तिमि मछली माँ , क्या हम सचमुच तिमि मछली देखने जायेंगे ? जायेंगे तो । सचमुच , मौसी ने टिकट मंगा ली है । छोटी - सी कौशिकी की उत्तेजना देखते ही समझ में आती थी । इस जीवन में तिमि माछ देख पायेंगे , इसे क्या वह जानती थी । अमरीका पहुँचकर मानो कौशिकी स्वप्न - लोक पहुँच गई । बोस्टन के विज्ञान संग्रहालय से बाहर निकलने का रत्ती भर भी मन नहीं था ।
मौसी के पास वह घूमने आई है । मौसी यहाँ कालेज में पढ़ाती हैं । मोटरगाड़ी खुद चलाकर नियाग्रा प्रपात घुमाने ले गई थीं । कौशिकी ने यह भी नहीं सोचा था कि वह कभी भी नियाग्रा प्रपाल या न्यूयार्क की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग देख पाएगी । जिस दिन तिमि मछली देखने जाना था , उस दिन मौसी ने सुबह ही कहा- " चलो , चलो ! जल्दी से तैयार हो जाओ । आधे घंटे में न निकले , तो पानी का जहाज मिलना मुश्किल होगा । " -
जहाज में बैठकर तिमि मछली देखने जायेंगे , मौसी ? " - " हाँ रे , जहाज से ही अच्छी दिखाई पड़ती हैं । नहीं तो पीटर और जान की तरह भुगतना पड़ता है । कायाक ( सील की खाल वाली नाव ) में बैठकर जो तिमि मछली की फोटो लेने गया था , अलास्का में । " " छोड़ो , उसे अब बताने की जरूरत नहीं । " -उसने ने बोला । " क्यों माता बताने की अवसक्ता क्यों नहीं ? " ' क्या मालूम बेटी । क्या मैं कहानी जानती हूँ ? मुझे लगा , इसमें अच्छा कुछ भी नहीं है । अभी वह कथा मत सुनो । "
खराब कुछ नहीं है दीदी । फिर भी रहने दो । बाद में सुनाऊँगी । बड़ी रोचक कहानी है । अभी समय नहीं । " - " अच्छा ठीक है , लेकिन आप सुनायेंगी न मौसी ? " - " सुनाऊँगी , जहाज पर चढ़कर याद दिला देना । " - "
पीटर , जानसन , क्या कहकर याद दिलाऊँगी ? " मौसी हँस पड़ी- " नाम मुझे भी याद नहीं रहा । कहानी बड़ी भयंकर है । भूल नहीं सकती । उन फोटोग्राफरों पर क्या - क्या बीतता है , जो जंगल के बाघ और सिंहों की तस्वीर खींचते हैं , उनकी सैकड़ों कहानियाँ हैं । "
कौशिकी बोली- " या फिर जो पानी में उतरकर मछली , सीप और पेड़ - पौधों की तसवीरें लेते हैं ? वे भी कितना जोखिम उठाते हैं न मौसी ? कलकत्ते में टेलीविजन पर दिखाया था । " " हाँ , एक आदमी गोताखोर की पोशाक पहन , पानी में उतर , मछली की तस्वीर ले रहा था ।
अचानक शार्क मछलियों का एक झुंड आया , लेकिन वह फोटो खींचता ही रहा । कितना साहसी था ! तुमने इस दृश्य को कैसे देखा , बताओ तो ? क्या वहाँ और भी कोई था , जो उससे भी अधिक साहसी रहा हो , जो उस साहसी आदमी का फोटो खींच रहा था , यही न ? यह भी ऐसी ही कहानी है । दो फोटोग्राफरों की । " -
मौसी ने कहा । धूप जहाज पर चढ़कर कौशिकी दूसरे तल्ले के खुले भाग में बैठी थी । अभी अधिक फैली नहीं थी , केवल सात ही बजे थे । स्टीमर छोटा ही है । इधर से उधर पहुँचने में एकदम समय नहीं लगता । लेकिन है तीन मंजिला । पहली मंजिल का डेक छोटा है , पानी के बिल्कुल करीब लगता है , जैसे हाथ बढ़ाकर पानी छुआ जा सकता है । जल - धारा वास्तव में दूर है । दूसरी मंजिल का डेक बड़ा है , काफी खुला हुआ है । तीसरी मंजिल का इतना बड़ा नहीं , सारे मस्तूल - वस्तूल वहाँ लगे हुए हैं ।
पहली मंजिल का डेक सबसे बड़ा है ,काफी खुला हुआ । अच्छा , तिमि मछली को क्या खिलाया जाएगा ? जिस तरह झील में लकड़ी के पुल से मछलियों को पूड़ी ( मुरमुरा ) खिलाई जाती है ? - " अच्छा मौसी , तिमि मछली का भोजन जहाज में बेचते हैं या नहीं ? " _ "
अरे , तिमि मछली का खाना - पीना , एकदम अलग है । एक एक टन मछली खा जाती है । मालूम है , दिन - भर में तीन - तीन , चार चार टन मछली खा सकती है ? " तिमि मछली को खिलाना हो , तो ऐसे जहाज भर खाना है । क्या आप या हम में तिमि को खिलाने की ब्वस्था है ? यह क्या चीज है ? जो कंगनी दाना खाएगी ? या हंस है जो मोती चुगेगी ? यह है तिमि मछली , इसका खाना हाथियों जैसा होता है । "
हाथी से भी ज्यादा खाती है - वहीं , जहाँ हम तिमि मछली देखने जा रहे हैं , अटलांटिक महासागर में , वहीं है बोस्टन की खाड़ी । खाड़ी , जहाँ महासागर में मिलती है वहीं तिमि मछली दिखाई पड़ेगी - यहीं तिमि मछलियाँ खाने आती हैं । वे छोटी मछलियों को खाती हैं - यहाँ इस ऋतु में छोटी मछलियाँ होती हैं , इसीलिए तिमि मछलियाँ यहाँ आती हैं । ”
जहाज पर घोषणाकर्ता लगातार कुछ बोले जा रहा था । पहले तो बोस्टन खाड़ी का इतिहास - भूगोल बता रहा था । फिर तिमि के सम्बंध में बहुत - सी सूचनाएँ थीं - ' यहाँ दो प्रकार की तिमि या व्हेल मछलियाँ होती हैं कुछ बड़ी - लम्बी , कुछ गोल - गोल सी । तिमि मछली का वंश पृथ्वी से लुप्त होता जा रहा है ।
यह बहुत प्राचीन काल की मछली है इतना बड़ा महाजीव इस पृथ्वी पर दूसरा नहीं है । ये वास्तव में मछलियाँ नहीं हैं - ये स्तनपायी जीव हैं । ये उछलकर पानी से निकल , खुली हवा में साँस ले , चालीस - पचास फुट नीचे चली जाती हैं । बीस मिनट तक साँस रोके रख सकती हैं । '
अचानक हो - हल्ला मचा - ' ये देखो तिमि ! ये देखो तिमि ! ' जिस ओर सब देख रहे थे , उस ओर देख , कौशिकी ने पाया कि पानी के ऊपर एक बड़ी भारी मछली की पूंछ ऊँची उठी हुई है । तिमि मछली की पूंछ एक वृक्ष जैसी दिखी , ताड़ वृक्ष जैसी । पूंछ डूब गई । फिर दूर समुद्र में पीठ ऊपर उठी । घोषणाकर्ता ने घोषणा की- " यहां पर चार तिमि मछली है इनकी लम्बाई लगभग 60 फुट से अधिक हैं
साठ फुट का अर्थ ? अर्थ ? अगर एक छह मंजिला इमारत पानी के भीतर लम्बी सोई पड़ी हो । माँ बोली- " बाप रे । " हाँ , हाँ , उसी का नाम तिमि मछली है । बड़ा मजा आया । उस दिन दस - बारह बार तिमि मछलियाँ दिखाई पड़ीं । कौशिकी ने जी भर तिमि मछली के करतब देखे - तिमि की कूद - फांद , उसका गुलाटियाँ खाना , तैरना , गौता लगाना । मानो जान - बूझकर , कौशिकी को दिखा दिखाकर , मछलियाँ यह सब कर रही हों । "
मौसी ? ये क्या पाली हुई तिमि हैं ? " नहीं भाई , इतने बड़े समुद्र में क्या मछलियों पाली जा सकती हैं ? तिमि मछली पालने का मतलब ! मैरिनलैंड में पाली हुई तिमि मछलियाँ हैं । डाल्फिन की तरह वे खेल भी दिखाती हैं । हालांकि वे इतने कठिन खेल नहीं खेल पातीं , फिर भी गुलाटियाँ लेती हैं । मैंने देखा है , लांस एंजेल्स में तुम भी देखोगी । "
उन्हें मालूम है , ये सब जहाज , उनके दुश्मन नहीं । बड़ा ही बुद्धिमान जीव है । शायद इन जहाजों को पहचानती हो । " नीचे वीडियो पर एक बड़ी अच्छी फिल्म दिखाई जा रही है - ' द लिटिल मरमेड । ' वीडियो फिल्म समाप्त हुई । जहाज भी बोस्टन खाड़ी पहुँच , बंदरगाह पर आ खड़ा हुआ ।
मौसी ने ही कहा- " कहानी सुन लो । एक दिन टी.वी. देख रही थी । यह कहानी नहीं , सत्य घटना मैंने टी.वी. पर खुद देखी है । टी.वी. पर दिखाया - प्रकृति एवं जीव वैज्ञानिकों का एक दल तिमि मछली का फोटो लेने अलास्का गया , यह सोचकर कि तिमि मछली के जीवन पर किताब लिखें । तब हमारी तरह वे जहाज पर नहीं चढ़े । एक जहाज उनके साथ - साथ चला । वे छोटी - छोटी नावें लेकर , तिमि मछली के करीब पहुँचे ।
उन्हें घूम - घूमकर देखने लगे । तिमि मछलियाँ जैसे ही उधर उछलीं , वैज्ञानिक उनका फोटो खींचते । अचानक हमने टी.वी. पर ही देखा , तिमि मछली अपना बड़ा सा मुँह खोल , एक फोटोग्राफर को निगल गई और तुरंत गोता लगा लिया । गोता लगाते ही तिमि मछली फोटोग्राफर समेत चालीस फुट पानी के भीतर चली गई । "
दूसरी नाव में जो फोटोग्राफर यह फोटो खींच रहा था , वह तब भी फोटो खींचता जा रहा था । न मालूम तिमि को कैसे सुबुद्धि आई , वह एक मिनट में ही दुबारा उछली और उस फोटोग्राफर को ऊपर छोड़ गई । उस समय वह बेहोश , लेकिन जीवित था । " “
पिनोशियो और जिओत्तर की कथा की तरह ? वे भी तो तिमि मछली के पेट में बचे हुए थे । " -कौशिकी ने कहा । " वह तो परीकथा है । काठ की गुड़िया पिनोशियो के साथ इस बेचारे प्राणी वैज्ञानिक की तुलना मत करो । कौशिकी , डर के मारे भी तो दिल का दौरा पड़ सकता था । " -
मौसी ने कहा । कौशिकी बोली- " मुझे तो सोचकर ही बड़ा डर लग रहा है । माँ , अगर उसकी इच्छा होती तो हममें से तीन - चार लोगों को डेक पर से उठा ले जाती , अगर उसे गुस्सा आ जाता तो ? रोज - रोज ठीक उनके खाने के समय , ये जो दो - तीन जहाज भर - भरकर लोग आ जाते हैं । खाने के समय कोई आता है , तो क्या हमें अच्छा लगता है ? "
आज तक उन्हें गुस्सा नहीं आया , इसका मतलब यह तो नहीं कि उन्हें कभी गुस्सा आएगा ही नहीं ? " मौसी हँसते हुए बोलीं- " फिर तो किसी दिन शायद वह समूचा जहाज ही निगल जाए यह सुनने के बाद कौशिकी हसने लगी सब लोगो में मुस्कराहट जाहिर होने लगी ।