विष्णु भगवान का विवाह | रोचक पौराणिक कथा | interesting mythological story

 उस  समय की बात है  जब विष्णु भगवान का स्वयंबर श्री लक्ष्मी जी के साथ  सुनिश्चित हो गया था विवाह की तैयारी को लेकर  संपूर्ण देवताओं को निमंत्रण भेजा गया किंतु श्री गणेश जी को आमंत्रित नहीं किया गया  और कहानी के बारे में आगे बताया जा रहा है 


 भगवान विष्णु की बारात जाने का समय हो गया पूरे देवता गण अपने परिवार  के साथ स्वयंवर समारोह में पहुंच गए सबको यह चिंता खाए जा रही थी श्री गणेश कहीं नहीं दिख रहे हैं सभी लोग आपस में चर्चा करने लगे या गणेश जी को न्योता  नहीं दिया गया या तो गणेश जी आए ही नहीं सब लोगों ने इकट्ठा होकर विचार विमर्श किया की क्यों ना हम विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछ  लेते हैं



 भगवान विष्णु  से कारण पूछने पर पता चला उन्होंने बताया  की श्री गणेश जी के पिता  भोलेनाथ महादेव को हमने न्योता भेजा  है श्री गणेश जी उनके साथ आना होता तो आ जाते  उनको अलग से निमंत्रण  देने की आवश्यकता नहीं थी


 पहली बात यह है की उनको सवा मन आवल  सवा मन  घी  सवा मन लड्डू  और कइत उन्हें एक दिन में भोजन चाहिए होता है दूसरी बात यह है कि किसी के घर जाकर इतना सारा खाना पीना अच्छा नहीं होता है


  यह सब बातें ही रही तभी  किसी एक ने बताया की  यदि गजराज जी आ भी जाते हैं  तो उनको भगवान् विष्णु के घर पर बैठा देंगे कि आप घर का रखवाली करो आप की सवारी चूहा है तो वाकई में आप धीरे धीरे चलोगे  सभी बारातियों से बहुत पीछे रह जाओगे यह तजुर्बा  सबको पसंद आ गया आखिर में  विष्णु  ने भी अपनी उनके बातो पर खुलके सहमति जताई

इधर बातें हो  रही थी इतने में गणेश जी वहां पहुंच गए और  उन्हें समझा-बुझाकर घर पर घर की रखवाली के लिए बैठा दिया जाता है बरात निकल जाने के बाद वहां   नारद जी प्रकट हो जाते हैं  द्वार पर बैठे  गणपति जी से दरवाजे पर बैठने का कारण  पूछते हैं       

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कहानी  श्री गणेशाय नमः

श्री गणेश जी कहने लगे की भगवान  विष्णु हमारी बहुत  अपमान  किए हैं  तब नारद जी ने उनको प्रेरित किया उन्होंने बताया कि आप अपनी  मुशो  की सेना आगे भेज दो  सभी चूहे  आगे जाकर रास्ता खोद  देते  हैं  जिससे उनका वाहन धरती में घुस  जाएगा तब जाकर आपको सम्मान पूर्वक बुलाना पड़ेगा


श्री गणेश जी के मन में लड्डू भी फूट गया अपनी पूरी मौसम की सेना जल्दी से आगे भेज  दी  सेना ने जमीन  के नीचे जल्दी-जल्दी  पोल बना डाले  वहां से जब बारात निकलती है तो सभी रथो  के पहिया  धरती में घुस गया  पूरी कोशिश कर लेने के बाद वहां पहिया वहां से नहीं निकलने वाला  था  तब सभी ने अपना अपना लाखों उपाय  करने के बावजूद  पहिया नहीं निकला  और जगह-जगह से टूट भी गया  अब तो  किसी के  दिमाग में नहीं आ रहा था   अब क्या किया  जाएगा


इतने में  नारद जी प्रकट हो गए  उन्होंने कहा आप सब ने गणपति जी का घोर अपमान किया है यदि आप लोग उन्हें मना कर ले आवे तो यह कार्य सिद्ध हो सकता है  तत्पश्चात यह संकट टल सकता है


भगवान शिव शंकर ने  तब जाकर अपने  दूत नंदी को भेजा और बोला गणेश जी को आदर सम्मान पूर्वक लेकर आया जाए साथ में पूजन किया जाए तब जाकर कहीं  रथ की पहिया निकलेंगे  जगह-जगह टूट गए  पहिए  वहां भला कौन बनाता

पास के गांव में लकड़ी का काम करने वाला एक मिस्त्री रहता था उसको बुलवाया गया  लकड़ी मिस्त्री अपना काम करने के पहले  श्री गणेशाय नमः  कहकर गणेश जी की वंदना  मन ही मन करने लगा देखते  ही देखते मिस्त्री सभी  पहिया को  बना दिया

तब वह लक्कड़ का मिस्त्री कहने लगा  की  है देवताओं  सर्वप्रथम आपने गणेश जी को  नहीं मनाया होगा और ना ही पूजन किया होगा इस नाते आपके साथि या घटित हुआ  हम तो मूर्ख अज्ञानी हैं फिर भी गढ़पति जी को सर्वप्रथम पूछते हैं और उनको अपने मन ही मन में ध्यान प्राण लगाए रहते हैं आप सभी लोग तो देवता गढ़ हो फिर भी गणेश जी को कैसे भूल जाते हो आप सभी  भगवान श्री गणेश गणपति जी की जय कारा  लगाकर आगे बढ़े बिगड़े सब काम बन जाएंगे और संकट दूर से ही भागेगा

  फिर श्री गणेश का जयकारा लगाकर बारात वहां से चल देती है  वहां पहुंचकर विष्णु भगवान और महालक्ष्मी जी का  विवाह संपन्न हो जाता है  स्वयंबर संपन्न होने के बाद  सब लोग कुशल क्षेम के साथ  घर  वापस लौट आते हैं   उसके बाद से ही गणेश को  सर्वप्रथम पूजने का कार्य प्रारंभ हो गया तभी से गणेश जी को देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाने लगा ओम श्री गणेशाय नमः

गणपति जी की एक अलग लीला है  जो हर एक मनुष्य के  दिलो-दिमाग में छाया हुआ है  वह इनकार करते हुए  भी झुठला नहीं सकते  हम सभी ने गणेश जी को सर्वप्रथम पूजा पाठ में सबसे आगे रहते हैं और अनेकों पूजा पाठ में  श्री गजराज जी को सबसे आगे आगे रखा जाता है  भारत  ही नहीं अनेकों देश में  श्री गणपति जी का पूजा को बहुत  उत्साहित  होकर करते हैं

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