लालची बंदर की कहानी | lalchi bandar ki kahani in hindi


लालची बंदर की कहानी एक घने जंगल में एक पेड़ पर बहुत सारे रसीले फल लगे हुए थे। उसी पेड़ के पास एक नटखट और लालची बंदर रहता था। बंदर को खाने-पीने का बहुत शौक था, और वह हमेशा कुछ न कुछ खाने की फिराक में रहता।

एक दिन बंदर ने देखा कि पेड़ के नीचे एक टोकरी में ताजे फल रखे हुए हैं। उसे देखकर बंदर के मुंह में पानी आ गया। वह तुरंत पेड़ से नीचे उतरा और सोचने लगा, "यह सारे फल मैं अकेले खा जाऊं तो कितना मज़ा आएगा!"

बंदर ने टोकरी में हाथ डाला और जितने फल उसकी मुट्ठी में आ सकते थे, उसने भर लिए। लेकिन अब समस्या यह थी कि उसकी मुट्ठी इतनी भरी हुई थी कि वह उसे टोकरी से बाहर नहीं निकाल पा रहा था।

बंदर ने बहुत जोर लगाया, पर मुट्ठी बाहर नहीं आई। वह परेशान होकर चिल्लाने लगा, "मेरे फल! मेरे फल!" लेकिन उसने अपनी मुट्ठी खोलने का नाम नहीं लिया, क्योंकि वह एक भी फल छोड़ना नहीं चाहता था।

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इतने में वहां से एक बुद्धिमान लोमड़ी गुजरी। उसने बंदर की हालत देखी और मुस्कुराकर बोली, "अरे मूर्ख बंदर, अगर तुम अपनी लालच छोड़ दो और मुट्ठी खोलकर सिर्फ एक-दो फल ले लो, तो तुम आसानी से अपनी मुट्ठी बाहर निकाल सकते हो।"

लेकिन बंदर नहीं माना। उसने कहा, "नहीं, मैं सारे फल चाहिए!"

लोमड़ी ने सिर हिलाया और वहां से चली गई। अंततः, बंदर थक गया और भूखा ही टोकरी छोड़कर चला गया।

कहानी से शिक्षा:

लालच हमेशा नुकसान पहुंचाता है। संतोष और समझदारी से काम लें, तभी सुखी रह सकते हैं।

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