नागपंचमी का पर्व यूँ तो हर एक वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाया करता है लेकिन उत्तर प्रदेश में इसे मनाने का ढंग कुछ अनोखा होता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी वाले दिन को इस त्योहार पर राज्य में गुडि़या को पीटने की निराला परम्परा होती है
नागपंचमी को महिलाएँ घर के पुराने कपडों से गुड़िया बनाकर उसे नदी या तालाब में डालती हैं और सभी बच्चे उन्हें डंडों और कोड़ा बनाकर उसे पीटकर बहुत खुशियां मनाते हैं। इस पर्व की शुरूआत के बारे में एक कहानी खूब प्रचलित है।
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तक्षक नाग राज के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो जाती है । कुछ वक्त बीतने पर तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में ब्याह दी गई। उस नाग कन्या ने अपने ससुराल में एक महिला को यह रहस्य बता दिया लेकिन उसने इस बारे में किसी को भी नहीं बताने के लिए बोली थी परन्तु औरतो को कहा बात पच पाती है उस महिला ने दूसरी महिला को यह रहस्य के बारे में बता दी फिर उसने भी यह राज किसी और से ना बताने के लिए कसम धराकर बता दिया । लेकिन यह बात पुरे राज धीरे-धीरे में फैल गई।
तक्षक के तत्कालीन बादशाह ने इस राज को उजागर करने वाले नगर की सारी लड़कियों को एक तालाब में इकट्ठा करके कोड़ों से पिटवा कर मरवा दिया था । वह राजा इस बात से क्रोधित हो गये थे कि आखिकार औरतों के पेट में कोई भी बात नहीं पचती क्यों नहीं है। उस समय से नागपंचमी पर गुड़िया को पीटने की परम्परा जारी है।
इस दिन सभी अपने घरों की दीवारों पर नाग देवता और साँपों की आकृति बनाकर उनकी पूजा अर्चना किया करते हैं और घर में सुख-शांति एवं समृद्धि के लिए नाग देवता की प्रार्थना किया करते हैं। नाग का दर्शन करना इस दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सारे सपेरे नाग लेकर घर-घर जाते हैं और लोगों को उनके दर्शन करवा कर बड़ी अच्छी खासी कमाई करते हैं। इसके अलावा इस पर्व पर कही-कही मेले का आयोजन भी किये जाते है और इसमें दंगल प्रतियोगिताओं का व्यवस्था भी किया जाता है। जिसमें पहलवान अपनी कला का प्रदर्शन किया करते हैं।
बस आज का यही तक इसमें आपने जाना क्यों गुड़िया पीटा जाता इसे पिटे जाने के पीछे क्या रहस्य छिपा हुआ है इसे हमने ग्रंथो से एकत्रित किया है कुछ ठीक ना लगे तो हमें कमेंट कर बताये हम उसे सुधारने का प्रयास करेंगे