क्षमा, अहिंसा और मैत्री का पर्व होता है संवत्सरी। संवत्सरी पर्व पर जैन धर्मावलंबी जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए एक-दूसरो से क्षमा मांगा करते हैं। गौरतलब है कि जैन धर्म के श्वेतांबर पंथ में पर्युषण पर्व संपन्न हो जाते हैं और क्षमावाणी दिवस मनाया जा रहे है।
संवत्सरी पर्व : मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर करें प्रायश्चित
जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्युषण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस पर सभी एक-दूसरे से 'मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर क्षमा मांगते हैं, इसके साथ ही यह भी बताया जाता है कि मैंने मन, वचन, काया से जाने-अनजाने अगर आपका दिल दुखाया हो तो मैं हाथ जोड़कर आपसे क्षमा चाहता हूं।
• संवत्सरी पर्व : 'मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर मांगें क्षमा...
• संवत्सरी : क्षमा, अहिंसा और मैत्री का पर्व होता है
जैन धर्म के अनुसार 'मिच्छामी' का भाव क्षमा करने का होता है अथवा 'दुक्कड़म' का अर्थ होता है गलतियों से होता है अर्थात हमारे द्वारा जाने-अनजाने में की गईं गलतियों के लिए हमें क्षमा कर दीजिए।
Skanda Shashti : स्कन्द षष्ठी अपने बाल बच्चो के के समृद्धि के लिए करे ऐ व्रत होगी भविष्य उज्वल
आचार्य महाश्रमण के अनुसार- क्षमापना से चित्त में अह्लाद का भाव उत्पन्न होता है और आह्लाद भावयुक्त व्यक्ति मैत्री भाव पैदा होता है और मैत्री भाव प्राप्त होने पर इंसान का भाव विशुद्धि कर निर्भय हो जाया करता है। जीवन में अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क हुआ करता है तो कटुता भी वर्ष भर के दौरान आ जा सकती है। व्यक्ति को कटुता आने पर उसको तुरंत ही मन में साफ कर देनी चाहिए और संवत्सरी पर अवश्य ही साफ कर लेने की जरूरत होती है ।
'मिच्छामी दुक्कड़म' प्राकृत भाषा का शब्द होता है। प्राकृत भाषा में काफी जैन ग्रंथों की रचना में हुई है। पर्युषण महापर्व जैन धर्मावलंबियों में आत्मशुद्धि का पर्व माना जाता है। इस प्रकार पर्युषण पर्व आत्मशुद्धि के साथ मनोमालिन्य दूर करने का शुभ अवसर प्रदान करने वाला महापर्व होता है।
इस दौरान लोग पूजा-अर्चना, आरती, -तपस्या, उपवास, समागम, त्याग,आदि में अधिक से अधिक वक्त व्यतीत किया करते हैं। इस पर्व का अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस के स्वरूप मनाया जाता है जिसमें हर किसी से 'मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर क्षमा मांगते हैं। पर्युषण पर्व के अंतिम तिथि को 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहने की पुरानी परंपरा है। इसमें हर लोगो से चाहे छोटे हो या बड़े 'मिच्छामी दुक्कड़म' बोलकर क्षमा मांगते हैं।