Nag Panchami: नागपंचमी वाले तिथि को किया जाता है नागों की पूजा, जानें ये है पूजा के बेहतर विधि और कथा

2023 में नाग पंचमी 7 अगस्त, सोमवार के दिन मनाई जाएगी।  नाग पंचमी एक हिंदू त्योहार है जो सांपों या नागों की पूजा करने के लिए समर्पित है।  यह श्रावण के हिंदू महीने के उज्ज्वल आधे के पांचवें दिन मनाया जाता है।  इस दिन, लोग सांपों की मूर्तियों या जीवित सांपों को दूध, मिठाई और फूल चढ़ाते हैं ताकि सांप के काटने से उनका आशीर्वाद और सुरक्षा मिल सके।


 नाग पंचमी भारत के कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जैसे कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान, जहां सांपों को उर्वरता और पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।  त्योहार भी सहयोगी है


 Nag Panchami 2023 Puja Vidhi: हिंदू संस्कृति में विभिन्न महत्वपूर्ण दिनों में, नाग पंचमी का दिन एक विशेष महत्व रखा करता है. यह दिन नाग देवता की पूजा अर्चना करने से काल सर्प दोषों से मुक्ति मिल जाती  है.


नाग पंचमी का त्यौहार

नागपंचमी पर जानिए नागों की पूजा करने का बेहतर तरीका


Nag Panchami 2022 Puja Vidhi in Hindi: नागपंचमी हिंदू संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण दिनों में से एक गिनी और मानी जाती है, नागपंचमी सावन महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन पड़ती है.  ज्योतिषीय मान्यताओं के हिसाब से इस दिन नाग देवता की पूजा याचना की जाती है. अबकी साल नागपंचमी 2 अगस्त 2022 (Nag Panchami Date) यानी मंगलवार को पड़ रहा है. चलिए जानते हैं नाग देवता की पूजा करने की अच्छे विधि.  


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नागपंचमी पर क्यों की जाती है नाग की पूजा?

नागपंचमी के दिन नाग देवता को पूजा करके मनाई जाती है. ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि इससे कुंडली में कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है.  इसके साथ ही इस तिथि को जरूरतमंदों को दान देना भी बेहद लाभकारी माना गया है.

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नागपंचमी पूजा अर्चना विधि


पूजा कक्ष को गंगाजल अथवा जल से साफ करें. 



इसके बाद, एक लकड़ी से बनी चौकी पर एक साफ सुथरा कपड़ा बिछाएं . 



फिर, उस स्थान पर नाग देवता की मूर्ति को स्थापित कर दें . 



इसके बाद में तेल या देशी घी का एक दीपक जलाएं और इसे नाग देवता के करीब रखें.  



इसके बाद पूजा का संकल्प ले लें.  



इसके बाद नाग द्वत की तस्वीर या फिर  मूर्ति पर जल और दूध छिड़काव कर दे और हल्दी चंदन, फूल, कुमकुम, अक्षत एवं धूप और नैवेद्य अर्पित करें. 



इसके बाद दोनो आंखें बंद कर ले और भगवान का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद मांगें. उसके बाद, पूजा करते वक्त क्षमा प्रार्थना करें.  


नागपंचमी पूजा के लाभ 


कई अनेको पौराणिक लेखों में भी नाग पंचमी का खूब उल्लेख मिल जाता है. किंवदंती के अनुसार, जो कोई भी इस दिन नागदेव की पूजा किया करता है, वह राहु और केतु के पाप ग्रहों द्वारा लाए गए सभी तरह के दुर्भाग्य से छुटकारा मिल जाता है.  ज्योतिष शास्त्र की माने, काल सर्प दोष से पीड़ित कोई भी इन्शान इसके बुरे परिणामों से भी छुटकारा पा लेता है. नागपंचमी के दिन कालसर्प योग अनुष्ठान कर सकते हैं जिससे सांप के भय से छुटकारा मिल जाया करता है. 


नागपंचमी की दो रोचक और प्रचलित कथा

जनमानस में नागपंचमी त्यौहार की विविध जनश्रुतियां और कथाएं खूब प्रचलित है। नागपंचमी के संबंध में ऐसी ही दो बहुप्रचलित कहानियाँ हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं- 

 

नागपंचमी कहानी- 1  

 

एक राजा के सात पुत्र हुए थे, उन सबके विवाह जब हो चुके । उनमें से छह पुत्रों के संतान भी हो चुके  थे । सबसे छोटे पुत्र के अब तक कोई संतान नहीं हुआ, जिठानियां बांझ-निर्बसनी कहकर बहुत ताने दिया करती थीं।

 

एक तो संतान ना होने का दुःख और ऊपर से सास, ननद, जिठानी आदि के ताने देकर उसको और भी दुखी कर दिए थे । इससे व्याकुल होकर वह बेचारी कभी-कभी रोने लगती थी । उसका पति उसे समझाता कि 'संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन होता है, फिर तू क्यों दुःखी हो रही है?' वह कहती- सुनते हो, सब लोग हमें बांझ-बांझ बोलकर हमारी नाक में दम कर दिए  हैं।

 

पति बोला- दुनिया कुछ बकती है, तो उन्हें बकने दे मैं तो तुम्हे कुछ नहीं कहता। तू केवल मेरी ओर ध्यान दे और दुःख को छोड़कर खुश होकर रह। अपने पति की बात सुनकर उसे कुछ दिलाशा मिल जाती, परंतु फिर जब कोई ताने दे देता तो वह फुट-फुटकर रोने लगती थी।

 

इस तरह एक दिन नाग पंचमी आ गई। चौथ की रात को उसे स्वप्न में पांच नाग दिखे, उनमें एक ने बोला- 'अरे  पुत्री। कल नागपंचमी है, तू अगर हमारा पूजा अर्चना करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह जग उठ बैठी और पति को जगाकर सपना का पूरा हाल सुनाया । पति ने बोला- यह कौन सी भारी बात है?

 

पांच नाग अगर दिखाई दिए हैं तो पांचों की आकृति बना करके उसका पूजन कर देना है । नाग लोग ठंडा भोजन ग्रहण किया करते हैं, इसलिए उन्हें कच्चे दूध बेहद  प्रसन्न होता है । दूसरे दिन उसने ठीक वैसा ही कर दिखाया। उसने नागों के पूजन किया उससे उसे नौ मास के बाद सुंदर पुत्र की प्राप्ति हो गई ।

 

नागपंचमी कहानी- 2 

 

किसी राज्य में एक किसान परिवार रहा करता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते वक्त हल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर जाते है । नागिन पहले तो बिलक-बिलक  कर रोइ फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प कर लिया । रात्रि को घने अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया।

 

अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर से निकली तो किसान की कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। और हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी।

 

नागिन का गुस्सा पल भर में ठंडा हो जाता है वह प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिखाया । वह दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से अब तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा अर्चना करने का रिवाज ज़िंदा है.

नाग देवता कौन है (Who is the serpent god)

नाग देवता हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। इन्हें नागराज भी कहा जाता है। नाग देवता सर्पों के देवता होते हैं और वे विष पिए बिना ही जीवित रह सकते हैं। इनकी पूजा नाग पंचमी जैसे त्योहारों पर की जाती है। नाग देवता को हिंदू धर्म में सम्बोधित किया जाता है और उन्हें अपने शक्ति और आयु के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। नाग देवता भगवान शिव, भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और देवी काली के साथ जुड़े हुए हैं।

नाग देवता कितने है (How many snake gods are there)

हिंदू धर्म में नाग देवता एक श्रृंखला में हैं, जिनमें कई अलग-अलग प्रकार के सर्प शामिल हैं। नाग देवता की संख्या विभिन्न धर्मों, कला और संस्कृति के अनुसार भिन्न हो सकती है। हिंदू धर्म में, सामान्य रूप से, पांच प्रमुख नाग देवता होते हैं, जिन्हें "आदिनाग", "वासुकिनाग", "तक्षक नाग", "करकटनाग" और "शंखपालनाग" कहा जाता है। इसके अलावा, नाग देवता के अन्य उपासक भी हैं, जो विभिन्न रूपों, आकारों और रंगों में आते हैं।

नाग देवता को प्रसन्न कैसे करें (How to please the snake god)

नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय होते हैं जो निम्नलिखित हैं:


नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करें: हिंदू धर्म में नाग पंचमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें नाग देवता की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवता की मूर्ति, चूल्हा या पात्र, दूध, पंचामृत और फल आदि से पूजा की जाती है।


अंतरिक्ष के दूसरे देवताओं की तरह, नाग देवता को प्रसन्न करे.

नागों का राजा कौन है (Who is the king of snakes)

नागों का राजा भारतीय पौराणिक कथाओं और हिंदू धर्म में मान्यता से उच्च स्थान प्राप्त करते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में, सर्पराज वासुकि को नागों का राजा माना जाता है। वासुकि नागों के राजा के रूप में भी जाना जाता है जो प्रतिष्ठित और अधिक शक्तिशाली होते हैं।

नाग वंश की कुलदेवी कौन है (Who is the Kuldevi of Nag dynasty)

नाग वंश की कुलदेवी माँ मनसा देवी हैं। माँ मनसा देवी सांपों की देवी मानी जाती हैं और उन्हें विषहीन बनाने वाली देवी माना जाता है। नाग वंश में इस देवी का बहुत महत्व होता है और वे इस देवी की पूजा भक्ति करते हैं।

नाग देवता देखने से क्या होता है (What happens when you see a snake god)

वैदिक संस्कृति में नाग देवता को बहुत महत्व दिया जाता है। नाग देवता देखने के कुछ लोगों को अलग-अलग मान्यताएं होती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि नाग देवता देखने से धन की प्राप्ति होती है, जबकि कुछ लोग मानते हैं कि नाग देवता देखने से लोगों को सांपों से संबंधित भय कम होता है।


वैदिक ज्योतिष में नाग देवता को राहु ग्रह से जोड़ा गया है। कुछ लोग नाग देवता देखने के बाद राहु ग्रह की शांति के लिए नाग यज्ञ करवाते हैं।


विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोई नाग देवता देखता है तो उसे संतुलित जीवन जीने के लिए ध्यान केंद्रित करना चाहिए और साथ ही अपनी दृष्टि ध्यान से संतुलित रखना चाहिए। इसके अलावा, नाग देवता को देखने से यदि कोई भय अनुभव करता है तो वह अपने आस-पास की गतिविधियों को संतुलित करने के लिए योग कर सकता है।

नाग देवता को क्या पसंद है (What does the serpent god like)

नाग देवता को संसार के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की पूजा और विधियों से प्रसन्नता मिलती है। इसलिए, नाग देवता को प्रतिष्ठित रखने के लिए उन्हें ध्यान देने और उनकी पूजा करने की परंपरा अनेक सालों से चलती आ रही है।

इसके अलावा, नाग देवता को अधिकतर सर्प-मंदिरों, नाग-पंचमी के दिनों, अनंत चतुर्दशी, नवरात्रि आदि के अवसरों पर पूजा जाता है।


नाग देवता को दूध, दही, मावा, पत्ते, सफ़ेद चावल, मिठाई, फल आदि का प्रसाद भोग लगाया जाता है।


अधिकतर लोग नाग देवता को विशेष ध्यान देते हुए नाग-पंचमी के दिन उनकी पूजा करते हैं। इस दिन नाग देवता को दूध, दही, मावा, पत्ते आदि चढ़ाया जाता है और उनकी विशेष पूजा की जाती है।

क्या हिंदू धर्म में 33 देवता हैं (Are there 33 gods in Hinduism)

हिंदू धर्म में 33 देवताओं के बारे में अनेक पुराण और ग्रंथों में उल्लेख है, लेकिन यह सच नहीं है कि हिंदू धर्म में एकदम सही ढंग से 33 देवताएं हैं।


वास्तव में, हिंदू धर्म में अनेक देवताओं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और ये संख्यात रूप से हो सकते हैं। वैदिक साहित्य में देवताओं की संख्या 33 नहीं है।


अन्य धार्मिक ग्रंथों में, जैसे कि सिख धर्म में, 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख है, जिसे "तीसरा परमात्मा" के नाम से जाना जाता है। लेकिन भारतीय धर्मों में, जैसे कि हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म आदि, इस संख्या का कोई आधार नहीं है।

नाग जाति कौन सी है (Which is the snake caste)

"नाग जाति" की बात करते हुए, यह उल्लेखनीय है कि भारत में कई ऐसे जाति हैं जो नाग कुल (clan) से सम्बन्धित मानती हैं। उनमें से कुछ जातियों के नाम निम्नलिखित हैं:

  • नागर जाति
  • बिषेन जाति
  • नागवंशी
  • मान्गरोल जाति
  • नागदेव जाति
  • भाट नाग जाति
  • चौहान जाति
  • गहलोत जाति

इन जातियों में से कुछ जातियाँ राजपूतों में शामिल होती हैं। इन जातियों के लोग अपने इतिहास, संस्कृति और धर्म के माध्यम से अपने नाग कुल के साथ अटूट रिश्तों को बनाए रखते हैं।

नागवंशी में कौन सी जाति आती है (Which caste comes in Nagvanshi)

"नागवंशी" शब्द भारतीय इतिहास और पुराणों में उल्लेख किये जाने वाले एक वंश को दर्शाता है जिसका मूल स्थान उत्तर भारत था। नागवंश के अनुसार, यह वंश राजा वसुदेव के पुत्र विश्वकर्मा से उत्पन्न हुआ था।


नागवंशी जातियों में सबसे अधिक प्रभावशाली जाति है काठी जाति, जो राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में रहती है। इसके अलावा, नागवंशी जातियों में कुछ जातियाँ हैं जैसे नागर, भटियारा, चौहान, ठाकुर, सिंहम आदि।


इन जातियों के लोग अपने इतिहास, संस्कृति और धर्म के माध्यम से अपने नाग कुल के साथ अटूट रिश्तों को बनाए रखते हैं।

नागवंशी की जाति क्या है (What is the caste of Nagvanshi)

"नागवंशी" शब्द भारतीय इतिहास और पुराणों में उल्लेख किये जाने वाले एक वंश को दर्शाता है जिसका मूल स्थान उत्तर भारत था। नागवंश के अनुसार, यह वंश राजा वसुदेव के पुत्र विश्वकर्मा से उत्पन्न हुआ था।


नागवंशी जातियों में सबसे अधिक प्रभावशाली जाति है काठी जाति, जो राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में रहती है। इसके अलावा, नागवंशी जातियों में कुछ जातियाँ हैं जैसे नागर, भटियारा, चौहान, ठाकुर, सिंहम आदि।


इन जातियों के लोग अपने इतिहास, संस्कृति और धर्म के माध्यम से अपने नाग कुल के सम्बन्ध में आते है.

नागवंशी की कुलदेवी कौन है (Who is the Kuldevi of Nagvanshi)

नागवंशी के लोगों की कुलदेवी माता मानसा देवी हैं। मानसा देवी नाग और साँपों की देवी होती हैं और उन्हें सम्पूर्ण भारतवर्ष में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मनसा देवी, नागफणी, नागदेवता आदि। नागवंश के लोग अपनी कुलदेवी माता मानसा के उत्सव मनाते हैं जो साधारणतया जुलाई और अगस्त में मनाया जाता है।

नाग वंश के अंतिम राजा कौन थे (Who was the last king of Nag dynasty)

नाग वंश के अंतिम राजा के बारे में कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। नाग वंश भारतीय इतिहास में एक प्राचीन वंश था जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में स्थापित था। इस वंश का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इसमें विभिन्न अवधियों में कई राजाओं ने शासन किया था। इसलिए, इस वंश के अंतिम राजा के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।

 नाग वंश का अंतिम शासक कौन है (Who is the last ruler of Nag dynasty)

नाग वंश का अंतिम शासक है शिल्ल्य शाक्य, जो भारत के मध्यकालीन इतिहास में 16वीं शताब्दी के लगभग हैं। उन्होंने काठमांडू उपनगरीय क्षेत्र पर शासन किया था। उन्होंने नेपाली भाषा में लेखन को प्रोत्साहित किया था और उन्होंने धर्मग्रन्थों का अनुवाद भी किया था।

नाग देवता मंत्र (Nag Devta Mantra)

नाग देवता के लिए निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जाता है:


"ॐ नागाय नमः"


इस मंत्र को सुबह और शाम दोनों समय पर जप किया जाना चाहिए। इस मंत्र का जप करने से नाग देवता व्यक्ति को संरक्षण और समृद्धि प्रदान करते हैं।


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नाग देवता भारतीय पौराणिक कथाओं और धर्मशास्त्रों में महत्वपूर्ण रूप से उल्लेखित हैं। नाग देवता हिंदू धर्म में सर्प देवता के रूप में भी जाने जाते हैं। नाग देवता को विविध धर्मों जैसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म आदि में माना जाता है।


नाग देवता की कहानियां और पौराणिक वर्णनों में उनके गुण, शक्तियों और शास्त्रीय महत्व का वर्णन किया गया है। नाग देवता के बारे में लोग मानते हैं कि वे आध्यात्मिक ऊर्जा और विद्युत शक्ति के प्रतीक होते हैं। नाग देवता की पूजा और उनकी आराधना के लिए विशेष त्योहार भी मनाए जाते हैं।


नाग देवता का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसके बारे में विभिन्न कथाओं और पौराणिक वर्णनों में विस्तार से वर्णन किया गया है। उन्हें अधिकतर लोग समृद्धि, सुख, उपलब्धियों और सफलता का प्रतीक मानते हैं।



Disclaimer: यह मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं अथवा जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि Hindihotstory.in किसी भी प्रकार की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं किया करता  है. किसी भी जानकारी या मान्यता को परिपालन में लाने से पहले उससे संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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