हर एक वर्ष सावन महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन कामिका एकादशी व्रत रखा जाता है। अबकी साल कामिका एकादशी व्रत 24-7- 2022 दिन रविवार को रखा जाएगा। खैर वैसे तो हर महीने में दो एकादशी तिथि पड़ जाती है, परन्तु सावन महीने में पड़ने वाली एकादशी की अनेको विशेषाएं होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है।
कामिका एकादशी के तिथि शंख, चक्र, गदा, धारण करने वाले भगवान विष्णु की पूजा करके हुई भूल की छमा मांगने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। धार्मिक मान्यता यह भी है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने वाले ब्यक्ति को जीवन में हुए समस्त पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिल जाता है। साथ ही जातक को धन धान्य की खूब प्राप्ति होती हैं।
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कामिका एकादशी की तिथि
कामिका एकादशी तिथि की प्ररम्भ - 23 जुलाई 2022, शनिवार सुबह 11 बजकर 27 मिनट से
कामिका एकादशी दिन का समाप्त - 24 जुलाई 2022, रविवार दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर
उदयातिथि के अनुसार से कामिका एकादशी का व्रत 24 जुलाई को अबकी बार रखा जा रहा है ।
कामिका एकादशी की पूजा विधि
कामिका एकादशी के दिन प्रातः काल पहले उठकर स्नान कर लेने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर सबसे पहले पूजा के मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प ले लें। फिर पूजा करने की तैयारी शुरू करें। एक चौकी में पीला कपड़ा डालकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को उसपर स्थापित करें।
भगवान को फल, फूल, तिल, दूध, पंचामृत एवं तुलसी आदि अर्पित करें। एक बात ध्यान रहे तुलसी जरूर चढ़ाएं, क्योंकि तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी होती है जिसे पूरी नहीं मानी जाती जाती है। उसके बाद कामिका एकादशी की व्रत कहानी पढ़ें या सुनें। बाद में आरती करें।
कामिका एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता यह भी है कि एकादशी का व्रत करने और पूजन वालो से न केवल भगवान विष्णु बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी उन्हें प्राप्त हुआ करता है। आपको यह भी बता देते है की इस व्रत को करने से सारी बिगड़े हुई काम फिर से बनने लगते हैं। पौराणिक मान्यताओं के माने, ऐसे व्यक्ति जिन्हे किसी बात का भय बना रहता है उन्हें कामिका एकादशी का व्रत उनके लिए बेहतर तरीके से काम करता है । यह सब करने से उनके सभी कष्ट दूर भाग जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति मिल जाती है।
कामिका एकादशी व्रत कथा
कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर बोलने लगे कि हे भगवन, आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी अथवा चातुर्मास्य माहात्म्य मैंने भली तरह से सुना और जाना है । अब आप कृपा करके श्रावण कृष्ण एकादशी का क्या नाम से पुकारे , सो उसे बताइए।
तब श्रीकृष्ण भगवान बताने लगे कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कहानी एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से बताई थी, वही मैं तुमसे बताने जा रहा हूँ। वहा नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछ पड़े थे कि हे पितामह! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कुछ कहानी हमें भी बताने की कृपा करे मेरी इच्छा है, उसका क्या नाम होता है? और उसके क्या विधि होते है और उसका महत्व क्या होता है , सो कृपा करके हमें बताये ।
नारदजी के ये वचन सुनकर ब्रह्माजी ने बताना सुरु किया की- हे नारद! तीनो लोकों के हितैसी के लिए तुमने बहुत बेहतर प्रश्न किया है। तो सुनो श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका होता है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिल जाता है। इस तिथि शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन किया जाता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन आज भी महजूद हैं। उनकी पूजा याचना करने से जो फल मिला करता है सो आप सुनो।
जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य एवं पुष्कर स्नान से मिला करता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिल जाता है। जो फल सूर्य और चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी नहीं हो पाता है वह भगवान विष्णु के पूजन और यचनाओ से मिल जाता है।
जो ब्यक्ति श्रावण में भगवान का पूजन याचना किया करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाया करते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्य को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करने की जरूरत होती है । पापरूपी कीचड़ में फँसे हुए और संसाररूपी समुद्र में डूबे हुए ब्यक्तिओ के लिए इस एकादशी का व्रत होता है और वह लोग भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक करे । इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई जुगाड़ नहीं होता है।
हे नारद! स्वयं भगवान ने यही बताया है कि कामिका व्रत से जीव कुयोनि में प्राप्त नहीं होता। जो ब्यक्ति इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण किया करते हैं, वे दुनिया भर के सभी पापों से परे रहते हैं। विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि इत्यदि आभूषण से इतने खुश नहीं होते जितने तुलसी दल से हुआ करते है ।
तुलसी दल पूजा अर्पण का फल भी चार भार चाँदी एवं एक भार स्वर्ण के दान के बराबर हुआ करता है। शो हे नारद! मैं स्वयं भगवान की दिलसाईं तुलसी को सदैव बारम्बार नमस्कार करता हूँ। तुलसी के पौधे को सींचने से मानव की सब यातनाएँ नष्ट हुआ करती हैं। दर्शन मात्र से सम्पूर्ण पाप नष्ट हो जाया करते हैं और स्पर्श करने से मानव पवित्र हो जाया करता है।
कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान अथवा जागरण के फल का माहात्म्य चित्रगुप्त भी नहीं बता पाते । जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाया करते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान किया करते हैं और जो घी या फिर तेल का दीपक जलाते हैं, शो वह लोग सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित हो जाया करते है और सूर्य लोक को उजागर करते हैं।
ब्रह्माजी बताते हैं कि हे मुनि नारद! ब्रह्महत्या अथवा भ्रूण हत्या आदि पापों का खात्मा करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत ब्यक्ति को यत्न के साथ करने की जरूरत होती है । कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने जानने और पढ़ने वाला मानव सभी पापों से छुटकारा पाकर केवल विष्णु लोक को चला जाता है। जिसको बैकुंठ बोलते है।