देवता को  पसंद करने के लिए किया गया था  ताकि  देवी और देवता को पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न किया जा सके और उनका आशीर्वाद  मिल पाए  मानव की मनोकामना की  सभी दिक्कतों से छुटकारा पाया जा सके मान सम्मान में और धन संपत्ति में बढ़ोतरी तथा अन्य कामनाओं  की पूर्ति के लिए  देवी देवताओं  की पूजा अर्चना की जाती है प्राचीन  भर राजाओं द्वारा  अपने साम्राज्य के प्रगति के लिए अश्वमेध जग  भी करवाए गए थे  धार्मिक ग्रंथ रामायण  के हिसाब से राजा श्री राम ने  भी यही यज्ञ करवाए थे और उन्हीं के द्वारा छोड़े गए घोड़े को उनके ही पुत्र लव कुश ने पकड़ रखा था और  इसी  नाते से पिता और पुत्र दोनों में खूब भयंकर युद्ध भी हुआ था यज्ञ  पूजा का ही एक  अभिन्न अंग है  जिसको अभी भी पूजा के लिए उपयोग किया जाता है

पूजा करने से क्या लाभ होता है

 पूजा का मुख्य उद्देश्य यह है कि अपनी मनोकामना ओं की पूर्ति तथा टिक सुख प्राप्त करने हेतु  होता है फल प्रीति की इच्छा के बिना पूजा करना ऐसे विचार महाभारत के युद्ध के दौरान एकदम स्पष्ट तरीके से सामने आ गया जब भगवान  कन्हैया ने  अर्जुन को  आदेश दीया उनका यही उपदेश श्रीमद्भागवत गीता में आज भी मौजूद है

पुनर्जन्म का सच क्या है?

  हिंदू धर्म के हिसाब से सभी प्राणियों में जान हो जाती है  और मृत्यु के बाद  पुनर्जन्म की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और जीवन  मृत्यु का चक्र चलता रहता है बताया जाता है कि  मृत्यु के बाद  सबकी आत्मा एक एक खास कर्म का हिस्सा बनते हैं और इसी क्रम अब से ऊपर रहने वाली  आत्मा को जन्म मरण कि इस बंधन से छुटकारा मिल जाती है मुक्ति पाने की कामना कोही पूजा का मुख्य वजह माना जा रहा है

इसी उद्देश्य की  पूर्ति के लिए ही भगवान परमेश्वर ने कर्म योग ज्ञान योग एवं भक्ति योग मार्ग दिखाया था

भारत में सबसे बड़ा संत कौन है

 सतगुरु  पूजा सतगुरु को  परमेश्वर का दूत माना जाता है हमारे ही  सम्मुख रहकर हमें परमात्मा  के बताए हुए रास्ते पर चलने का  रास्ता बताते हैं  भगवत गीता में भगवान कृष्णा ने बताया है की  सभी सन्यासी भगवान का ही अवतार होते हैं अनेक धर्मों में  सतगुरु को अनेक  नामों से जाना जाता है इन सभी सतगुरु में से कुछ खास नाम भी हैं जैसे ईसा मसीह  भगवान महावीर गौतम बुद्ध शंकराचार्य और  पैगंबर मोहम्मद हाल के ही  सतगुरु ओं का अवतार में  राम और कृष्ण परमहंस श्री साईनाथ गुरु नानक और कई अनेक नाम  सम्मिलित है सतगुरु  अपने शिष्यों को परमात्मा मिलन की राह खाते हुए  जिसमें गुरु की भक्ति का बड़ा असर है इसलिए यह जरूरी है कि  शिष्य अपने  का  आदर सत्कार करें

 पूजा कैसे करें

 विष्णु को चावल गणेश जी को तुलसी देवी को  दूर्वा  सूर्य को बेलपत्र  यह सब चीजें कभी नहीं चढ़ाना चाहिए क्या चढ़ाना चाहिए  भगवान भोले शंकर को बिल्वपत्र विष्णु को तुलसी गणेश जी को हरी दूर्वा  सूर्य को लाल कनेर  के पुष्प अति प्रिय माने जाते हैं   पूजा के समय में दीपक की स्टेट भी सही होनी चाहिए घी का दीपक हमेशा  दाई ओर से  रखना चाहिए जल पात्र एवं घंटा धूप दानी जैसे वस्तुएं  हमेशा  बाईं और से  लगाना चाहिए  देवताओं को हमेशा अनामिका  उंगली से  तिलक या फिर सिंदूर लगाना चाहिए गणेश जी दुर्गा माता  एवं हनुमान जी  ऐसे और अनेक मूर्तियों पर सिंदूर माथे पर नहीं लगाना चाहिए सबसे दूसरा दीपक या फिर दीपक से धूप  या फिर कपूर कभी ना जलाएं

भगवान के आगे जल का चौकोर गिरा बनाकर नवेद रखना चाहिए पूजन किसी सामग्री की कमी रह गई तो  परेशान होने या फिर पूजा से उठने के बजाय  उनके जगह पर  अक्षत था और फूल डाल दे  और अपने मन में  वस्तु का  संपूर्ण योग बस मे  रहकर उसका ध्यान करें  संपूर्ण देवताओं को 3 बार या फिर 5 बार या फिर 7 बार प्रणाम करना चाहिए

 पूजा  अर्चना में फल  चढ़ाएं

 सभी देवी देवताओं को नैवेद्य के बाद फल चढ़ाएं जाते हैं फल एक ऐसी जरिया है फल पूर्णता के  प्रतीक माना गया है  फल चढ़ाकर जीवन को सफल बनाने की कामना करते हैं भगवान से निवेदन करते हैं मौसम के अनुसार पांच प्रकार के फल परमेश्वर को चढ़ाए जाते हैं अपनी शक्ति के अनुसार  कम भी चढ़ा सकते हैं  फल पूरी तरीके से  मीठे होने  से लेकर रसदार रंग और सुगंध से भी पूर्ण होने की आवश्यकता होती है हल चलाने का मनोविज्ञान यह है कि हम  भी रसदार मीठे नया रंग से भरा जीवन जी सकें और साथ में सफल भी हो सके  पूरे जीवन में अच्छे कर्म करें फल जैसे सद्गुणों के जैसे हो सके वैसे ही हम भी बने हुए हैं   हम सभी जानते हैं कि अच्छे कर्म के अच्छे नतीजे होते हैं मीठे फल परमेश्वर को अर्पित करते समय यह भी भावना रहती है की  हे ईश्वर मै  छिद्र रोहित मीठे रस से भरा फल आपको अर्पित करता हूं  अतः आप भी मेरा जीवन इसी मीठे फल के रस के बराबर भरदे और कहीं से भी मेरे घर में दुख  प्रवेश ना हो सके ऐसी मुझ पर कृपया करें  दोस्तों सभी के पूजा-पाठ  एवं अर्चना  अपने अलग अलग तरीके से करते हैं  इसमें हम सब  सम्मिलित होकर सही दिशा की ओर काम करें

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