मणिपाल की योग्यता की परीक्षा की कहानी | Who was the king of Madhavgarh

शक्तिसेन माधवगढ़ के एक बड़े बलशाली राजा थे । बताया जाता है की उनके राज्य में गुणवान और बिद्यावानो का खूब सम्मान किया जाता था । लेकिन उस राज्य में भी पानी की बड़ी समस्या बनी हुई थी । इस पानी की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए राज्य में हर एक - जगह पर छोटे - बड़े गेड़ही या फिर   तालाब बनाये जाते थे । उन सभी में बरसात का पानी इकट्ठा कर दिया जाता था । उसके बाद भी परेशानी दूर नहीं हो पाती थी । फिर क्या हुआ जाने एक दिन राज्य के सेनापति सुयोधन की एक काले नाग के काट लेने के कारण उनकी मृत्यु हो गई । 

सेनापति के पद ki aek kahani

यह बात सुनते ही महाराजा के पास सेनापति  उम्मीदवारों की भीड़ इकट्ठा होने लगी लेकिन  इस बात का कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे उसके बाद राजा ने घोषणा की जो व्यक्ति सेनापति बनने के इच्छुक हो वह इसी महीने दरबार में उपस्थित  हो  हर एक उम्मीदवारों को दरबार में  करीब 1 महीने से ऊपर रखा जाएगा  उसके बाद उनकी योगिता की परीक्षा ली जाएगी
 उनमें से जो सफल  उम्मीदवार होगा उसे सेनापति बनाया जाएगा 
हिन्दू राजाओं का इतिहास



यह घोषणा सुनते ही देश के करीबन 50 से भी ज्यादा उम्मीदवार पहुंच गए उन सभी में एक गांव का निवासी मणिपाल भी था उसके बाद सभी उम्मीदवारों को रहने के लिए जगह और भोजन का बंदोबस्त किया गया 1 दिन की बात है जब  शक्ति सेन  अपने घोड़े पर चढ़कर गांव में निकले हुए थे उनके साथ में उम्मीदवार मंत्री कुछ सिपाही भी निकल पड़े थे

 यह काफिला काफी भीड़ भरे बाजार में गुजर रहा था उसी वक्त   एक सांड  भीड़ को  चाहटते  हुए काफिले की तरफ दौड़ता आ रहा था लोगों में भगदड़ मच गई राजाजी घोड़े से गिर पड़े उन्हें चोट भी लग गई उन्होंने भागकर एक मकान में  छुप जाते हैं सब लोग तो भाग कर इधर-उधर हो गए 

लेकिन तो एक बच्चे को  सांड ने अपने सींगों पर उठा लिया था  परंतु मणिपाल  निहत्था हाथ  शेर के जैसे उस पर टूट पड़ा उसने उछल कर  सांड के दोनों सींगों को पकड़ लिया कभी मणिपाल सांड को पीछे धकेल देता कभी मणिपाल   को साड धकेल देता ऐसा  करते करते हो सांड ने माणिक पाल को एक तरफ झटक देता है और दौड़ कर  उसको रगड़ना चाहता है
 
 कोई भी व्यक्ति का हिम्मत उसके पास जाने तक नहीं हो पा रहा था ठीक उसी समय  मणिपाल के  आंखों के सामने एक लाठी नजर आ गई फिर क्या था  एक झपट्टा मारकर उस लाठी को उठा लिया मणिपाल ने  सांड़ के मुंह पर  जोर से लाठी मारा वह तिलमिला कर रह गया  उसके बाद जोर से उसके नाक पर डंडा मारकर उसको लहूलुहान कर दिए जोर से सांड के नाक से खून बहने लगा वह धरती पर गिर के मर गया

 वहां पर भारी-भरकम भीड़ इकट्ठा हो गई थी सभी ने दौड़कर मणिपाल को हाथों हाथों में उठा लिए  उसके बाद राज्य में मणिपाल के साहस की बहुत चर्चा होने लगी 

उसके बाद 5 दिन बाद सभी उम्मीदवारों को  राजा ने अपने  महल बुला लिया  और उनसे  कह रहे थे की अपनी इस राज्य के ऊपर इस समय भयानक युद्ध के बादल छा गए हुए हैं चंद्रगढ़ के महाराजा युद्ध जीत सिंह ने अपनी संपूर्ण सेना के साथ यहां से  तीन-चार मील ऊपर पहाड़ी पर अपना डेरा लगाया हुआ है आप सभी में से कोई ऐसा जुगाड़ बताएं जिससे  बगैर खून खराबा किए  हम सभी युद्ध को जीत सकें सब उम्मीदवार एक से एक युक्तियां और जुगाड़ सोचने  और बताने लगे परंतु राजा को किसी का उत्तर ठीक नहीं लगा
  उसके बाद उन्होंने  मणिपाल के मुंह घुमा कर देखा  मणिपाल कुछ देर सोचते और विचारते रह गए कुछ वक्त के बाद उन्होंने बोला ए राजा हे राजन  इस युद्ध को बिना खून खच्चर  किए भी  युद्ध को जीता जा सकता है  उन्होंने कहा कि यदि हम  शत्रु के डेरे तक  राशन पानी पहुंचाने वाला साधनों को नष्ट  भ्रष्ट कर दे तो  बड़े ही आसानी से इस युद्ध को हम जीत सकते हैं
 



इसका यह उत्तर सुनकर राजा जी खूब पसंद हुए अभी केवल उनको विद्वानों  उम्मीदवारों को परखना था उसके अगले  सुबह उम्मीदवार और सिपाही जंगल में पहुंच गए   वहां जाने के बाद  कुछ सिपाहियों के साथ वापस  राज की तरफ लौट रहे थे उन्हें रास्ते में एक बूढ़ा कहार कहार के चिल्ला रहा था उसके शरीर पर छोटे-छोटे घाव होने के कारण उसने कई जगह शरीर पर गंदे कपड़े  की  पट्टियां बांधे  हुए थे


वह प्यासा ब्याकुल पानी-पानी करके रट लगा रखा था । लेकिन उन सभी उम्मीदवार और सिपाहियों ने बूढ़े पर गैरो सी नज़र डालते हुए उस जगह से चले दिए । मणिपाल घायल अवस्था में होने के नाते थोड़ा धीरे - धीरे में चल ही रहा था । वह सबसे पीछे हो गया था । बूढ़े ब्यक्ति को देखते ही , वह वहीं रुक जाता है । उसने अपने कंधो से लटके पानी की थैला उतारकर बूढ़े इन्शान को पानी पिला दिया । 


बूढ़े बाबा का कराहना तब जाकर कही कुछ कम हुआ , तो मणिपाल पूछा - " बाबा , आपका घर कहाँ है कहा रहते हो ? अभी तो रात हो जाने को है । यहाँ पर जंगली खातरनाक जानवर भी आ सकते हैं यहां रहना ठीक नहीं । चलो चले , हम  आपको आपके घर छोड़ देता हूँ । " उसके बाद मणिपाल ने उस बूढ़े इन्शान को अपनी पीठ पर बैठाकर । चल पड़ा । वह कुछ कदम चला ही था , तभी बूढ़े ने उससे रुकने को बोला  । वही मणिपाल रुक जाता है  ।

बूढ़ा ब्यक्ति मणिपाल के पीठ से निचे उतर पड़ा । फिर उसकी तरफ देखते हुए बोल पड़ा की - " बेटे , परमेश्वर ने चाहा , तो तुम माधवगढ़ के सेनापति अवश्य चुने जाओगे या बनोगे । " मणिपाल ने उनकी आवाजों को पहचान चुके थे । फिर उसके मुँह से निकल पड़ा- हे “ महाराज .. पर राजा बिना कुछ ना ज्यादा बोले महल की तरफ बढ़ने लगे । 
उसके अगली सुबह राज दरबार में शक्तिसेन ने फिर की घोषणा की- " मणिपाल को ही माधवगढ़ का सेनापति चुना जाता है । उसमें बल , बुद्धि , साहस और उदारता जो है । " यह सुन मणिपाल ने आगे बढ़े । राजा से आशिर्बाद लिया। फिर राजा ने उन्हें गले से लगा लिया । सभी लोग सहमत हो गए 
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