दो बंदर की कहानी। do bandar kee kahaani

एक समय की बात है, दो बंदर की कहानी एक जंगल में दो बंदर रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन उनकी स्वभाव में बड़ा अंतर था। एक बंदर हमेशा धैर्यवान और समझदार था, जबकि दूसरा बंदर जल्दबाज और लालची था।

खजूर के पेड़ की घटना

एक दिन दोनों बंदरों को जंगल में घूमते हुए एक बड़ा खजूर का पेड़ दिखाई दिया। पेड़ पर बहुत सारे मीठे और पके हुए खजूर लटक रहे थे। दोनों ने तय किया कि वे खजूर खाएंगे।

पहला बंदर सोच समझकर पेड़ पर चढ़ा और खजूर तोड़ने लगा। उसने निचले हिस्से से पके खजूर चुने, जिन्हें तोड़ना आसान था। वह आराम से खजूर खा रहा था।

बुद्धिमान बंदर की कहानी (buddhiman bandar story in hindi)

दूसरा बंदर, जो ज्यादा ऊंचे और बड़े खजूर लेना चाहता था, जल्दी-जल्दी चढ़ने लगा। उसने ध्यान नहीं दिया कि पेड़ की डाल कमजोर है। वह ऊंचाई तक पहुंच गया, लेकिन जैसे ही उसने जोर से एक खजूर तोड़ा, डाल टूट गई, और वह नीचे गिर गया।

सीख और नसीहत

नीचे गिरने के बाद दूसरा बंदर चोटिल हो गया। उसने महसूस किया कि अगर उसने पहले की तरह समझदारी से काम लिया होता, तो वह सुरक्षित रहता। धैर्यवान पहले बंदर ने उसकी मदद की और उसे आराम करने को कहा। उसने उसे समझाया, "लालच और जल्दबाजी से हमेशा नुकसान होता है।"

दूसरा बंदर शर्मिंदा हुआ और उसने वादा किया कि वह भविष्य में धैर्य रखेगा।

नैतिक शिक्षा:
लालच और जल्दबाजी का नतीजा हमेशा बुरा होता है। धैर्य और समझदारी से काम लेने पर सफलता मिलती है।

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