नेउर बाबा की कहानी | A Tale of Neur Baba

 


यह घटना उस समय के लिए है जब  एक पंडित जी चमार के लिए अपना जान गवा बैठे  यह कहानी यूपी  का कुदरहा ब्लॉक से 3 किलोमीटर पूरब पीपरपाती ग्राम सभा  के अंतर्गत बस्ती जिला में पड़ता है  

इस स्टोरी में यह बताया जा रहा है की एक ब्राह्मण  जब चमार का साथ देता है तो उसे मौत के सिवाय उसको कुछ नसीब नहीं होती है और नाही उसका कोई नाम निहोरा कर रहे है यह कहानी तार-तार कर देने वाली है इसको पढ़ने के बाद आपकी रूह काँप जाएगी  खुद आपको  महसूस हो जाएगा कि  यह बात आपके कलेजे को झकझोर के रख देगी बताई जा रही है 

जाने नेउर बाबा कौन थे

वे बस्ती जिला के डीहुकपुरा ग्राम सभा के निवासी थे एक पंडित समाज के थे उनका रंग गोरा सफेद कुर्ता धोती पहनते थे 

यह कहानी शुरू होती है यहां से की जब  एक पंडित चमार जाति के एक व्यक्ति को के साथ दिलाने के लिए खुद को कुर्बान कर दिया यह कोई   नेवर पुर बाबा है जो  एक यादव बिरादरी से चमार विरदारी का झगड़ा चल रहा था जिनका नाम नाटे बताया जाता है जो पंडोहिया ग्राम के रहने वाले थे जिसमें ब्राह्मण जी  अपने कर्तव्य बल पर चमार लोगों को विजय दिला दिया इस बात से गुस्साए यादव बिरादरी के लोग  उनकी  कत्ल कर देते हैं

  उनकी  कत्ल जब वह किसी कार्य से बाहर  किसी कार्य से गए होते हैं  तब शाम को लौटते समय देरी हो जाने पर  वे पीपरपति ग्राम सभा में बसा  पौशालवा  से राम जानकी मार्ग  से एक  एक पगडंडी रास्ता  कटा हुआ था  जिससे लोग आया जाया करते थे राम जानकी मार्ग  से  वह करीब  500 मीटर उत्तर की तरफ जाने पर शाम को  तीन से चार लोग छिपकर बैठे हुए थे  एकांत जगह पाकर उनकी मर्डर कर देते हैं

 लोग बताते हैं कि आज भी उनकी रूह उसके इधर-उधर भटकती है और लोगों के अंदर अभी तक उनके प्रति विश्वास बैठा हुआ है  की देर रात मैं उनका  पहरा रहता है आज उस जगह पर रोड बन चुका है  लेकिन तो वह जगह  भय मुक्त नहीं हो पाई है  आज भी उस सिवान में लोग उन्हीं के नाम लेकर  देर रात  मैं जाया करते हैं और नेउर बाबा आप सभी की रक्षा करते हैं


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