भगवान विष्णु की बारात जाने का समय हो गया पूरे देवता गण अपने परिवार के साथ स्वयंवर समारोह में पहुंच गए सबको यह चिंता खाए जा रही थी श्री गणेश कहीं नहीं दिख रहे हैं सभी लोग आपस में चर्चा करने लगे या गणेश जी को न्योता नहीं दिया गया या तो गणेश जी आए ही नहीं सब लोगों ने इकट्ठा होकर विचार विमर्श किया की क्यों ना हम विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछ लेते हैं
भगवान विष्णु से कारण पूछने पर पता चला उन्होंने बताया की श्री गणेश जी के पिता भोलेनाथ महादेव को हमने न्योता भेजा है श्री गणेश जी उनके साथ आना होता तो आ जाते उनको अलग से निमंत्रण देने की आवश्यकता नहीं थी
पहली बात यह है की उनको सवा मन आवल सवा मन घी सवा मन लड्डू और कइत उन्हें एक दिन में भोजन चाहिए होता है दूसरी बात यह है कि किसी के घर जाकर इतना सारा खाना पीना अच्छा नहीं होता है
यह सब बातें ही रही तभी किसी एक ने बताया की यदि गजराज जी आ भी जाते हैं तो उनको भगवान् विष्णु के घर पर बैठा देंगे कि आप घर का रखवाली करो आप की सवारी चूहा है तो वाकई में आप धीरे धीरे चलोगे सभी बारातियों से बहुत पीछे रह जाओगे यह तजुर्बा सबको पसंद आ गया आखिर में विष्णु ने भी अपनी उनके बातो पर खुलके सहमति जताई
कहानी श्री गणेशाय नमः
श्री गणेश जी कहने लगे की भगवान विष्णु हमारी बहुत अपमान किए हैं तब नारद जी ने उनको प्रेरित किया उन्होंने बताया कि आप अपनी मुशो की सेना आगे भेज दो सभी चूहे आगे जाकर रास्ता खोद देते हैं जिससे उनका वाहन धरती में घुस जाएगा तब जाकर आपको सम्मान पूर्वक बुलाना पड़ेगा
श्री गणेश जी के मन में लड्डू भी फूट गया अपनी पूरी मौसम की सेना जल्दी से आगे भेज दी सेना ने जमीन के नीचे जल्दी-जल्दी पोल बना डाले वहां से जब बारात निकलती है तो सभी रथो के पहिया धरती में घुस गया पूरी कोशिश कर लेने के बाद वहां पहिया वहां से नहीं निकलने वाला था तब सभी ने अपना अपना लाखों उपाय करने के बावजूद पहिया नहीं निकला और जगह-जगह से टूट भी गया अब तो किसी के दिमाग में नहीं आ रहा था अब क्या किया जाएगा
इतने में नारद जी प्रकट हो गए उन्होंने कहा आप सब ने गणपति जी का घोर अपमान किया है यदि आप लोग उन्हें मना कर ले आवे तो यह कार्य सिद्ध हो सकता है तत्पश्चात यह संकट टल सकता है
भगवान शिव शंकर ने तब जाकर अपने दूत नंदी को भेजा और बोला गणेश जी को आदर सम्मान पूर्वक लेकर आया जाए साथ में पूजन किया जाए तब जाकर कहीं रथ की पहिया निकलेंगे जगह-जगह टूट गए पहिए वहां भला कौन बनाता