स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि कब मनाई जाती है | Thoughts of Swami Vivekananda

Swami Vivekananda


स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में अपनी असाधारण प्रतिभा का लोहा मनवाये हुए थे साथ में दुनिया भर में देश का नाम रोशन भी किया था। आज उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाया जा रहा है।


स्वामी का जन्म कब और किस जगह पर हुआ था?


स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ था और निधन 4 जुलाई 1902 को। यह संसार छोड़ गए थे चलिए उनकी पुण्यतिथि पर आज उनसे जुड़ीं हुयी कुछ रोचक बातो को जानते हैं...


1. बहुमुखी प्रतिभा के धनवान  स्वामी विवेकानंद का शैक्षिक प्रदर्शन औसत हुया करता था। उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी एवं बीए में 56 फीसदी अंक मिले हुए थे।


2. विवेकानंद चाय के बड़े शौकीन थे। उन दिनों जब हिंदू पंडित चाय के बहुत विरोध किया करते थे, उन्होंने अपने मठ में चाय को प्रवेश करा दिया था । एक बार की बात है  जब बेलूर मठ में टैक्स बढ़ा दिया जाता है। वजह यह बताया जाता है कि यह एक प्राइवेट गार्डन का घर है। कुछ दिन बाद में ब्रिटिश मजिस्ट्रेट के जांच के बाद यह टैक्स हटा दिया गया।


3. एक बार की बात है जब स्वामी विवेकानंद ने महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को बेलूर मठ में चाय बनाने के लिए मना लिया था । जब जाकर गंगाधर तिलक ने जायफल, इलायची, लॉन्ग, जावित्री, और केसर लेकर आ गए और सभी के लिए मुगलई चाय तैयार करके पिलाई ।


4. बहुत जरुरी बताना यह भी है की उनके मठ में किसी भी महिला को जाने की अनुमति नहीं थी यहां तक उनकी मां को भी नहीं थी। एक बार ऐसा भी हुआ जब उनको काफी बुखार हुआ था तो उनके एक शिष्य ने उनकी मां को बुला लाया । उनको देखते ही विवेकानंद चिल्ला पड़े 'तुम सभी ने एक महिला को अंदर आने की इजाजत कैसे दी? एक मैं ही हूं जिसने यह नियम बनाया है और मेरे लिए ही इस नियम का उलंघन किया जा रहा है।


5. बीए डिग्री होने के बाद भी नरेंद्रनाथ (विवेकानंद का असल नाम) को रोजगार की तलाश में घर बे घर भटकना पड़ता था। वह चिल्लाकर कहते थे 'मैं बेरोजगार  हूं। नौकरी की खोज में जब थक गया तो उनका भगवान पर से भरोसा उठ गया था और सभी जाने से कहने लगते थे कि भगवान का कुछ भी अस्तित्व नहीं बचा है।


6. स्वामी विवेकानंद के पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार के ऊपर संकट का पहाड़ सा गिर गया था। गरीबी के उन वक्त में सुबह होते ही विवेकानंद अपनी माँ  से कह रहे थे कि उनको कहीं से आज के दिन के खाने के लिए निमंत्रण मिला हुआ है और मकान से बाहर चले जाया करते थे। असल में उनको कही से निमंत्रण नहीं मिलता था बल्कि वह ऐसा इस नाते कहा करते थे ताकि परिवार के बाकी लोगों को खाने का अधिक हिस्सा मिल सके। वह लिखे थे, कभी हमारे खाने के लिए बहुत कम बचा करता था और कभी तो कुछ भी नहीं रहता था।

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