अच्छी सोच की कहानी
जीवन बदलने वाली कहानी एक समय की बात है जब संत रामदास और उनका एक चेला सुबह के समय भ्रमण पर निकले हुए थे । शिष्य ने अपने गुरूजी से पूछ पड़ा -हे गुरूजी! आप इतने बड़े संत महात्मन हैं, तो भी ऐसे सेम्पल साधारण वस्त्र क्यों पहना करते हैं? इन वस्त्रों से यह नहीं लगता है कि आप इतने विद्वत्तापूर्ण ज्ञानी हैं!
इस बात पर गुरूजी ने शिष्य को एक अंगूठी दी और हस्ते हुए बोले कि मैं तुम्हारे सवाल का जवाब अवश्य दूँगा परन्तु उससे पहले तुमको यह अंगूठी किसी व्यापारी को बेचकर आना होगा, इस अंगूठी के बदले व्यापारी से एक अशरफी लाना मत भूलना ।
शिष्य ने गुरूजी की बात मानकर उस अंगूठी को वह बेचने के लिए निकल जाता है। थोड़े समय बाद जब वह वापिस लौट कर आया तो उसने कहा कि कोई भी व्यापारी इस अंगूठी के बदले एक अशरफी देने के लिए राजी नहीं हुआ उसके बाद गुरूजी ने कहा कि कोई बात नहीं है ! तुम इस अंगूठी को किसी जौहरी के पास जाकर बेच आओ ।
लेकिन इस बार भी बालक अंगूठी को लेकर गुरू के पास वापिस आ जाता है और उसने कहा कि सभी जौहरियों ने इस अंगूठी को लेने से बिलकुल मना कर दिया और उन सबने यह बताया कि इस अनमोल अंगूठी को हम सब मिलकर भी खरीद नहीं पाएंगे इसके लिए तो लाखों अशरफियाँ भी कम पड़ जाएंगी ।
ये बात सुनते ही गुरूजी मुस्कुराकर बोल पड़े यही तो तुम्हारे प्रश्न का जबाब है, जिस तरह सिर्फ ऊपर से देखने पर इस अनमोल अंगूठी के कीमत का अंदाजा नहीं लग सकता है ठीक उसी तरह किसी इन्शान को उसके वस्त्रों से नहीं परखा जा सकता ।
जीवन को बदलने का मंत्र :– ब्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है न कि उसके वस्त्रों से…।
बेटी और सेब की कहानी
एक बार की बात है जब एक पिता अपनी बेटी को बाजार घुमाने के लिए ले जाते है, बाजार में मेर-मेर की चीजें बिक रही थीं, तभी बिटिया की नजर सेब से भरे हुए एक ठेले पर पड़ गयी । बेटी ने पिताजी से सेब दिलाने के लिए जिद्द करने लगी क्योंकि बेटी बहुत छोटी थी और पिताजी नहीं चाहते थे कि उसकी बेटी इसके लिए रोने लगे इस नाते पिताजी ने तुरंत दो सेब खरीद दिए । जल्दी से बेटी ने दोनों सेब अपने दोनों हाथों में एक-एक ले लेती है ।
उसके पिता ने उससे पूछा कि- बेटी क्या तुम मुझे एक सेब दे सकती हो?
यह सुनते ही बेटी ने आधा सेब खा चुकी । इससे पहले कि पिता कुछ और कहते बेटी ने दूसरे सेब भी खाना सुरु कर दिया ।
यह देखकर उसके पिता को बड़ा दुःख हुआ, वह मन ही मन सोचने लग जाते है कि हमने अपनी बेटी को यह कैसे संस्कार दिए हैं ! हो ना हो कुछ गलत संस्कार की कारण से उसकी बेटी के अंदर लालच की भावना उतपन्न हो गयी है..
पिता मन में इस तरह की बातें सोच ही रहा था कि बेटी ने उसकी ओर वह सेब बढाते हुए बोली, पापा आप यह सेब खा लीजिये, ये बहुत ही मीठा और रस से भरा है ।
इस पर पिता को कुछ कहते ही ना बन रहा था, उन्हें बहुत ही बुरा लगा कि उसने बिना कुछ सोचे समझे, अपनी बिटिया के बारे में गलत भावना कैसे बना ली !
हांलाकि वह अपनी बेटी का यह प्यार देखकर बहुत खुश भी हुआ परन्तु उसे अपने आप पर बहुत पछतावा भी हो रहा था…
जीवन को बदल देने वाला मंत्र:– बिना सोचे समझे किसी भी कार्य में जल्दबाजी करके कभी भी नतीजे पर नहीं पहुंच जाना चाहिए ।
घमंड से क्या होता है?
एक बार एक कॉलेज में सेमिनार किया गया । सेमीनार में एक ज्ञानी शिक्षक लेक्चर के लिए आया हुआ था उसने सभी स्टुडेंट्स से कहा - क्या आपको मालूम है कि हम किस टॉपिक पर बात करने के लिए यहाँ आया हूँ ? सभी स्टुडेंट्स ने बोल पड़े की उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता है!
इस पर शिक्षक उनसे नाराज हो जाता है और वहाँ से वह जाने लगा । कॉलेज के प्रबंधन ने उन्हें समझाया बूझाया और बड़ी विनती करने के बाद में वह शिक्षक स्टेज पर आया फिर से उसने वही बात दोहाराया । इस बार सभी स्टुडेंट्स ने हाँ में जवाब कर दिया । परन्तु वह ज्ञानी शिक्षक दुबारा नाराज हो गया और सेमिनार छोड़कर भागने लगा ।
बहुत मिन्नतें करवा लेने के बाद वह ज्ञानी शिक्षक इस बार गुस्से से स्टेज पर पहुंचा और उसने फिर से वही प्रश्न दोहराया परन्तु इस बार स्टुडेंट्स ने उससे कहने लगे कि सर हम सब तो अज्ञानी हैं और आपकी वसूल हमें समझ नहीं आ रही है । इस नाते कृपया करके अपना कीमती ज्ञान और समय हम पर खर्च न करें, यह बोलकर सभी के सभी छात्र उस हाल से उठकर चले जाते है, और वह ज्ञानी शिक्षक वही अकेला खड़ा रह जाता है उसके साथ ही knowledgeable teacher घमंड भी चूर-चूर होकर रह गया
जीवन में परिवर्तन वाला मंत्र:– ब्यक्ति को अपनी भविष्य में कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए नहीं तो वह ज्ञानी शिक्षक जैसा अकेला ही रह जाता है ।