सावन का सोमवार शिवजी की उपासना के लिए बेहद उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं।
हिन्दु पंचांग में श्रावण महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये इस पूरे महीने को शुभ माना गया है। भगवान शिव को खुश करने के लिये भक्त श्रावण मास के दौरान विभिन्न-विभिन्न व्रत उपवास रखते हैं।
श्रावण महीने को उत्तर भारतीय राज्यों में कावर यात्रा के रूप में भी जाना जाता है। श्रावण मास के दौरान पड़ने वाले सारे सोमवार, व्रत के लिये बहुत शुभ माने जाते हैं और श्रावण सोमवार या सावन सोमवार व्रत के रूप में जाना जाता हैं। अनेको भक्त सावन महीने के पहले सोमवार से लेकर सोलह सोमवार या सोलह सोमवारी उपवास भी किया करते हैं।
सावन माह में पड़ने वाले सोमवार को
सुबह-सुबह जल्दी में उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहन लें । पूजा स्थान की सफाई कर लें । भोलेनाथ के सामने आंख बंद कर शांति से बैठें और व्रत का संकल्प ले लें । केवल दिन में दो बार सुबह एवं शाम को भगवान शंकर और माता पार्वती की अर्चना अवश्य करें। भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित कर लें और फल व फूल अर्पित कर दे । अगर आसपास में भगवान् शिव का मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल या फिर दूध अर्पित करें। भगवान शिव को दूध और जल अर्पित करना बहुत बढ़िया माना जाता है। सावन के सोमवार को हो सके तो रुद्राभिषेक करा दे । सावन के माह में वैसे शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाया करता है। लेकिन इसके अलावा शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी प्रकार की सुख और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है ।
प्रथम श्रावण सोमवार व्रत
श्रावण का माह भगवान शिव को खूब प्रिय होता है, धार्मिक शास्त्रों की माने तो सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-याचना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सावन के महीने में ही शिवभक्तों के द्वारा कांवड़ यात्रा शुरू की जाया करता है। श्रावण सोमवार के व्रत में भगवान शिव एवं देवी पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है, श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से सुरु कर तीसरे पहर तक किया जा सकता है। यदि विवाह में कोई अड़चनें आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत करना बेहद फायदेमंद होता है, आयु या स्वास्थ्य बाधा आ रही हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम दिया करता है। पहले सोमवार के दिन शिव मंदिर जाकर 108 बेलपत्र पर राम नाम लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाना बेहद उत्तम माना जाता है।
द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत
द्वितीय श्रावण सोमवार को महाकालेश्वर शिव जी की पूजा करने का विद्धि-विधान होता है। इस तिथि को ॐ महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नमः मंत्र का रुद्राक्ष का माला से कम से कम 11 माला जाप करने की जरूरत होती है । प्रत्येक वर्ष सावन महीने में भगवान शिव अपने ससुराल जाते हैं, इस भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह बड़ा ही उत्तम समय हुआ करता है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना बाकी अन्य दिनों की अपेक्षा शीघ्र फलदायी हुआ करता है। शिवपुराण में इसका उल्लेख हुआ है कि भगवान शिव स्वयं ही जल होते हैं, इसी वजह श्रावण के महीना में भोलेनाथ को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति हो जाती है। सावन सोमवार वाले तिथि को भगवान शिव का व्रत रखते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाने और रुद्राभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
तृतीय श्रावण सोमवार व्रत
तृतीय श्रावण सोमवार नागदेवता की पूजा की जाती है जोकि शिवजी के बहुत प्रिय आभूषण होते हैं और सोमवार शिवजी का प्रिय तिथि होता है। इसी वजह से इस दिन की गयी शिवपूजा का विशेष महत्व होता है, यह तिथि शिवजी के रुद्राभिषेक पूजन और कालसर्प दोष पूजा करने के लिये अति शुभ माना जाता है।
चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत
श्रावण माह भगवान शिव की महाआराधना का पर्व होता है, सावन महीने के चतुर्थ सोमवार के दिन भगवान शिव के तंत्रेश्वर स्वरुप की आराधना करि जाती है। इस तिथि को शिव भक्तों को कुश के आसन पर बैठकर ॐ रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट्मंत्र का 11 मात्र बार जाप करने की जरूरत होती है । तंत्रेश्वर शिव की कृपा से सम्पूर्ण बाधाओं का नाश, हो जाता है अकाल मृत्यु से रक्षा करते है, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
जिनकी अध्यात्म में रुचि रहती है, उनके लिए इंटरनेट दुनिया एक मंदिर की जैसा ही होता है, राम राम का जाप की नैया चलाने वाले न तो कही साधु-संन्यासी हैं, और न कोई आश्रम या संस्था होती है आपकी जैसा एक सामान्य भगवान का भक्त हूं, और मै एक जिज्ञासु हूं जो सनातन ग्रंथों में अंकित किये गए अक्षरों में ईश्वर की बात को ढूंढने का निरंतर प्रयास करते है. उसके बाद अपनी समझ के हिसाब से उसको प्रस्तुत कर देता हु . इसमें मेरा ज़रा भी नहीं, क्या सनातन धर्म का दायित्व केवल साधु-संत ही उठाएंगे? हम आप जैसे सामान्य ब्यक्तिओ का भी तो दायित्व यह बनता है सनातन ध्वजा को ऊंचा करने के लिए अपने हाथ जरूर बढ़ाये.