Angkor Wat Temple Cambodia: दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में नहीं बल्कि कंबोडिया में है। इस मंदिर को अंकोरवाट मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की बनावट अद्भुत है, यही वजह है कि यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल किया है। आइए जानते हैं इस मंदिर की खास बातें और इतिहास...
मंदिर हमारी संस्कृति और इतिहास के संरक्षक हैं। दुनिया में भारत की समृद्ध परंपराओं को बनाने, पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापित करने पर। इतिहास का पहिया अब घूम रहा है। यह भारत का उत्थान है। सरकार भारतीय संस्कृति और विरासत को विश्व में उसका उचित स्थान दिलाने के लिए कृतसंकल्प है।
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एपिसोड में उन्होंने मंदिरों के विश्वस्तरीय संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि भारत कंबोडिया में अंकोरवाट मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार कर रहा है, क्योंकि हमारी सभ्यता कई देशों में फैल चुकी है. आइए जानते हैं विश्व प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की विशेषता और इतिहास...
इस मंदिर का पहले का नाम यशोधरपुर था
हिंदू धर्म भारत तक ही सीमित नहीं है। इसकी प्राचीन संस्कृति की झलक पूरे विश्व में देखी जा सकती है। इसीलिए विदेशों में भी प्राचीन मंदिरों में इस धर्म के चिह्न, अवशेष, चिन्ह मिलते हैं। इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है कंबोडिया का अंगकोरवाट मंदिर। यह एक हिन्दू मंदिर है। 402 एकड़ में फैला यह मंदिर कंबोडिया के अंगकोर में स्थित है। प्राचीन काल में इस मंदिर का नाम 'यशोधरपुर' था। कहा जाता है कि इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53 ईस्वी) के शासनकाल में हुआ था।
यहाँ की वास्तुकला खमेर शास्त्रीय शैली से प्रभावित है
सूर्यवर्मन द्वितीय ने निश्चित रूप से खमेर शास्त्रीय शैली के प्रभाव में इस विष्णु मंदिर का निर्माण शुरू किया, लेकिन इसे पूरा करने में असमर्थ रहे। मंदिर का काम उनके भतीजे और उत्तराधिकारी धरणींद्रवर्मन के शासनकाल में पूरा हुआ था। मिस्र और मैक्सिको के स्टेप पिरामिड की तरह, यह एक सीढ़ी पर खड़ा है। इसका मूल शिखर लगभग 64 मीटर ऊँचा है। इसके अलावा अन्य सभी आठ चोटियाँ 54 मीटर ऊँची हैं। मंदिर के पास साढ़े तीन किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवार, बाहर 30 मीटर खुला मैदान और बाहर 190 मीटर चौड़ी पोखरा थी। कुछ विद्वानों के अनुसार यह मंदिर राजा चोल वंश ने इस मंदिर को बनवाया था ।
angkor wat temple में भगवान विष्णु विराजमान हैं
इस मंदिर की सुरक्षा के लिए चारों तरफ खाई बनाई गई थी, जो करीब 700 फीट चौड़ी है। दूर से देखने पर यह खाई झील के समान दिखाई देती है। मंदिर के पश्चिमी तरफ इस खाई को पार करने के लिए एक पुल का निर्माण किया गया है। पुल के उस पार मंदिर की ओर जाने वाला एक बड़ा द्वार है, जो लगभग 1,000 फीट चौड़ा है। अंकोरवाट एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की तीनों मूर्तियां एक साथ हैं। अंकोरवाट मंदिर की विशेषता यह है कि यह विश्व में भगवान विष्णु का सबसे बड़ा मंदिर है।
यह मंदिर मेकांग नदी के तट पर स्थापित है
मेकांग नदी के किनारे सिमरीप शहर में स्थापित कंबोडियाई लोगों की इस मंदिर में अगाध आस्था है। इस वजह से, मंदिर को राष्ट्र के सम्मान का प्रतीक माना जाता है और कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में भी चित्रित किया गया है। यह मंदिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है।
दीवारों पर हिंदू धर्म से जुड़े विषयों को उकेरा गया है
यह मंदिर सनातन संस्कृति का प्रमाण है। इसकी दीवारों पर हिंदू शास्त्रों के संदर्भों का अद्भुत चित्रण है। अप्सराओं की खूबसूरत तस्वीरें आप यहां देख सकते हैं। असुर और देव के बीच समुद्र मंथन का दृश्य भी खूबसूरती से उकेरा गया है।
यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है
angkor wat temple अंकोरवाट मंदिर विश्व के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यही कारण है कि इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया है। यहां लोगों को स्थापत्य कला का एक नायाब रूप देखने को मिलता है। पर्यटक यहां न केवल मंदिर की सुंदरता और इतिहास जानने आते हैं, बल्कि यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का अनुभव भी असाधारण होता है। सनातन धर्म के लोग इसे पवित्र तीर्थ मानते हैं।
भारतीय गुप्त कला की एक झलक
इस विशाल मंदिर की दीवारों पर रामायण की कथाओं को मूर्तियों में चित्रित किया गया है। ऐसा लगता है कि विदेश जाने के बाद भी यात्रा करने वाले कलाकारों ने भारतीय कला को जीवित रखा है। मंदिर में की गई कलाकृति को देखकर यह देखा जा सकता है कि यह भारतीय गुप्त कला से प्रभावित है। यहां के मंदिरों में मेहराबदार दरवाजे और अलंकृत स्लिट हैं।
बौद्ध धर्म ने भी मंदिर को प्रभावित किया
बाद में, अंगकोर वाट के हिंदू मंदिरों पर बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। बाद में बौद्ध भिक्षु भी इनमें रहने लगे। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में क्षेत्र में पुरातात्विक खुदाई ने खमेर धार्मिक विश्वासों, कलाकृतियों और भारतीय परंपराओं के प्रवासन पर काफी प्रकाश डाला है। यहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं।
अंगकोर वाट की अन्य तथ्य
अंगकोर वाट की खोज कब हुई थी (When was Angkor Wat discovered)
angkor wat temple, जो कंबोडिया के सियेम राज्य में स्थित है, की खोज करने का क्रेडिट हेनरी महाशय को दिया जाता है। अंगकोर वाट की खोज 1860 ईसवी में हुई थी। हेनरी महाशय, जो एक फ्रांसीसी यात्री, वैज्ञानिक और पुरातत्वविद थे, ने इसे अपनी यात्रा के दौरान खोजा था। अंगकोर वाट एक महत्वपूर्ण पुरातत्विक स्थल है और विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है और कंबोडिया की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अंगकोर वाट किस देश में स्थित है (Angkor Wat is located in which country)
angkor wat temple अंगकोर वाट कंबोडिया देश में स्थित है। यह सियेम राज्य के पश्चिमी हिस्से में स्थित है और कंबोडिया की राजधानी फनोम पेनह हवेली से लगभग 5.5 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। अंगकोर वाट कंबोडिया की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्वपूर्ण स्मारक है और विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। यह विश्वविख्यात मंदिर संगठन और विश्व पर्यटन का प्रमुख केंद्र है।
अंगकोर वाट तथ्य (Angkor Wat facts)
यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य अंगकोर वाट (Angkor Wat) के बारे में हैं:
विश्व धरोहर स्थल: अंगकोर वाट को 1992 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है।
अर्थ और परिचय: अंगकोर वाट का नाम संस्कृत शब्दों "अंग" (देवता) और "कोर" (नगरी) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है "देवताओं की नगरी"।
आवेश: यह विशाल मंदिर निर्माण का प्रमुख उदाहरण है और इसे हिंदू धर्म के विष्णु भगवान को समर्पित किया गया है।
निर्माण काल: अंगकोर वाट का निर्माण 12वीं और 13वीं सदी के बीच में कंबोडिया के विशालकाय राजा जयवर्मन II द्वारा किया गया था।
वास्तुशिल्प: यह मंदिर खुदाई और कमजोरी से बचाने के लिए पथरीले संरचना और खमीर वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है।
विशालता: अंगकोर वाट एक विशाल मंदिर है जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 162.6 हेक्टेयर (402 एकड़) है।
क्या अंगकोर वाट एक तमिल मंदिर है? (Is Angkor Wat a Tamil temple)
अंगकोर वाट एक हिंदू मंदिर है, न कि तमिल मंदिर। यह कंबोडिया के सियेम राज्य में स्थित है और हिंदू धर्म के विष्णु भगवान को समर्पित है। इसका निर्माण 12वीं और 13वीं सदी के बीच में किया गया था जब कंबोडिया पर हिंदू धर्म का प्रभुत्व था। अंगकोर वाट का वास्तुकला खमीर (कंबोडियाई) शैली में है और यह कंबोडिया की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्वपूर्ण विरासत का हिस्सा है।
अंकोरवाट मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? (Why is Angkor Wat temple famous)
अंगकोर वाट मंदिर कई कारणों से प्रसिद्ध है। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
महान वास्तुकला: अंगकोर वाट मंदिर को विश्वविख्यातता उपन्यासकार वातेरसिंग महाशय ने विश्व की सात आश्चर्यों में शामिल किया है। इसकी वास्तुकला का महानता, संरचनात्मक निर्माण और विस्तार काफी प्रशंसा प्राप्त करता है।
ऐतिहासिक महत्व: अंगकोर वाट मंदिर कंबोडिया की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे 12वीं और 13वीं सदी में राजा जयवर्मन II ने निर्मित किया था और इसका विकास खमीर वास्तुकला के प्रमुख उदाहरण के रूप में था।
धार्मिक महत्व: अंगकोर वाट मंदिर हिंदू धर्म के विष्णु भगवान को समर्पित है। यह धार्मिक महत्व के केंद्र के रूप में चर्चित है और धार्मिक यात्राओं का महत्वपूर्ण स्थान है।
वैश्विक पर्यटन स्थल: अंगकोर वाट मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इसकी वास्तुकला, महानता हैं.
क्या अंगकोर वाट अभी भी एक हिंदू मंदिर है? (Is Angkor Wat still a Hindu temple)
अंगकोर वाट अभी भी एक हिंदू मंदिर ही है। यह प्राचीन कंबोडिया के राजा जयवर्मन II द्वारा हिंदू धर्म के विष्णु भगवान को समर्पित किया गया था। अंगकोर वाट विश्वविख्यात मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान के मूर्तियों की पूजा और अभिषेक की जाती है। वहां परियों द्वारा प्रदर्शित धार्मिक अभिषेक पूजा की जाती है और यात्री वहां धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इसे कंबोडिया की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
अंगकोर वाट मंदिर किस भगवान के लिए है? (Which God is Angkor Wat temple for)
अंगकोर वाट मंदिर हिंदू धर्म के विष्णु भगवान को समर्पित है। वास्तव में, अंगकोर वाट मंदिर को राजा जयवर्मन II ने खुदाई करवाकर निर्मित किया था और इसे विष्णु भगवान की प्रतिमाओं के लिए स्थानीय पूजा का केंद्र बनाया था। मंदिर में प्रमुख रूप से विष्णु के अवतार जैसे की वामन, परशुराम, राम और कृष्ण की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। अंगकोर वाट मंदिर में हिंदू धर्म के पूजा प्रथाओं और अनुष्ठानों का आयोजन आज भी होता है।
क्या अंगकोर वाट भारत में था? (Was Angkor Wat in India)
अंगकोर वाट भारत में नहीं था। अंगकोर वाट कंबोडिया में स्थित है। यह संयुक्त राज्य कम्बोडिया के पश्चिमी भाग में स्थित है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित है। अंगकोर वाट को कंबोडिया की संस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
भारत में कौन सा मंदिर अंगकोर वाट जैसा है? (Which temple is like Angkor Wat in India
भारत में अंगकोर वाट जैसा मंदिर नहीं है, लेकिन कुछ मंदिर अपनी वास्तुकला और महत्व के कारण अंगकोर वाट से थोड़ा-बहुत संबंध रखते हैं। यहां कुछ ऐसे मंदिरों का उल्लेख किया जा सकता है:
खजुराहो मंदिर: खजुराहो मध्य प्रदेश, भारत में स्थित हैं और विश्वविख्यात खजुराहो मंदिरों का श्रृंगार उनकी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर नागर शैली में बने हैं और उनमें कामसूत्र के विशेष आदर्शों का प्रदर्शन किया गया है।
मोदेरा सूर्य मंदिर: गुजरात, भारत में स्थित मोदेरा सूर्य मंदिर, जिसे सूर्य मंदिर भी कहते हैं, अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसमें नागर और वेसर शैली के तत्व हैं और उसकी मुख्य गोपुरम् (प्रवेशद्वार) की अद्वितीयता इसे अंगकोर वाट से संबंधित बनाती है।
कौशाम्बी नंदी मंदिर: उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित कौशाम्बी नंदी मंदिर भी अंगकोर वाट की वास्तुकला जैसा ही हैं.
अंकोरवाट मंदिर के बारे में लिखना (writing about angkor wat temple
अंकोरवाट मंदिर, जो कंबोडिया के सियेम रीपर्ट प्रांत में स्थित है, एक बहुत ही प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिर है। यह विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है और यह कंबोडिया की राष्ट्रीय संदर्भ स्थल सूची में भी शामिल है। अंकोरवाट मंदिर विश्व के सबसे बड़े हिन्दू मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है और इसे कंबोडिया के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भी मान्यता दी जाती है।
यह मंदिर खमेर साम्राज्य के शासकों द्वारा 9वीं और 15वीं सदी के बीच निर्मित किया गया था। इसकी निर्माण शैली में खासी भूमिका का प्रभाव हुआ है और यह भारतीय वास्तुकला के उदाहरणों में से एक माना जाता है। मंदिर का निर्माण ताम्र, पत्थर और ब्रिक का इस्तेमाल करके किया गया है।
अंकोरवाट मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण भाग उसके मुख्य मंदिर के रूप में जाना जाता है, जिसे आमतौर पर अंकोर वाट के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर विशालकाय में बनाया गया हैं.
अंगकोर वाट मंदिर टिकट (angkor wat temple tickets)
अंगकोर वाट एक प्रसिद्ध मंदिर समूह है जो कम्बोडिया के सिएम रीप में स्थित है। अंगकोर वाट और अंगकोर धरोहरी पार्क में अन्य मंदिरों की यात्रा के लिए, आपको एंट्री टिकट खरीदना होगा। यहां अंगकोर वाट मंदिर टिकट के बारे में कुछ जानकारी है:
टिकट के प्रकार: आपकी यात्रा की अवधि पर आधारित विभिन्न टिकट विकल्प उपलब्ध हैं:
अ. 1-दिवसीय टिकट: यह टिकट पार्क में एक दिन की प्रवेश परमिट देता है और इसकी कीमत $37 है (मेरी ज्ञान सीमा सितंबर 2021 की है)। यह टिकट केवल खरीद के दिन तक मान्य होता है।
ब. 3-दिवसीय टिकट: यह टिकट पार्क में तीन लगातार दिनों के लिए प्रवेश परमिट देता है और इसकी कीमत $62 है (मेरी ज्ञान सीमा सितंबर 2021 की है)। आप इस टिकट को खरीदने के दिन से एक हफ्ते के भीतर किसी भी तीन दिनों के लिए उपयोग कर सकते हैं।
सी. 7-दिवसीय टिकट: यह टिकट पार्क में सात लगातार दिनों के लिए प्रवेश परमिट देता हैं.
विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर कौन सा है? (What is the largest Hindu temple in the world)
विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर अभिलेखन के अनुसार "अक्षरधाम मंदिर" है, जो भारत के उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार शहर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1982 से 2005 तक सम्पन्न हुआ था। अक्षरधाम मंदिर को स्वामी नारायण संप्रदाय द्वारा संचालित किया जाता है और यह मंदिर एक साथ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक तत्वों का प्रतिष्ठान भी है।
अक्षरधाम मंदिर का आकार विस्तृत है और इसका निर्माण राजमार्ग, अदभुत वास्तुकला, और अद्वैत धार्मिक संदेश को प्रदर्शित करता है। मंदिर के प्रमुख भव्य गोपुरम् (प्रवेशद्वार), मंडप, ग्रंथमंडप, गणेश और हनुमान मंदिर, स्मृति भवन, यज्ञ शाला, और अन्य संगठनों के साथ एक विशाल परिसर में स्थित है।
किस भारतीय राजा ने कंबोडिया पर शासन किया? (Which Indian king ruled Cambodia)
कंबोडिया पर शासन करने वाले भारतीय राजा का नाम "राजा सूर्यवर्मन II" था। उन्होंने 12वीं शताब्दी में कंबोडिया (जिसे तब कंबुजा के नाम से जाना जाता था) के अधीन एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया। सूर्यवर्मन II ने अपने शासनकाल में विजयपुर नगर का निर्माण किया और अंगकोर वाट मंदिर को भी बनवाया, जिसे वह विष्णु भगवान के लिए समर्पित कर दिया था। उनके शासनकाल में कंबोडिया ने विविध कार्यक्रमों और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।