Raksha Bandhan: रक्षाबंधन कब है राखी बंधन कितने तारीख को है बहनों को मिलेगा बस इतना समय

रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो भारत में हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्यार और संबंधों की महत्वपूर्णीयता को मनाने का एक उपयुक्त तरीका है। इस मौके पर, बहन अपने भाई की लड़ी की माला बांधती है और उसकी रक्षा करने की कामना करती है।

रक्षाबंधन का शब्द अर्थ 'रक्षा' और 'बंधन' से आया है, जिसका मतलब होता है 'रक्षा की बंधन'। इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा राखी होती है, जो बहनें अपने भाइयों की हाथों में बांधती हैं। इसके साथ ही, वे भाई से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और उनकी खुशियों की कामना करती हैं।

रक्षाबंधन की कहानियाँ भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। प्रमुख कथा में रानी कर्णावती के महाराणा प्रताप के लिए आवश्यक रक्षा रखने की कहानी है।

इस पर्व का उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच प्यार, समझदारी और समर्पण को मजबूती देना है। यह भाई-बहन के प्यार के आदर्श को प्रकट करता है और उनके आपसी संबंधों को मजबूती देता है।

समाज में यह पर्व भाई-बहन के प्यार और संबंधों को मजबूती देने के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों की ओर एक कदम और बढ़ता है।

समाप्त में, रक्षाबंधन एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाला पर्व है जो भाई-बहन के आपसी प्यार और समर्पण को मनाने का एक खास मौका प्रदान करता है।

Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन का त्यौहार हर एकवर्ष श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाये जाते हैं, इसलिए इसको राखी पूर्णिमा के नाम से भी बिख्यात है. यह त्यौहार भाई-बहन के स्नेह का उत्सव होता है. 2023 में रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त, को अबकी बार पड़ रहा है. जानिए अबकी बार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है.



2023 में रक्षाबंधन कब है, happy raakhi"



30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा रक्षाबंधन का त्योहार "happy rakshabandhan"


रक्षाबंधन के दिन अबकी बार चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे


Kab Hai Raksha Bandhan In 2023: रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के बीच एक अटूट प्रेम एवं पावन रिश्ते को प्रदर्शित किया करता है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की दाहिने हाथो में रक्षासूत्र, राखी या मौली बांधकर उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना किया करती हैं. वहीं दूसरी तरफ भाई भी अपनी बहनों को जो बन सके उन्हें उपहार देकर ताउम्र उनकी रक्षा का वचन दिया करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण महीनें की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. साल 2023 में रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त, को पड़ रहा है. श्रावण महीने की पूर्णिमा को कजरी पूनम भी कहा जाता है.


रक्षाबंधन 2023 के शुभ मुहूर्त (Auspicious Time Of Rakshabandhan 2023)


रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त के बारे में ज्योतिषाचार्य विशेषज्ञ  बताते हैं कि हिंदू पंचांग के हिसाब से, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन 30 अगस्त , के दिन पूर्वाह्न 10 बजकर 38 मिनट से प्ररम्भ होकर उसके अगले दिन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समापन होगा. उदयातिथि में त्योहार मनाने के नियम के अनुसार, रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त को अबकी बार मनाया जाएगा. 30 अगस्त को सभी बहनें अपने भाइयों को सुबह 8 बजकर 51 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 19 मिनट के शुभ मुहूर्त के बीच रक्षाबंधन बांध सकती हैं. 


गुड़िया कितनी तारीख को है 2022 | when is the festival of dolls

रक्षाबंधन 2023 शुभ योग


रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा अबकी बार मकर राशि में रहेंगे और घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग भी लगा रहेगा. वहीं, पर भद्रा काल को छोड़कर राखी बांधने के लिए पूरा 12 घंटे का वक्त मिलेगा. आपको बता दें कि इस तिथि पर भद्रा काल और राहुकाल का बेहद महत्व होता है. भद्रा काल और राहुकाल में राखीयां नहीं बांधी जाती है. क्योंकि इस काल में शुभ कार्य वर्जित माना गया है. बताया जाता है कि इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से उसमें सफलता नहीं मिला करती है. 


2022 में रक्षाबंधन कब है,राखी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है



रक्षाबंधन की कहानी (stories related to raksha bandhan)

रक्षा बंधन की शुरुआत किसने की थी

पौराणिक कहानिओं के अनुसार, एक बार जब प्रभु श्रीहरि ने वामन अवतार लेकर राजा बलि का सम्पूर्ण राज्य तीन पग में ही मांग लिया और राजा बलि को पाताल लोक में रहने को बताया, तब राजा बलि ने स्वयं श्रीहरि को पाताल लोक में अतिथि के रूप में अपने साथ चलने का आग्रह कर लिया. इस पर श्रीहरि उन्हें मना न कर सके और उनके साथ पाताल लोक को चल चल पड़े . लेकिन काफी वक्त बीत जाने के बाद भी जब प्रभु नहीं लौटकर आये तो माँ लक्ष्मी को चिंता सताने लगी. अन्ततः नारद जी ने मां लक्ष्मी को एक राय दिया जोकि  राजा बलि को अपना भाई मानकर और  फिर उनसे तोहफा स्वरूप श्रीहरि को मांगने के लिए बोला. माँ लक्ष्मी ने ठीक वैसा ही किया और राजा बलि के साथ अपना संबंध गहरा बनाने के लिए उनके हाथ में रक्षासूत्र भी बांध दिया. 


एक लोककथा के अनुसार मृत्यु के देवता यम करीब 12 वर्षों तक अपनी बहन यमुना के पास जब नहीं गए. इस पर यमुना को बेहद दुःख हुआ. जिसके बाद में माँ गंगा के परामर्श पर यम अपनी बहना यमुना के पास पहुंच गए. भाई के आने से यमुना को बहुत खुश हो गई. उन्होंने यम का बेहद ख्याल रखा. इससे यम अत्यंत प्रसन्न हुए. आशीर्वाद के स्वरूप उन्होंने यमुना को बार बार यम से मिलने की जिज्ञाषा को पूर्ण भी कर दिया. इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो जाती है.

राखी का त्यौहार कब से शुरू हुआ

महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार, राजसूय यज्ञ के समय जब श्रीकृष्ण ने मगध नरेश शिशुपाल का वध कर दिया तब उनके हाथ पर भी चोट आ गई थी. श्रीकृष्ण की चोट को देखा तो द्रौपदी ने तुरंत अपने लिबास का एक टुकड़ा कपड़ा फाड़कर प्रभु के हाथ पर बांध दिया. था उसी दौरान भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की हमेशा रक्षा करने का वचन दे दिया था. यही वह वजह है जब दुःशासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा होता है, तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी अत्यंत लंबी करके उनकी इज्जत की रक्षा किये थे.


रक्षाबंधन को लेकर एक ऐसा ही प्रसंग मध्यकालीन भारतीय इतिहास में देखने को मिल जाता है. जिस वक्त चित्तौड़ की गद्दी पर रानी कर्णावती बैठी थीं. वे एक विधवा रानी थीं. चित्तौड़ राज्य को कमजोर हाथों में पाकर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने उस राज्य पर  हमला कर देता है . ऐसे हालात में रानी अपने राज्य को महफूज़ रखने में कमजोर होने लगी. तब उन्होंने चित्तौड़ की रक्षा के लिए एक राखी मुग़ल सम्राट हुमायूं को भेज दिया. हुमायूं ने रानी कर्णावती की रक्षा के लिए अपनी एक सेना की टुकड़ी को चित्तौड़ भेज दिया. बहादुर शाह की सेना को आखिरकार बाद में पीछे हटना पड़ गया था.

और नया पुराने