शास्त्रों के अनुसार लहसुन प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए

 


एक तरफ रोचक और पौराणिक कथा को लेकर  अपने आसपास के लोगों को यह  कहासुनी करते हुए  आप जरूर सुने होंगे की  नवरात्रि उपवास में या  अनेकों धार्मिक क्रियाओं में लहसुन प्याज का प्रयोग वर्जित माना जाता है हम और आप में से कई लोग इस कथन  का पालन भी करते हैं


  ऐसा क्या है लहसुन और प्याज में  जिसके कारण वर्जित माना गया है आखिर में इतनी उपयोगी चीज जो की  प्रकृतिक ने ही हम सभी को  प्रदान किया है इसमें हमारे शरीर के लिए बहुत ही दुर्लभ आवश्यकता तत्व  पाय  जाते हैं  जोकि के शरीर के कईयों भयंकर जानलेवा बीमारी  से हम सभी को बचाता है और भोजन इस्तेमाल करने का लोग सलाह भी देते हैं


जब प्रकृति ने किसी भी चीज को   व्यर्थ में नहीं बनाया तो हिंदू धर्म में इसका सेवन करना  वर्जित क्यों माना गया आखिर में असली वजह क्या है


प्याज और लहसुन से जुड़ी पौराणिक कहानी


हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जब समुद्र मंथन चल रहा था तभी उसमें से अमृत निकलता है  उसे भगवान विष्णु  मोहिनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृत  बांट रहे थे उसी समय एक  असुर जिसका नाम   राहु बताया गया  वह अपना   भैंस भोसा बदलकर   देवताओं की लाइन में लग जाता है  कभी गलती से भगवान विष्णु उसको भी अमृत पिला देते हैं लेकिन भगवान को उसी  वक्त पता चलता है


आनन-फानन में भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से  उसका गला काट देते हैं  परंतु जब तक  अमृत की कुछ बूंदें असुर के   मुंह  तक जा चुकी होती हैं  लेकिन जबड़े के नीचे नहीं पढ़ पाती है  शरीर में अमृत नहीं पहुंच पाने के कारण  शरीर में अमृत नहीं पहुंच पाती है इसी के कारण शरीर वही नष्ट हो गया था  परंतु उसका  सिर अमर हो गया भगवान विष्णु जब असुर का सिर काट देते हैं  उस समय की कुछ बूंद  खून अमृत से लिपटा हुआ  जमीन पर गिर गया यही वह कारण है  उस स्थान पर  प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई थी


इस नाते लहसुन अमृत की पौधों के साथ मिलकर बना है इसमें  अनेकों खतरनाक रोगों से लड़ने का शक्ति  मौजूद होती है  किंतु इसमें राक्षसो का खून होने के कारण इनमें से  बहुत गंध  आती हैं  और इसको पूजा पाठ के समय पवित्र माना जाता है  और तो और  इसको किसी देवी देवताओं को भी नहीं चढ़ाया जाता


  पौराणिक काल से ही सन्यासी और साधु-संत  प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं कुछ  योगी और तपस्वी ऐसे  भी हैं  जिनको अभी तक  लहसुन और प्याज का  स्वाद भी नहीं मालूम कैसा होता है आपको बताना यह जरूरी  जरूरी हो जाता है की सनातन धर्म ही नहीं बल्कि जापान और चाइना  में   भी कईयों  वर्ग के लोग ऐसे भी होते हैं जो पूरे जीवन लहसुन और प्याज का परहेज करते हैं


शास्त्र और आयुर्वेद के अनुसार


शास्त्रों के अनुसार हमें जो भोजन खाना चाहिए वह शाकाहारी होना चाहिए  यह  इसलिए जरूरी हो जाता है भोजन का हमारे जीवन पर बहुत बड़ा असर होता है  इसका हमारे मन मंदिर में सीधा अटैक करता है बड़े बुजुर्गों का कहना जैसा करोगे वैसा भरोगे ठीक  उसी तरीके से जैसा आहार वैसा हमारा व्यवहार  बनता चला जाता है


खाद्य पदार्थों को  आयुर्वेद के अनुसार सब  तीन भागों में बाटा गया सात्विक और तामसिक ऐव् राजसिक ।

सात्विक----: चावल दाल  घी दूध दही मून आटा  लौकी बैगन  इत्यादि आते हैं इसे  भोजन के रूप में खाते ही संयम और शांति जैसी पवित्र भावना हमारे अंदर जागने रखता है और हम आति शक्तिशाली रहते हैं

वहीं दूसरी तरफ राजसिक भोजन   के अंतर्गत   मीठे:तीखे  खट्टे चटपटे  जैसी चीजें आती हैं ऐसा  ऐसा भोजन से हमारे मन में खुशी जैसे भावना उत्पन्न करने की शक्ति होती है

और यह है तामसिक भोजन  उसके अंदर  लहसुन प्याज अंडे मांस एवं मछली पदार्थ शामिल होते हैं इस   तरह का भोजन जिसमें किसी का जान लेकर मारकर खाया जा  भला उसमें शांति कहां मिलने वाली  यह सब सेवन करने पर  अहंकार उत्त्तेजना जुनून क्रोध जैसी विनाशक भावना उत्पन्न होती हैं

आयुर्वेद में  तामसिक  भोजन लहसुन और प्याज को रखा है यह प्याज और लहसुन  मानव के शरीर में जुनून उत्तेजना अज्ञानता एवं क्रोध आदि जैसे भावना को प्रकट करता है यही वह कारण है जो इंसान को धार्मिक क्रियाओं को निभाने में मन को  कहीं और  भटका देता है  यही वह कारण है जो  वेद के मुताबिक  प्याज और लहसुन तामसिक भोजन माना जा रहा है और सभी को यह भी जानना जरूरी है तामसिक भोजन पूजा पाठ में यह भगवान का पूजा या कोई भी धार्मिक क्रियाओं आदि में उपयोग नहीं किया जाता है 



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