गंगा के तट पर गाँव था सोनाली । वह धोबियों का गाँव था ।सुबह होते ही स्त्री - पुरुष नदी के किनारे कपड़े धोने लगते । उनमें एक धोबी था मंगलू । मंगलू के परिवार में पत्नी और एक बेटा था दीनू । दीनू कामचोर था । एक दिन वह नदी के किनारे बैठा था ।
अचानक उसे नदी में एक सुनहरी मछली तैरती दिखाई दी । उसने सुना था कि सुनहरी मछली धन का खजाना होती है । उसने दौड़कर जाल उठाया । नदी में छलांग लगा दी । उसे सुनहरी मछली को ढूँढ़ने में कोई कठिनाई नहीं हुई । क्योंकि सुनहरी रंग के कारण मछली पानी में दूर - दूर तक दिखाई देती थी । उसके जाल में मछली फँस ही गई ।
वह मछली को ले , गाँव को चल दिया । रास्ते में उसके कानों में एक आवाज सुनाई दी । उसने अपने कान को मछली के पास कर दिए । मछली बोल रही थी- “ हे मानव , तू मुझे क्यों अपने बंधन में लेना चाहता है ? तुम्हारी तरह हमें भी अपनी स्वतंत्रता प्यारी है । मुझे छोड़ दे , नहीं तो मेरा शाप तेरा विनाश कर देगा पर दीनू ने मछली की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया ।
दीनू ने घर आकर काँच के मर्तबान में मछली को रख दिया । आसपास के गाँवों में सुनहरी मछली की चर्चा फैल गई । मंगलू के घर लोगों का तांता लगा रहता । दीनू भी अवसर का लाभ उठाता । वह मछली को दिखाने के पैसे वसूल करता ।
उसके घर धन बरसने लगा । गाँव में एक चोर था कर्मू । एक रात कर्मू दीवार फाँदकर मंगलू के में घुस गया । लाख खोजने पर भी कर्म को सुनहरी मछली नहीं मिली । उसने घर का कीमती सामान इकट्ठा किया और चलता बना । अगली सुबह मंगलू सोकर उठा । उसने घर का कीमती सामान गायब पाया ।
उसने बेटे से कहा- “ दीनू , चोर हमारे घर का सारा ले गए घर सामान दीनू हड़बड़ा कर बिस्तर से उठा । आँगन में पहुँचा , जहाँ उसने सुनहरी मछली को छिपा रखा था । मछली को वहाँ देख चैन की साँस ली । फिर वह मंगलू से बोला- " पिताजी , जब तक सुनहरी मछली हमारे पास है , तब तक हमारे पास धन की कमी नहीं रहेगी ।
दिन बीतते गए । सुनहरी मछली का प्रदर्शन कर दीनू ने काफी धन बटोर लिया । सुनहरी मछली की खबर राजमहल तक पहुँची । राजा ने अपने मंत्री को मछली लाने भेजा । मंत्री अपने सैनिकों सहित सोनाली गाँव पहुँचा । वह दीनू से बोला- " राजा सुनहरी मछली को देखना चाहते हैं । तुम मछली लेकर दरबार में हमारे साथ चलो ।
यह सुन दीनू की सिट्टी - पिट्टी गुम हो गई । उसने सुनहरी मछली के बल पर न जाने क्या - क्या सपने संजोए थे । वह बोला- " मैंने बहुत मेहनत से मछली पकड़ी है । मैं राजा को मछली कैसे दे दूँ ? " “ तुम मछली हमारे हवाले कर दो । वर्ना तुम मारे जाओगे । " आँखें तेरते हुए मंत्री ने कहा । दीनू समझ गया कि भलाई इसी में है मछली दे दूँ । फिर भी यदि कुछ धन मिल जाए , तो ठीक ही रहेगा ।
ऐसा सोचकर वह बोला- " मंत्री जी , यह मछली हमारे परिवार की आमदनी का साधन है । इस मछली के बिना हम भूखों मर जायेंगे । आप हमें मछली के एवज में कुछ धन दिला दें , तो आपकी बड़ी कृपा होगी । राजा के उस मंत्री ने सुनहरी मछली के बदले में दीनू प्रसाद को खूब सारा धन देने का वायदा कर देता है । उसने दीनू को साथ ले गया मछली सहित राजमहल की ओर निकल पड़े ।
उधर राजमहल में पड़ोसी राज्यों से मेहमान आए थे । नगर के लोगों की भीड़ देखने ही बनती थी । सभी उत्सुकता से सुनहरी मछली की प्रतीक्षा कर रहे थे । प्रतीक्षा की घड़ियाँ समाप्त हुई । तभी मंत्री एक जार को काले कपड़े से ढककर दरबार में उपस्थित हुआ । सभी की नजरें जार की ओर थीं । राजा का इशारा पाते ही मंत्री ने जार से कपड़ा हटा दिया ।
सभी हैरान थे । क्योंकि जार में साधारण मछली थी । मंत्री के होश गुम हो गए । राजा आगबबूला हो उठा । बोला- " मंत्री जी , सुनहरी मछली कहाँ है ? यह तो साधारण मछली है । लगता है , दीनू ने चतुराई में मछली बदल दी है ।
उसे फौरन यहाँ लाओ " -राजा चिल्लाया । सैनिक ने दीनू को राजा के सामने खड़ा कर दिया । राजा बोला- " दीनू , तुमने हमें धोखा दिया है । बताओ , सुनहरी मछली कहाँ है ? वरना जेल में बंद हो जाओगे । " “ महाराज , मैंने सुनहरी मछली ही मंत्री जी को सौंपी थी । पता नहीं यह अदल - बदल कैसे हो गई ? "
दीनू ने गिड़गिड़ाते हुए कहा । " यह झूठ बोलता है । इसे कैदखाने में डाल दो । जब तक सुनहरी मछली का पता न बताए , इसे छोड़ा न जाए । " राजा ने चेतावनी दिया । दीनू को मछली की चेतावनी याद आई । वह बोला- " महाराज , मुझे मछली की चेतावनी याद आ रही है । उसने कहा था- ' मुझे भी स्वतंत्रता उतनी ही प्यारी है जितनी कि मनुष्यों को होती है ।
मेरा विश्वास है कि इस मछली का रंग फिर से सुनहरा हो सकता है । मैंने सुनहरी मछली को बंधक बना रखा था । अतः उसने मुझे शाप दे दिया । यह सब उसी के शाप का फल है । " यह सुन , राजा ने सोचा - ' हो सकता है दीनू ठीक बोल रहा हो । ' उसने कहा- " ठीक है लड़के ! हम तुम्हें एक मौका और देते हैं ।
यदि यह मछली फिर से सुनहरी हो गई तो हम तुम्हें छोड़ देंगे , नहीं तो कैदखाने में रहोगे । " दीनू ने यह बात मान ली । उसने राजा को गाँव आने का निमंत्रण दिया । फिर उस मछली को लेकर अपने गाँव लौट गया । सोनाली गाँव में उस दिन बहुत भीड़ थी । सारा गाँव चमक रहा था । नियत समय पर वहाँ राजा आया ।
दीनू के हाथ में जार था । जार में बंद मछली उछल रही थी , मानो उसे अपने स्वतंत्र होने का आभास हो गया हो । दीनू ने ठीक उसी स्थान पर मछली को छोड़ दिया जहाँ से उसे पकड़ा था । मछली नदी में तैरने लगी । परन्तु यह क्या ! मछली तैरती हुई दूर निकल गई पर उसने रंग नहीं बदला । राजा गुस्से से बोला दीनू , मछली ने अपना रंग नहीं बदला । मछली को तो अब सुनहरे रंग का हो जाना चाहिए था ।
अब तुम सजा भुगतने को तैयार हो जाओ । " राजा का इतना कहना था कि सबकी आँखें चौंध गई । उन्होंने देखा - मछली का रंग सुनहरी हो गया था । सारी नदी सुनहरी हो गई थी । दीनू ने चैन की साँस ली । राजा को अब दीनू की बात पर विश्वास हो गया । उसने कहा " सुनहरी मछली का कहना ठीक था । हर प्राणी खुली हवा में साँस लेना चाहता है । सबको स्वतंत्रता अच्छी लगती है । तब जाकर राजा ने दीनू को ढेर सारे उपहार स्वरुप धन दिये ।