शेर और हिरण की कहानी जंगल में एक हरे-भरे घास के मैदान के पास एक खूबसूरत हिरण रहता था। वह हर दिन अपनी मस्ती में इधर-उधर दौड़ता-फिरता और हरी-हरी घास खाकर अपने दिन बिताता। हिरण बहुत तेज और चौकस था। वह हमेशा अपनी जान बचाने के लिए सतर्क रहता था, क्योंकि जंगल में कई शिकारी जानवर रहते थे, खासकर एक खूंखार शेर, जो उसे हमेशा अपना शिकार बनाना चाहता था।
शेर बहुत चालाक और ताकतवर था, लेकिन वह भी जानता था कि हिरण बहुत तेज दौड़ सकता है। कई बार शेर ने हिरण को पकड़ने की कोशिश की थी, पर हर बार वह विफल रहता। शेर को अपनी ताकत पर गर्व था, लेकिन उसे यह समझ आ गया कि ताकत के साथ चालाकी भी जरूरी होती है।
एक दिन शेर ने सोचा कि इस बार वह एक नई चाल का सहारा लेगा। उसने खुद को एक झाड़ी के पीछे छिपा लिया और इंतजार करने लगा कि कब हिरण उसके पास से गुजरे। काफी समय बाद हिरण उस दिशा में आया। उसे शेर की मौजूदगी का अंदाजा नहीं था और वह बेफिक्र होकर घास खाने लगा। जैसे ही शेर ने देखा कि हिरण उसके करीब आ गया है, उसने पूरी ताकत से छलांग लगाई और हिरण पर हमला करने की कोशिश की।
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लेकिन हिरण भी कम होशियार नहीं था। उसने शेर की हल्की सी आवाज सुन ली और तुरंत वहां से भाग खड़ा हुआ। शेर ने उसका पीछा किया, पर हिरण की तेज़ी के आगे उसकी सारी चालाकी और ताकत बेकार साबित हुई। हिरण ने अपनी पूरी शक्ति से दौड़ लगाई और जल्दी ही शेर की पकड़ से बाहर हो गया। शेर ने हार मान ली और अपने आप से कहा, "शायद ताकत से ज्यादा तेज़ दिमाग और सतर्कता ही जंगल में जीवित रहने का असली राज़ है।"
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि ताकत ही सब कुछ नहीं होती; समझदारी और सतर्कता से काम लेना भी जरूरी है।