Andal Jayanti: जानें अंदल जयंती का महत्व, अनुष्ठान शुभ समय और लाभ

 

Andal Jayanti

अंदल जयंती ‘देवी अंदल’ को समर्पित की हैं. ऐसा भी माना जाता हैं कि देवी अंदल धन की महादेवी लक्ष्मीजी  का अवतार थी. यह जयंती एवं त्यौहार देवी अंदल के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता रहा हैं. यह तमिल महीने ‘आदि’ में मनाया जाता हैं, यहीं वजह हैं कि इसे आदि पूरम भी बताया जाता हैं.


अंदल जयंती, आदि पुरम कब मनाई जाती है (Aadi Pooram Date 2022) "Andal thirukalyanam 2022 date near chennai Tamil nadu


अबकी साल आदि पूरम की तारीख 1 August 2022 को होना है. आदि पूरम देवी शक्ति को भी समर्पित होता हैं और ऐसी माना जाता हैं कि इस तिथि को देवी शक्ति धरती पर आया करती हैं और अपने भक्तों को आशिर्वाद प्रदान किया करती हैं. हिन्दू नक्षत्रों के माने कुल 27 नक्षत्रों में से ‘पूरम’ भी एक नक्षत्र होता हैं.

How to celebrate Aadi Pooram in Tamil

Andal Jayanti: अंदल जयंती तमिलों के बीच प्रमुख और बेहद महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक होता है। यह देवी अंदल को समर्पित प्रमुख त्यौहारों में से एक होता है, जो भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी के अवतार है। अंदल जयंती वाले तिथि को देवी अंदल का जन्मदिन रहता है ऐसा भी मान्यता है कि वह इस शुभ दिन पर पृथ्वी पर उतरी हुई थी और इस तरह अपने भक्तो को शक्ति प्रदान किया था भक्त आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा याचना किया करते हैं। यह त्यौहार मुख्य रूप से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के भी कुछ हिस्सों में आदि के महीने में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पारंपरिक तमिल कैलेंडर के हिसाब से जो जुलाई-अगस्त का चौथा महीना होता है। इस महीने में शक्ति के अनेक आयामों की पूजा करने का विधान है।


अंदल जयंती का महत्व :-

ऐसा भी माना जाता है कि इस शुभ तिथि पर देवी पार्वती स्वयं अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर अवतरित हुआ करती हैं।


आदि महीना भी देवी शक्ति को समर्पित होता है, यह इसलिए क्योंकि इस माह में देवी की ऊर्जा बेहद मजबूत और जीवंत हो जाती है।


सभी शक्ति मंदिरों में इस शुभ घटना को बहुत मनाते हुए अनुष्ठान भी किए जाते हैं।


यह भी लोगो का मानना है कि इसी दिन पार्वती जी को नारीत्व की प्राप्ति हुई थी।


अंदल जयंती के अनुष्ठान :-

अंदल जयंती पर, कई वैष्णव मंदिर पूजा अनुष्ठान आयोजित किया जाता हैं। आदि पूरम को अंदल की जन्मस्थली श्रीवल्लिपुत्तूर में पूरे जोश और हर्सोउल्लाश के साथ मनाया जाता है।


यह त्यौहार श्रीरंगम मंदिर में भी 10 दिनों तक चलता रहता है। 10 वें दिन, अंदल और भगवान रंगनाथर (भगवान विष्णु) का दिव्य विवाह के रूप में मनाया जाता है।


विशेष पूजा आयोजित किया जाता है और बहुत सारे भक्तों द्वारा विवाह समारोह भी देखने की परम्परा होता है।


ऐसा भी माना जाता है कि जिन लड़कियों की अभी शादी नहीं हुई रहती है या सही वर की तलाश रहती है, वे 10वें दिन दिव्य विवाह के दिन अंदल से इस बारे में प्रार्थना किया करती हैं, जिससे उन्हें बेहतर साथी का आशीर्वाद मिल जाता है ।


देवी के लिए हर एक घर में खाना पकाये जाने का रिवाज भी होता है।


अंदल ने भगवान रंगनाथर की स्तुति में अनेको भक्ति गीत की रचना भी हुई है। विवाह समारोह के बाद भक्त थिरुप्पवई और पासुराम का जाप किया करते हैं।


सभी शक्ति मंदिरों में इस तिथि को देवी को खूबसूरती के लिए विशेष रूप से सजाया जाता है, और विभिन्न रूपों में देवी को बहुत सारे कांच की चूड़ियाँ अर्पित की जाती हैं। उसके बाद सभी भक्तों में चूड़ियों को वितरण कर दिया जाता है।


ऐसा बताया जाता है कि इन चूड़ियों को पहनने से जोड़ों को संतान की प्राप्ति जल्द हो जाती है। इसके अलावा, जब गर्भवती महिलाएं इन चूड़ियों को पहन लेती हैं तो ऐसा माना जाता है कि ये उनके आने वाले बच्चो को बुरी ताकतों से बचाया करती है।


यहोवा के लिए अन्नबलि भी चढ़ाए जाता हैं और उसे लोगों में बांटे दिया जाता हैं। मानक प्रसाद में इमली, मीठा पोंगल, चावल, नींबू चावल, दही चावल और भीगी हुई मूंग दाल शामिल होती हैं।


चूंकि अंदल को कालकंद,कमल का फूल,लाल रंग और  चावल बेहद पसंद होते हैं, इसलिए उन्हें इस दिन ये सब समाग्री चढ़ाए जाने का रिवाज होता हैं।


इस शुभ तिथि को, भक्त 'थिरुप्पवई' अथवा 'ललिता सहस्रनाम' का पाठ भी किया करते हैं।


अंदल जयंती मनाने के लाभ:-

इस शुभ तिथि पर अंदल और देवी शक्ति को मनाने वालो को निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं।


जैसे सुखी और सफल भविष्य हो जाता है ।


बाल आशीर्वाद और बुरी ताकतों से भ्रूण की सुरक्षा कवच मिल जाता । 


बेहतर जीवनसाथी का आशीर्वाद मिल जाता है ।

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