मीराबाई का मंदिर कहां स्थित है | Whose incarnation was Meera


चित्तौड़गढ़ में मीरा बाई मंदिर उत्तर भारतीय वास्तुकला में बनाया गया है, जिसमें प्रत्येक कोने पर चार मंडपों के साथ हॉल क्षेत्र में खुले मेहराब हैं।  चित्तौड़गढ़ किले में स्थित यह कुंभ श्याम मंदिर के मैदान में स्थित है।  चित्तौड़गढ़ किला भारत और राजस्थान के सबसे बड़े किलों में से एक है।

  मीराबाई के अनुरोध पर, मीराबाई के दामाद, भगवान कृष्ण के प्रबल भक्त महाराणा संग्राम सिंह ने कुंभ मंदिर के पास भगवान कृष्ण का एक छोटा मंदिर बनवाया।  कुंभ मंदिर, जिसे कुंभ श्याम मंदिर (वराह मंदिर) के रूप में भी जाना जाता है, 1494 में महाराणा कुंभ द्वारा बनाया गया था।  मंदिर में वाराणसी के मीरा के पवित्र गुरु राम दास (स्वामी रविदास) की स्मृति में निर्मित एक छोटा छत्र भी है।

  मीराबाई मंदिर, चित्तौड़गढ़ गूगल मानचित्र पर

  मीराबाई मंदिर, चित्तौडग़ढ़ कैसे पहुँचे

pic credit: meera_ki_ngri_merta

  वैसे।  मीराबाई मंदिर चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है, Vivekananda के केंद्र से फोर्ट रोड पर 5 किमी दूर है।  यहां रिक्शा, स्थानीय बस या टैक्सी या पैदल आसानी से पहुंचा जा सकता है।

करणी माता मंदिर के बारे में क्या खास है

  ट्रेन से।  मीराबाई मंदिर निकटतम चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन (6 किमी) के साथ दिल्ली, आगरा, मुंबई, चेन्नई, बीकानेर, पाली, जयपुर, अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों के रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

  हवाईजहाज से।  मीराबाई मंदिर उदयपुर (98 किमी) में निकटतम हवाई अड्डे के माध्यम से पहुँचा जा सकता है जो दिल्ली, मुंबई से नियमित घरेलू उड़ानों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

राधा और मीरा कौन है? (Who are Radha and Meera?)

राधा और मीरा दो प्रसिद्ध भक्ति संतों थीं जो भारतीय साहित्य और धार्मिक परंपराओं में महत्वपूर्ण रोल निभाती हैं।

राधा: राधा, हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण की प्रियतमा और अधिष्ठात्री देवी के रूप में मानी जाती हैं। वह बृजभूमि की गोपी हैं जिनका प्रेम श्रीकृष्ण के साथ एक अत्यंत आध्यात्मिक और प्रेमपूर्ण संबंध था। राधा के प्रेम और विश्वास को "राधा-कृष्ण" की प्रेम लीला के रूप में जाना जाता है और इसे हिंदू भक्ति और कविता में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

मीरा: मीरा भजनी (भजन करनेवाली), राजपूताना की एक रानी थीं जो 16वीं शताब्दी में जीवित थीं। वह श्रीकृष्ण की भक्त थीं और उनके प्रेम और आत्मीयता के प्रतीक मानी जाती थीं। मीरा के भजन और पद अद्वैत भक्ति के प्रमुख उदाहरण हैं और उन्हें उनकी प्रेम और विरह के लिए जाना जाता है। मीरा की कविताएं और भजन उनके प्रेम और ईश्वर के प्रति अद्वैत भावनाओं को व्यक्त करती है.

मीराबाई का मंदिर कौन से जिले में? (Mirabai's temple is in which district)

मीराबाई का मंदिर राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। मीराबाई, जो 16वीं शताब्दी की मशहूर भक्ति कवयित्री थीं, राजपूताना क्षेत्र में अपनी प्रेम भक्ति और भजन-कीर्तन के लिए प्रसिद्ध हुई थीं। चित्तौड़गढ़ में स्थित मीराबाई का मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर है और यहां हर साल बड़ी संख्या में भक्तों की आवाम आती है।

मीरा किसका अवतार थी? (Whose incarnation was Meera)

मीराबाई भारतीय संस्कृति और धर्म के ऐतिहासिक व्यक्ति थीं, जिन्हें भक्ति और संत मात्राओं के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मान्यताओं के अनुसार, मीराबाई भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमी और भक्त थीं और उन्हें श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है। मीराबाई ने अपनी कविताओं और भजनों में अपने प्रेम और भक्ति की प्रतिभा का व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की थी, जो उन्हें उनके चमत्कारिक और आदर्श रूप में प्रसिद्ध करती हैं।

मंदिर को मीरा बाई मंदिर क्यों कहा जाता है? (Why is the temple called Meera Bai Temple goes)

मीरा बाई के नाम पर जाने जाने वाले मंदिर को "मीरा बाई मंदिर" कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर मीरा बाई के भक्ति और प्रेम को समर्पित है। मीरा बाई, जो भारतीय इतिहास में मशहूर भक्ति कवयित्री मानी जाती हैं, भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमी और भक्त थीं। उन्होंने अपनी कविताओं और भजनों के माध्यम से अपने प्रेम की भावना को व्यक्त किया और उनकी भक्ति को आदर्श माना जाता है। इसलिए, उनकी स्मृति और उनकी प्रेम-भक्ति को समर्पित मंदिर को "मीरा बाई मंदिर" कहा जाता है। ये मंदिर उनके प्रशंसापूर्ण जीवन और उनकी अद्वितीय भक्ति पर प्रभावी आधारित हैं।

मीरा किसकी पूजा करती थी और क्यों? (Whom did Meera worship and why)

मीरा बाई की प्रमुख पूजा भगवान श्रीकृष्ण की थी। वे भगवान कृष्ण को अपने पति और प्रेमी मानती थीं और उनके प्रति अद्वितीय प्रेम और भक्ति रखती थीं। मीरा बाई का अद्वितीय प्रेम और भक्ति भगवान कृष्ण के प्रति उनके विरह और ताप से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने अपने जीवन में भगवान कृष्ण के चरणों में अपनी भक्ति और समर्पण का प्रदर्शन किया। वे उनकी लीलाओं, गुणों और मधुर रूप से गाने गाते और उनके नाम का जाप करती थीं। इस प्रकार, मीरा बाई भगवान कृष्ण के भक्त बनी और उनकी पूजा करती थीं क्योंकि उनकी आत्मिक और दैवीक आकर्षण उन्हें भगवान में खींच लेता था।

मीरा को जहर कौन देता है? (Who gives poison to Meera)

मीरा को जहर वह व्यक्ति देता है जो उसे नफरत करता है या उसके खिलाफ अपराध करना चाहता है। मीरा की कथा और उसकी प्रेम कहानी भारतीय साहित्य में प्रसिद्ध है, और उसे जहर देने का मुख्य कारण उसके पति राजा भरत की माता के प्रति उसका प्रेम था। इसके परिणामस्वरूप, वह अपने अपने जीवन के अंत तक जहर पीने के लिए तैयार थी। यह कथा भक्ति और प्रेम का प्रतीक मानी जाती है, और विभिन्न संस्कृति और भाषाओं में लोकप्रिय हुई है।

3 लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं? (3 Why do people call Meera Bawari)

मीरा बाई, जिन्हें आमतौर पर सिर्फ "मीरा" के नाम से जाना जाता है, एक मशहूर भक्तिभावपूर्ण कवियित्री और संत थीं। वह भारतीय इतिहास और साहित्य में अपनी महत्वपूर्ण स्थानीयता के कारण प्रसिद्ध हुईं हैं। मीरा बाई ने 16वीं शताब्दी में राजपूताना क्षेत्र में जीवन व्यतीत किया था।

मीरा बाई को "बावरी" कहने का कारण उनके भक्तिभाव के पीछे का एक मुख्य कारक था। वे अपने प्रेम और भक्ति को भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित कर चुकी थीं और उनकी कविताएं और गीत उनकी प्रेम और सांस्कृतिक भागीदारी का प्रतीक बन गए थे। मीरा बाई का प्रेम और भक्ति उन्हें उच्च स्तर की आध्यात्मिकता और उत्कृष्ट साहित्यिक कार्यों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

"बावरी" शब्द उस समय के लोक भाषा में एक प्रकार के कुंड को संदर्भित करता है जो विशेष धार्मिक और सामाजिक महत्व रखता है। मान्यता है कि मीरा बाई ने अपने घर के पास स्थित एक बावरी में ध्यान और भजन किया किया करती थी

कलयुग की मीरा कौन है? (Who is Meera of Kalyug)

कलयुग की "मीरा" का तात्पर्य आमतौर पर मानवीय स्तर पर एक व्यक्ति से होता है जिसकी आध्यात्मिकता, प्रेम और भक्ति के प्रति गहरा समर्पण होता है। यह व्यक्ति धार्मिक और साधारणतया एक साधक, संत, कवि, या लेखक हो सकता है जिसका जीवन और कार्य उच्च स्तर की आध्यात्मिकता, प्रेम और साधारण लोगों के बीच सहज और गहन प्रभाव छोड़ते हैं।

इस संदर्भ में, कलयुग की मीरा एक ऐसी व्यक्ति है जो मीरा बाई के समान भावनाओं, गुणों और साधारणतया उनके साधना और भक्ति के पीछे स्थित होती है। यह व्यक्ति अपने जीवन को अपने चरणों में लगाता है, भगवान या उच्चतम आदर्शों के प्रति पूरी श्रद्धा और समर्पण रखता है, और अपने प्रेम और सेवा के माध्यम से सम्पूर्ण मानव समाज को प्रेरित करता है।

कलयुग की मीरा का होना एक आध्यात्मिक साधक या भक्त के रूप में अपनी आध्यात्मिक यात्रा में साधारण लोगों के बीच स्थानांतरित होने का संकेत करता है, जो अपने प्रेम, सम्बन्ध को दर्शाता हैं. 

मीराबाई का मंदिर कहां स्थित है (Where is Meerabai's temple situated)

मीराबाई के भक्तिपूर्ण जीवन काल में उनका निवासीला स्थान जोधपुर, राजस्थान, भारत था। मीराबाई के मंदिरों की संख्या भारत भर में बहुतायती है और अनेक स्थानों पर उन्होंने भक्तिभाव से उन्नति पाई।

जोधपुर, राजस्थान में मीराबाई के प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

मीराबाई का मंदिर (मीराई मंदिर): यह मंदिर जोधपुर के चंडा नगरी में स्थित है। यह मंदिर मीराबाई को समर्पित है और वहां प्रतिष्ठित मूर्ति और पवित्र खंडहर हैं।

जैसलमेर के मीराबाई का मंदिर: जैसलमेर शहर में भी मीराबाई के प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहां परंपरागत भारतीय स्थापत्यकला के आदर्शों के साथ निर्मित एक सुंदर मंदिर है।

उदयपुर के मीराबाई मंदिर: उदयपुर में भी मीराबाई के एक मंदिर है जहां उन्हें समर्पित मूर्ति स्थापित है।

इनके अलावा भी अनेक राजस्थानी शहरों और अन्य भारतीय राज्यों में मीराबाई के मंदिर हैं जहां उनकी उपासना और आराधना की जाती हैं.

मीरा मंदिर चित्तौड़गढ़ (Meera Mandir Chittorgarh)

चित्तौड़गढ़ राजस्थान, भारत में स्थित है और मीराबाई के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक चित्तौड़गढ़ में ही स्थित है। मीराबाई के नाम से चित्तौड़गढ़ का एक मंदिर "मीराई मंदिर" भी जाना जाता है।

मीराई मंदिर चित्तौड़गढ़ के पुराने शहर में स्थित है और यह भक्तिभावपूर्ण मंदिर मीराबाई को समर्पित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और भक्त और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।

मीराई मंदिर में, मीराबाई के प्रतिमा और पवित्र स्थानों की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यहां परंपरागत राजस्थानी स्थापत्यकला और वास्तुकला की धाराएं दिखाई देती हैं और इसका सुंदर आकर्षण है। यहां भक्तों और पर्यटकों को मीराबाई के जीवन और उनकी भक्ति की कहानी से परिचित कराया जाता है।

चित्तौड़गढ़ में मीराई मंदिर भ्रमण करके लोग मीराबाई के भक्तिपूर्ण जीवन और उनके प्रेम के अनुभव से प्रेरित होते हैं.

मेड़ता शहर क्यों प्रसिद्ध है? (Why is Merta city famous)

मेड़ता शहर भारत, राजस्थान राज्य में स्थित है और प्रसिद्ध है। यह शहर प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। नीचे में मेड़ता शहर की कुछ प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख किया गया है:

मेड़ता मंदिर: मेड़ता मंदिर, जिसे श्री नगर में स्थित है, मेड़ता शहर का प्रमुख और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर माता मेड़ता को समर्पित है और माता के भक्तों के लिए पवित्र माना जाता है। वर्षभर में, लाखों भक्तजन मंदिर की यात्रा के लिए इस शहर में आते हैं।

मेड़ता पुष्कर मेला: मेड़ता शहर पुष्कर मेला के लिए भी प्रसिद्ध है। पुष्कर मेला भारत की सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख धार्मिक मेलों में से एक है जो हर वर्ष मेड़ता शहर में आयोजित होता है। यह मेला भक्तों, पर्यटकों, और यात्रियों को आकर्षित करता है जहां वे स्नान करते हैं, पूजा करते हैं, और विभिन्न आध्यात्मिक और कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

मेड़ता झील: मेड़ता शहर में स्थापित हैं.


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